दरवेश नृत्य
"समा या ध्यान नृत्य "
MEDITATION TECHNIQUES
11/10/20241 मिनट पढ़ें
दरवेश नृत्य
दरवेश नृत्य, जिसे "समा" या "ध्यान नृत्य" भी कहा जाता है, सूफी परंपरा का एक अद्भुत ध्यान तकनीक है। इस नृत्य का आरंभ रूमी और उनके अनुयायियों ने किया था। समा नृत्य का उद्देश्य आत्मा को ईश्वर से जोड़ना और उस परमानंद की स्थिति तक पहुँचना है, जहाँ व्यक्ति अपने सारे भौतिक बंधनों से मुक्त हो जाता है। यह नृत्य एक प्रकार का ध्यान है जिसमें संगीत, शांति और नृत्य का अद्भुत संगम होता है।
दरवेश नृत्य की विधि इस प्रकार है:
1. तैयारी और परिधान
- नृत्य आरंभ करने से पहले सभी दरवेश सफेद लम्बा वस्त्र पहनते हैं, जिसे "तन्युरा" कहा जाता है, और सिर पर एक लंबी टोपी पहनते हैं जिसे "सिक्के" कहते हैं।
- सफेद वस्त्र जीवन के अंत का प्रतीक माना जाता है, जबकि टोपी कब्र के पत्थर का प्रतीक होती है। यह इस बात का प्रतीक है कि नृत्य के दौरान व्यक्ति अपनी सांसारिक पहचान को छोड़कर आध्यात्मिकता में प्रवेश करता है।
2. मंत्र का उच्चारण और प्रार्थना
- नृत्य की शुरुआत "फातेहा" (प्रारंभिक प्रार्थना) से होती है। यह प्रार्थना सूफियों के लिए आशीर्वाद की प्राप्ति का प्रतीक होती है।
- इसके बाद, सभी दरवेश एक गोले में खड़े होते हैं और गुरु की ओर झुककर सम्मान प्रकट करते हैं। यह समर्पण और अनुशासन का प्रतीक होता है।
3. संगीत और ताल का आरंभ
- समा में ढोल, बाँसुरी (नेय), और तानपुरा जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों का प्रयोग होता है। इन वाद्ययंत्रों की मधुर ध्वनि भक्तों को ईश्वर की ओर ले जाती है।
- संगीत धीरे-धीरे बढ़ता है और फिर स्थिर हो जाता है, ताकि दरवेश ध्यान की स्थिति में प्रवेश कर सकें।
4. घूमना और ध्यान की स्थिति
- दरवेश अपने दाएँ हाथ को ऊपर की ओर खोलते हैं, जैसे वे ईश्वर से ऊर्जा प्राप्त कर रहे हों, और बाएँ हाथ को नीचे की ओर रखते हैं, जो इस ऊर्जा को पूरे विश्व में बाँटने का प्रतीक है।
- इस मुद्रा में दरवेश एक ही स्थान पर खड़े-खड़े घूमना शुरू करते हैं। यह नृत्य गोल-गोल घूमते हुए चलता है, और इस दौरान दरवेश अपनी सांसों और हर घूम के प्रति जागरूक रहते हैं।
- नृत्य के दौरान दरवेश धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ाते हैं और गहरे ध्यान की अवस्था में प्रवेश कर जाते हैं।
5. भौतिकता से परे जाना
- नृत्य के दौरान दरवेश बाहरी दुनिया को भूल जाते हैं और अपनी आत्मा के गहरे तल पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- दरवेश मानते हैं कि इस स्थिति में पहुँचने पर, उनके सारे भ्रम और अहंकार समाप्त हो जाते हैं और वे ईश्वर के करीब महसूस करते हैं।
6. अंतिम चरण और शांत स्थिति
- जब दरवेश नृत्य की चरम स्थिति में पहुँच जाते हैं, तो संगीत धीरे-धीरे बंद हो जाता है। सभी दरवेश रुक जाते हैं और अपने स्थान पर खड़े हो जाते हैं।
- वे कुछ क्षणों के लिए खामोशी में खड़े रहते हैं, ताकि उस शांतिपूर्ण और दिव्य स्थिति को महसूस कर सकें जो नृत्य के दौरान उन्होंने पाई।
- यह समय ध्यान का एक विशेष क्षण होता है, जिसमें दरवेश अपनी आत्मा में परमात्मा की उपस्थिति का अनुभव करते हैं।
दरवेश नृत्य का महत्व
- ईश्वर से मिलन: दरवेश नृत्य का मुख्य उद्देश्य ईश्वर से मिलन और आत्मा की शुद्धि है।
- अहंकार का त्याग: नृत्य के दौरान दरवेश अपनी पहचान और अहंकार को छोड़कर, आत्मा की गहराई में प्रवेश करते हैं।
- दिव्य प्रेम का अनुभव: इस नृत्य में दरवेश ईश्वर के प्रति प्रेम को अपने पूरे शरीर और आत्मा से अनुभव करते हैं।
- मनोवैज्ञानिक और शारीरिक लाभ: नृत्य के माध्यम से वे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी प्राप्त करते हैं, क्योंकि यह नृत्य ध्यान की एक अवस्था है जो तनाव और चिंता को दूर करती है।
दरवेश नृत्य केवल एक भक्ति की क्रिया नहीं है, बल्कि एक ध्यान की उच्चतम स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपने मन, शरीर और आत्मा को परमात्मा के प्रेम में पूर्णतः खो देता है।
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