दीपक और धुआँ — सत्त्व की खोज
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8/5/20251 मिनट पढ़ें
दीपक और धुआँ — सत्त्व की खोज
📖 कहानी: दीपक और धुआँ — सत्त्व की खोज
⛰️ भूमि: एक ऋषि की कुटिया और तीन साधक
बहुत समय पहले की बात है। हिमालय की शांत वादियों में एक महान ऋषि रहते थे — ऋषि आत्मदीप। उनके पास दूर-दूर से साधक आत्मज्ञान की तलाश में आते थे। एक दिन तीन जिज्ञासु साधक उनके पास पहुँचे — मालव, कृपण, और शांतिलाल।
तीनों ने ऋषि से प्रार्थना की:
"हे गुरुदेव! हमें आत्मज्ञान की राह दिखाइए। हम जानना चाहते हैं – सच्चा सुख, शांति और प्रकाश क्या है?"
ऋषि मुस्कराए और बोले:
"तुम सबको एक-एक दीपक और तेल की एक बोतल दी जाती है। पर्वत के उस पार एक गुफा है — वहाँ जाकर दीपक जलाओ और तीन दिन वहाँ बिताओ। फिर लौटकर बताओ क्या पाया। यही तुम्हारी परीक्षा है।"
🧍♂️ मालव — तमस का प्रतिनिधि
मालव ने दीपक लिया और गुफा में पहुँचा। लेकिन वह आलसी था। उसने दीपक जलाया नहीं। अंधेरे में ठोकरें खाता रहा, डर गया, और बोतल के तेल को बर्बाद कर दिया। दो दिन बाद ही लौट आया।
उसने कहा,
"गुफा बहुत अंधेरी थी, वहाँ डर, ठंड और भ्रम के सिवा कुछ नहीं था।"
ऋषि बोले,
"बेटा, जो स्वयं दीपक नहीं जलाता, वह रोशनी की उम्मीद कैसे करे?"
🏃♂️ कृपण — रजस का प्रतिनिधि
कृपण ने दीपक जलाया, परंतु उसके मन में यह भावना थी — "मुझे सबसे पहले लौटना है, गुरु को प्रभावित करना है।" वह लगातार दीपक को तेज़ जलाता रहा, तेल उड़ेलता रहा, ताकि ज्योति बड़ी दिखे।
तीसरे दिन जब वह लौटा, तब तक दीप बुझ चुका था और तेल भी समाप्त।
उसने कहा,
"मैंने दीपक को खूब तेज़ जलाया, लेकिन आख़िरी दिन मैं अंधेरे में ही बैठा रहा।"
ऋषि बोले,
"जो दिखावे के लिए जलता है, वह अंत में स्वयं बुझ जाता है।"
🙏 शांतिलाल — सत्त्व का प्रतिनिधि
शांतिलाल गुफा पहुँचा। धीरे से दीपक जलाया, तेल का संतुलित उपयोग किया। गुफा की शांति में बैठकर ध्यान किया, स्वाध्याय किया। तीसरे दिन जब लौटा, दीपक अब भी जल रहा था।
उसने कहा:
"मैंने देखा कि अंधकार कोई शत्रु नहीं था, वह तो केवल प्रकाश की अनुपस्थिति थी। जब दीप जलाया, तो भय, भ्रम और अशांति स्वयं चली गई। और सबसे बड़ी बात — उस गुफा में, मैं पहली बार स्वयं को देखा।"
ऋषि ने भावुक होकर कहा:
"वत्स, तूने सत्त्व का दीप जलाया है। अब तू न केवल स्वयं रोशन है, बल्कि दूसरों का भी दीप बन सकता है। यही आत्मज्ञान की पहली सीढ़ी है।"
🌟 कहानी का संदेश: सत्त्व गुण क्या सिखाता है?
🔥 दीपक आत्मा – जो प्रकाश देने को तत्पर है
🛢️ तेल सत्त्व – जो दीप को स्थिरता और जीवन देता है
🌌 गुफा मन – जहाँ अंधकार और प्रकाश का संघर्ष चलता है
🪔 प्रकाश आत्म-ज्ञान – जो सबकुछ साफ़ कर देता है
🌿 सत्त्व गुण को बढ़ाने की प्रेरणा:
दीपक जैसे बनो – भीतर से रोशन, बाहर से शांति देने वाले।
तेल बचाओ – संयम रखो, हर कर्म विवेक से करो।
गुफा में जाओ – अपने भीतर उतरने से मत डरना।
धीरे जलो, गहराई से जलो – सत्त्व धीरे-धीरे विकसित होता है, तेज़ जलाने से बुझ जाता है।
🙏 निष्कर्ष:
"सत्त्व गुण वह दीपक है जो मन की गुफा में जलता है, और जब वह स्थिर होता है — आत्मा स्वयं को पहचान लेती है।"
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