बापक सुबुध
लातिहान
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10/19/20241 मिनट पढ़ें
बापक सुबुध (Bapak Subud)
बापक सुबुध का जीवन:
बापक सुबुध का असली नाम मुहम्मद सुबुह सुमोहदिविजोयो था, और उनका जन्म 1901 में इंडोनेशिया के सेंट्रल जावा में हुआ था। बापक सुबुध ने अपना जीवन एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में बिताया और उन्हें सुबुध आंदोलन के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। सुबुध एक ऐसी आध्यात्मिक प्रणाली है, जो व्यक्ति को उसकी आंतरिक आत्मा से जोड़ने पर आधारित है। यह प्रणाली आध्यात्मिक जागरण (spiritual awakening) और दिव्य ऊर्जा के प्रवाह के माध्यम से मानव जीवन को शुद्ध और पवित्र बनाने का मार्ग दिखाती है।
उनका आध्यात्मिक अनुभव 1925 के आसपास प्रारंभ हुआ, जब उन्होंने एक दिव्य प्रकाश और ऊर्जा को महसूस किया। इसके बाद, उन्होंने इसे "लातिहान" (Latihan) के रूप में विकसित किया, जो एक विशेष प्रकार की आध्यात्मिक साधना या अभ्यास है। यह अभ्यास किसी विशेष धर्म पर आधारित नहीं है, बल्कि व्यक्ति को अपनी आंतरिक आत्मा के साथ जुड़ने और जागरूकता प्राप्त करने का एक माध्यम है।
बापक सुबुध की शिक्षाएँ:
बापक सुबुध की शिक्षाएँ मुख्य रूप से मानव के आत्मिक विकास और दिव्य ज्ञान की प्राप्ति पर आधारित थीं। उनका मानना था कि:
1. लातिहान (Latihan): यह अभ्यास बापक सुबुध की शिक्षाओं का मुख्य आधार है। यह एक प्रकार का ध्यान या साधना है, जिसमें व्यक्ति अपनी आंतरिक आत्मा से जुड़ता है। लातिहान में किसी प्रकार की कठोर क्रियाओं या नियमों की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि यह एक सहज और स्वाभाविक प्रक्रिया होती है। इसके माध्यम से व्यक्ति ईश्वर या दिव्यता के संपर्क में आता है और उसकी आत्मा जागृत होती है।
2. धर्म निरपेक्षता: बापक सुबुध का मानना था कि उनका आध्यात्मिक अभ्यास किसी एक धर्म पर आधारित नहीं है। सुबुध का उद्देश्य सभी धर्मों और संस्कृतियों के लोगों को आध्यात्मिक रूप से जोड़ना और उन्हें आंतरिक शांति का अनुभव कराना था। उनके अनुसार, किसी भी व्यक्ति को उसकी धार्मिक पृष्ठभूमि के बावजूद सुबुध का अभ्यास करने की अनुमति है।
3. दिव्य ऊर्जा (Divine Energy): बापक सुबुध के अनुसार, ब्रह्मांड की सारी रचनाओं में एक दिव्य ऊर्जा का प्रवाह होता है। इस ऊर्जा के साथ जुड़ने और इसे अपने भीतर अनुभव करने से व्यक्ति को आंतरिक शांति और ज्ञान प्राप्त होता है।
4. आध्यात्मिक स्वतंत्रता: बापक की एक प्रमुख शिक्षा थी कि व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से स्वतंत्र होना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि किसी भी धर्म, गुरु या संगठन के बंधनों से परे जाकर व्यक्ति को अपनी आत्मा की आवाज सुननी चाहिए।
बापक सुबुध की पुस्तकें:
बापक सुबुध ने कई आध्यात्मिक किताबें और लेख लिखे, जिनमें उन्होंने अपनी शिक्षाओं और विचारों को विस्तार से प्रस्तुत किया है। उनकी कुछ प्रमुख किताबें निम्नलिखित हैं:
1. "जीवन के प्रश्न" (The Questions of Life): इस पुस्तक में बापक सुबुध ने जीवन, आत्मा और आध्यात्मिक जागरण से जुड़े प्रश्नों पर अपने विचार साझा किए हैं। यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो जीवन के गहरे अर्थ को समझने के इच्छुक हैं।
2. "लातिहान के अनुभव" (Experiences of Latihan): इस किताब में बापक ने लातिहान की प्रक्रिया और इसके परिणामों का विवरण दिया है। इसमें उन लोगों के अनुभव भी शामिल हैं, जिन्होंने इस साधना के माध्यम से आध्यात्मिक जागरण का अनुभव किया है।
3. "सुबुध और ईश्वर की आवाज़" (Subud and the Voice of God): इस पुस्तक में बापक सुबुध ने यह समझाने की कोशिश की है कि कैसे लातिहान के माध्यम से व्यक्ति ईश्वर या दिव्य शक्ति की आवाज को सुन सकता है और अपने जीवन को बेहतर बना सकता है।
4. "सुबुध का मार्ग" (The Path of Subud): यह पुस्तक सुबुध की शिक्षाओं और आध्यात्मिक मार्ग का विस्तृत विवरण देती है। इसमें बापक ने यह समझाया है कि कैसे लातिहान के माध्यम से व्यक्ति आत्म-ज्ञान और ईश्वर से निकटता प्राप्त कर सकता है।
बापक सुबुध की प्रमुख पुस्तकों का सारांश इस प्रकार है:
1. "जीवन के प्रश्न" (The Questions of Life)
इस पुस्तक में बापक सुबुध ने जीवन से जुड़े बुनियादी और गहन प्रश्नों का उत्तर देने की कोशिश की है। यह पुस्तक मानव अस्तित्व, आत्मा, और ईश्वर के साथ उसके संबंध पर केंद्रित है। बापक बताते हैं कि जीवन का वास्तविक उद्देश्य आत्मा का जागरण है, और इसे प्राप्त करने का मार्ग लातिहान के माध्यम से हो सकता है। इसमें यह भी बताया गया है कि कैसे भौतिक जीवन के साथ आध्यात्मिक जीवन में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
मुख्य बिंदु:
- आत्मा का जागरण और आत्म-साक्षात्कार
- जीवन का उद्देश्य और मानव का आंतरिक सत्य
- लातिहान के माध्यम से ईश्वर की निकटता
2. "लातिहान के अनुभव" (Experiences of Latihan)
यह पुस्तक लातिहान के आध्यात्मिक अभ्यास पर आधारित है, जिसमें इस साधना के अनुभवों का वर्णन किया गया है। इसमें बापक सुबुध के स्वयं के अनुभव और उन अनुयायियों के अनुभव शामिल हैं, जिन्होंने लातिहान के अभ्यास से आत्मिक जागरण का अनुभव किया। यह पुस्तक लातिहान की प्रक्रिया, उसके प्रभाव और इसके परिणामों का विवरण देती है।
मुख्य बिंदु:
- लातिहान की प्रक्रिया और अनुभव
- लातिहान का आध्यात्मिक महत्व
- साधकों के व्यक्तिगत अनुभव और उनकी जीवन में परिवर्तन
3. "सुबुध और ईश्वर की आवाज़" (Subud and the Voice of God)
इस पुस्तक में बापक सुबुध ने यह समझाने की कोशिश की है कि लातिहान के माध्यम से व्यक्ति ईश्वर की आवाज़ को कैसे सुन सकता है। बापक बताते हैं कि लातिहान एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए व्यक्ति अपनी आत्मा के माध्यम से ईश्वर या दिव्यता के संपर्क में आता है। पुस्तक में यह भी बताया गया है कि यह प्रक्रिया किसी भी धर्म विशेष से जुड़ी नहीं है, बल्कि एक सार्वभौमिक अनुभव है।
मुख्य बिंदु:
- लातिहान के माध्यम से ईश्वर की आवाज़ सुनने की क्षमता
- दिव्यता के संपर्क में आने की प्रक्रिया
- लातिहान का सार्वभौमिक और धर्म निरपेक्ष स्वरूप
4. "सुबुध का मार्ग" (The Path of Subud)
यह पुस्तक सुबुध आंदोलन और उसकी शिक्षाओं का संपूर्ण विवरण देती है। इसमें बापक ने यह समझाया है कि सुबुध का मार्ग किसी एक धर्म या परंपरा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सभी के लिए खुला है। पुस्तक में यह भी बताया गया है कि कैसे लातिहान के माध्यम से व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से प्रगति कर सकता है और अपने जीवन को अधिक शुद्ध और जागृत बना सकता है।
मुख्य बिंदु:
- सुबुध की शिक्षाएँ और सिद्धांत
- आध्यात्मिक प्रगति के लिए लातिहान का महत्व
- सुबुध का सार्वभौमिक और व्यावहारिक मार्ग
बापक सुबुध की पुस्तकें मुख्य रूप से लातिहान के अभ्यास और आध्यात्मिक जागरण पर केंद्रित हैं। वे बताते हैं कि लातिहान एक ऐसा आध्यात्मिक साधन है, जो किसी भी व्यक्ति को उसकी आत्मा के साथ जुड़ने और दिव्यता का अनुभव करने में सहायता कर सकता है। उनकी पुस्तकों में आत्म-साक्षात्कार, ईश्वर की आवाज़ सुनने की क्षमता, और जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक संतुलन बनाए रखने पर बल दिया गया है।
लातिहान की प्रक्रिया का विस्तृत वर्णन:
लातिहान (Latihan) बापक सुबुध द्वारा सुझाया गया एक विशेष प्रकार का आध्यात्मिक अभ्यास है, जिसे आत्म-ज्ञान और आत्मा के जागरण के लिए किया जाता है। यह एक सहज और स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसमें कोई विशेष तकनीक, मंत्र, योग या ध्यान की आवश्यकता नहीं होती। इसका उद्देश्य व्यक्ति को उसकी आंतरिक आत्मा के साथ जोड़ना और ईश्वर या दिव्य शक्ति से संपर्क में लाना है।
लातिहान की प्रक्रिया:
लातिहान की प्रक्रिया सरल है, लेकिन इसे करना एक गहरा और व्यक्तिगत अनुभव होता है। इसे आमतौर पर समूह में किया जाता है, लेकिन इसे व्यक्तिगत रूप से भी किया जा सकता है। लातिहान के दौरान, साधक किसी बाहरी निर्देश या सोच-विचार पर ध्यान केंद्रित नहीं करता, बल्कि खुद को पूरी तरह से ईश्वर या दिव्यता के हवाले कर देता है। नीचे लातिहान की प्रक्रिया के चरणों का विस्तृत वर्णन किया गया है:
1. तैयारी और समर्पण:
लातिहान प्रारंभ करने से पहले व्यक्ति को खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करना होता है। यह तैयारी मुख्य रूप से एक सरल और शांतिपूर्ण वातावरण में की जाती है। व्यक्ति एक स्थान पर खड़ा होता है या बैठता है, जहाँ कोई बाधा या विकर्षण न हो। मन को शांत करके, साधक खुद को ईश्वर या दिव्यता के समक्ष समर्पित करता है और अपने अंदर यह भावना उत्पन्न करता है कि वह पूरी तरह से दिव्य शक्ति के हाथों में है।
समर्पण का मंत्र: साधक मन में यह संकल्प करता है कि, "हे परमात्मा, मैं खुद को आपके हवाले करता हूँ। मुझे आपकी दिव्य इच्छा के अनुसार मार्गदर्शन मिले।" इस तरह के विचार के साथ व्यक्ति लातिहान की शुरुआत करता है।
2. शरीर को मुक्त छोड़ना (Physical Relaxation):
लातिहान की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के योगासन, शारीरिक क्रियाओं, या ध्यान की कोई निश्चित विधि नहीं होती। साधक को अपने शरीर को पूरी तरह से ढीला और मुक्त छोड़ने की आवश्यकता होती है। उसे किसी प्रकार की क्रिया या मुद्रा को नियंत्रित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, बल्कि अपने शरीर को स्वाभाविक रूप से जो महसूस हो, उसे होने देना चाहिए।
3. आंतरिक ध्यान (Inner Attention):
लातिहान का असली अभ्यास तब शुरू होता है जब साधक अपनी आंतरिक आत्मा पर ध्यान केंद्रित करता है। इस दौरान किसी प्रकार के विचारों, संकल्पों, या अपेक्षाओं को छोड़ दिया जाता है। व्यक्ति का ध्यान पूरी तरह से अपने आंतरिक अनुभव पर होता है, और वह अपनी आत्मा के माध्यम से ईश्वर से जुड़ने की कोशिश करता है।
4. आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह (Flow of Spiritual Energy):
जैसे-जैसे साधक लातिहान के दौरान शांत और समर्पित अवस्था में होता है, उसके भीतर एक दिव्य ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है। यह ऊर्जा व्यक्ति के भीतर बिना किसी प्रयास के स्वाभाविक रूप से प्रवाहित होती है। इस अवस्था में व्यक्ति कई तरह की शारीरिक और मानसिक क्रियाओं का अनुभव कर सकता है, जैसे:
- शारीरिक गति: कुछ साधक स्वाभाविक रूप से नृत्य, चलने या हिलने की प्रवृत्ति का अनुभव कर सकते हैं।
- आवाजें: साधक अपने आप विभिन्न ध्वनियाँ निकाल सकता है, जैसे कि गाना, रोना, हँसना या प्रार्थना करना।
- भावनाएँ: व्यक्ति को विभिन्न भावनात्मक अनुभव हो सकते हैं, जैसे खुशी, शांति, या कभी-कभी रोने या भावुक होने की भावना।
यह सभी क्रियाएँ व्यक्ति की आंतरिक स्थिति के अनुसार स्वाभाविक रूप से होती हैं, और इन्हें नियंत्रित करने या रोकने की आवश्यकता नहीं होती।
5. समाप्ति (Completion):
लातिहान की अवधि आमतौर पर 30 से 60 मिनट के बीच होती है, लेकिन इसमें कोई निश्चित समय सीमा नहीं होती। जब साधक महसूस करता है कि लातिहान की प्रक्रिया पूरी हो गई है, तो वह धीरे-धीरे इस अवस्था से बाहर आता है। इसके बाद साधक धन्यवाद की भावना के साथ अपनी साधना को समाप्त करता है, जैसे कि उसने ईश्वर से जो प्राप्त किया, उसके लिए कृतज्ञता प्रकट करता है।
6. पोस्ट-लातिहान (Post-Latihan):
लातिहान समाप्त होने के बाद, साधक आमतौर पर कुछ समय के लिए शांत बैठता है और अपने अनुभवों को आत्मसात करता है। लातिहान के बाद किसी प्रकार का विश्लेषण करने की आवश्यकता नहीं होती। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि लातिहान के अनुभव व्यक्तिगत होते हैं, और प्रत्येक व्यक्ति को इसका अलग-अलग अनुभव हो सकता है।
लातिहान के प्रमुख बिंदु:
1. कोई पूर्वनिर्धारित प्रक्रिया नहीं: लातिहान किसी विशेष विधि, प्रक्रिया या संस्कार से जुड़ा नहीं है। इसमें कोई मंत्र, प्रार्थना, या शारीरिक आसन की आवश्यकता नहीं होती। यह पूरी तरह से व्यक्ति की आंतरिक आत्मा और दिव्यता के बीच का संबंध है।
2. सहज और स्वाभाविक प्रक्रिया: लातिहान का अभ्यास स्वाभाविक रूप से होता है। व्यक्ति को अपने शरीर और मन को पूरी तरह से छोड़ देना चाहिए और दिव्य शक्ति को अपना मार्गदर्शन करने देना चाहिए।
3. कोई धार्मिक बंधन नहीं: लातिहान किसी भी धर्म, पंथ या धार्मिक नियमों से बंधा नहीं है। यह पूरी तरह से आध्यात्मिक अनुभव है, जिसे कोई भी व्यक्ति अपनी धार्मिक पृष्ठभूमि से हटकर कर सकता है।
4. आध्यात्मिक जागरूकता: लातिहान का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को उसकी आत्मा से जोड़ना और उसे दिव्यता का अनुभव कराना है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपनी आत्मा को जागृत कर सकता है और आंतरिक शांति प्राप्त कर सकता है।
लातिहान एक गहन और व्यक्तिगत आध्यात्मिक अनुभव है, जो बापक सुबुध की शिक्षाओं का प्रमुख हिस्सा है। यह किसी धार्मिक अनुष्ठान या पारंपरिक ध्यान पद्धति से अलग है, क्योंकि इसमें व्यक्ति को किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक गतिविधियों पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती। लातिहान का उद्देश्य व्यक्ति को उसकी आत्मा के माध्यम से ईश्वर या दिव्य शक्ति से जुड़ने का मार्ग दिखाना है।
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