प्रलय की महता

प्रलय क्या है ?

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10/10/20241 मिनट पढ़ें

कम्प्यूटर: आधुनिक युग की सबसे बड़ी खोज

आधुनिक युग की सबसे बड़ी और क्रांतिकारी खोजों में से एक है कम्प्यूटर। इसकी सहायता से आज हम जटिल से जटिल गणनाएँ और कार्य कुछ ही पलों में पूर्ण कर सकते हैं। कम्प्यूटर के माध्यम से हमें न केवल तेजी से परिणाम मिलते हैं, बल्कि वे सटीक और विश्वसनीय भी होते हैं।

आज का मानव, कम्प्यूटर और मोबाइल फोन के साथ इंटरनेट के माध्यम से संसार की किसी भी जानकारी तक शीघ्रता से पहुँच सकता है। हालांकि, यह भी एक सच्चाई है कि इतनी अधिक जानकारी होते हुए भी, हम इसका सही और संतुलित उपयोग करने में कई बार असफल रहते हैं।

पृथ्वी और प्रकृति का संतुलन

अगर हम धरती की संरचना और प्राकृतिक संतुलन पर ध्यान दें, तो यह समझ में आता है कि पृथ्वी भी एक तरह के तराजू के समान काम करती है। कहीं पानी है तो कहीं स्थल। जब किसी एक हिस्से पर अधिक भार पड़ता है, तो वह हिस्सा धीरे-धीरे धँसने लगता है, और किसी समय ऐसा भी हो सकता है कि वह पूरा का पूरा जलमग्न हो जाए। इसी तरह, अगर जलमग्न हिस्सा हल्का हो जाए, तो वह पुनः उभर कर जल से ऊपर आ सकता है।

यह संतुलन प्रकृति के चक्र का हिस्सा है। जब एक हिस्सा भारी होता है, वह नीचे चला जाता है, और हल्का हिस्सा ऊपर उठ जाता है। यही प्रक्रिया प्राकृतिक आपदाओं जैसे प्रलय की कहानी भी कहती है।

प्रलय का संकेत और मानवता का हस्तक्षेप

समाचारों में अक्सर हमें समुद्र के जल स्तर के बढ़ने की खबरें सुनने को मिलती हैं। परंतु क्या यह भी संभव नहीं कि भूमि नीचे धँस रही हो? हम अपनी आधुनिक इच्छाओं को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन कर रहे हैं। हम समुद्र से तेल और गैस निकालकर समुद्र को हल्का बना रहे हैं, जबकि भूमि पर भारी निर्माण और संसाधनों का संग्रहण कर रहे हैं। इसका परिणाम यह हो सकता है कि एक दिन भूमि इतनी भारी हो जाए कि वह समुद्र में धँस जाए, और समुद्र का हल्का हिस्सा ऊपर उठ आए। यही प्रलय की स्थिति होगी।

प्रलय के बाद की दुनिया

यदि प्रलय हो जाए, तब भी कुछ लोग संभवतः बच सकते हैं। उन बचे हुए लोगों के पास आधुनिक जीवन के सभी ज्ञान और अनुभव होंगे—जैसे आग जलाना, फसल उगाना, भोजन पकाना, कम्प्यूटर का उपयोग, पेड़-पौधों और पशुओं के बारे में जानकारी। परंतु सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि उनके पास इन ज्ञानों का उपयोग करने के लिए संसाधन नहीं होंगे।

संयोग से, यदि एक स्त्री और पुरुष का जोड़ा प्रलय से बच जाता है, तो वे अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ा सकते हैं। परंतु उनकी संतानों के लिए यह समस्त आधुनिक ज्ञान केवल कहानियों के रूप में रह जाएगा, जिसे वे अपनी अगली पीढ़ी को सुनाएँगे। यह ज्ञान श्रुति के रूप में आगे बढ़ेगा, परंतु पुनः मानवता अपनी विकास यात्रा को दोहराने पर मजबूर होगी।

मानवता और प्रलय का चक्र

इतिहास अपने आप को दोहराता है। कुछ लोग धर्म, जाति, देश और वंश को लेकर हमेशा बहस करते रहेंगे और वही पुरानी गलतियाँ दोहराते रहेंगे जो उनके पूर्वजों ने की थीं। इस प्रकार, मानवता अनजाने में प्रलय को स्वयं आमंत्रण देती रहेगी। यह एक चक्र है, जो चलता रहेगा।