चक्र ध्यान (Chakra Meditation)
MEDITATION TECHNIQUES
11/21/20241 मिनट पढ़ें
चक्र ध्यान (Chakra Meditation)
चक्र ध्यान (Chakra Meditation) एक प्राचीन योग विधि है जो शरीर में स्थित सात मुख्य ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को संतुलित और सक्रिय करने के लिए की जाती है। यह ध्यान विधि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है। चक्र ध्यान का उद्देश्य प्रत्येक चक्र में प्रवाहित ऊर्जा को जागृत कर जीवन में शांति, संतुलन और सकारात्मकता लाना है।
चक्र ध्यान की तैयारी
चक्र ध्यान प्रारंभ करने से पहले कुछ तैयारियां करना आवश्यक है:
1. शांत स्थान चुनें: ऐसा स्थान चुनें जहां शांति हो और कोई व्यवधान न हो।
2. आरामदायक आसन: सुखासन, पद्मासन या कोई भी आरामदायक मुद्रा में बैठें। रीढ़ की हड्डी सीधी रखें।
3. सांस पर ध्यान दें: ध्यान शुरू करने से पहले गहरी सांस लें और अपने मन को शांत करें।
सात चक्र और उनका स्थान
1. मूलाधार चक्र (Root Chakra): रीढ़ की हड्डी के निचले भाग में स्थित।
o मंत्र: "लं"
o रंग: लाल
o तत्व: पृथ्वी
o ध्यान विधि: अपनी ध्यान ऊर्जा को इस चक्र पर केंद्रित करें। इसे स्थिरता और सुरक्षा का स्रोत मानें।
2. स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral Chakra): नाभि के नीचे, जननेंद्रियों के पास।
o मंत्र: "वं"
o रंग: नारंगी
o तत्व: जल
o ध्यान विधि: अपनी रचनात्मकता और भावनाओं पर ध्यान दें। चक्र से आने वाले ऊर्जा प्रवाह को अनुभव करें।
3. मणिपुर चक्र (Solar Plexus Chakra): नाभि के पास।
o मंत्र: "रं"
o रंग: पीला
o तत्व: अग्नि
o ध्यान विधि: अपने आत्मविश्वास और शक्ति को महसूस करें। इस चक्र को ऊर्जा से भरें।
4. अनाहत चक्र (Heart Chakra): हृदय के पास।
o मंत्र: "यं"
o रंग: हरा
o तत्व: वायु
o ध्यान विधि: प्रेम, करुणा और संतुलन की भावना पर ध्यान दें। इस चक्र को खोलने की कल्पना करें।
5. विशुद्ध चक्र (Throat Chakra): गले के पास।
o मंत्र: "हं"
o रंग: नीला
o तत्व: आकाश
o ध्यान विधि: अपनी अभिव्यक्ति और संचार पर ध्यान दें। अपनी सच्चाई बोलने की शक्ति को महसूस करें।
6. आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra): भौहों के बीच।
o मंत्र: "ओम"
o रंग: जामुनी (इंडिगो)
o तत्व: प्रकाश
o ध्यान विधि: अपनी अंतर्दृष्टि और चेतना पर ध्यान केंद्रित करें। आत्मा के ज्ञान का अनुभव करें।
7. सहस्रार चक्र (Crown Chakra): सिर के शीर्ष पर।
o मंत्र: मौन ध्यान या "ओम"
o रंग: बैंगनी या सफेद
o तत्व: दिव्यता
o ध्यान विधि: ब्रह्मांड से जुड़ने और आत्मिक ज्ञान को अनुभव करने की कल्पना करें।
चक्र ध्यान की विधि
1. श्वास ध्यान (Breath Awareness): गहरी सांस लें और छोड़ें। अपने शरीर को शांत करें।
2. एक चक्र पर ध्यान केंद्रित करें: सबसे पहले मूलाधार चक्र से शुरुआत करें और ध्यान केंद्रित करें।
3. मंत्र का जाप करें: संबंधित चक्र के बीज मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र को धीमी और शांत गति से दोहराएं।
4. रंग की कल्पना करें: चक्र के रंग की कल्पना करें और उसे अपने शरीर में फैलता हुआ देखें।
5. ऊर्जा प्रवाह का अनुभव करें: उस चक्र से ऊर्जा का प्रवाह महसूस करें। इसे सकारात्मक और शुद्ध ऊर्जा के रूप में देखें।
6. क्रमिक चक्रों पर जाएं: एक-एक करके सभी चक्रों पर ध्यान केंद्रित करें।
ध्यान के बाद
· शांत रहें: ध्यान समाप्त होने के बाद थोड़ी देर आंखें बंद रखें।
· अनुभव को आत्मसात करें: ध्यान के दौरान हुए अनुभवों को महसूस करें और उन्हें अपने जीवन में शामिल करें।
· आभार प्रकट करें: अपने भीतर की ऊर्जा और ब्रह्मांड के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें।
चक्र ध्यान के लाभ
1. शारीरिक स्वास्थ्य: ऊर्जा केंद्रों के संतुलन से रोगों का निवारण होता है।
2. मानसिक शांति: ध्यान तनाव और चिंता को कम करता है।
3. आध्यात्मिक जागरूकता: आत्मज्ञान और ब्रह्मांडीय चेतना में वृद्धि होती है।
4. भावनात्मक संतुलन: यह ध्यान क्रोध, डर और नकारात्मकता को दूर करता है।
5. रचनात्मकता और अभिव्यक्ति: चक्र ध्यान से व्यक्ति अपनी रचनात्मकता और अभिव्यक्ति को बेहतर करता है।
चक्र ध्यान को नियमित रूप से करने से ऊर्जा संतुलित होती है और व्यक्ति अपने जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने में सक्षम होता है। इसे धैर्य और अनुशासन के साथ करें ताकि गहरे लाभ प्राप्त हो सकें।
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