दूर वो घर है

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10/22/20251 मिनट पढ़ें

दूर वो घर है, कै गावै कुछ समझ दिवाने मुश्किल गह विसरर है ।

दूर वो घर है, कै गावै कुछ समझ दिवाने मुश्किल गह विसरर है ।।

प्रहलाद धणी की धूनपर तजा दैह का डर है |

हो महादेव ने भरवा हलाहल बोरा आठ पहर है |

कै गावै कुछ समझ दिवाने मुश्किल गह विसरर है ||

दूर वो घर है, कै गावै कुछ समझ दिवाने मुश्किल गह विसरर है |

दूर वो घर है, कै गावै कुछ समझ दिवाने मुश्किल गह विसरर है ।।

गोपीचन्द, गुरु गोरख, भृतहरि, जिन्हे लिया ठैकरा कर है |

दास कबीर न सत नहीं छोडा दिया सब अस्तर है||

दूर वो घर है, कै गावै कुछ समझ दिवाने मुश्किल गह विसरर है |

दूर वो घर है, कै गावै कुछ समझ दिवाने मुश्किल गह विसरर है ।।

मंसूरा सूली पर चढ़या, जब पहुंचा उस दर है |

शेख फरीद कुए के अन्दर काया गया विसरर है ||

दूर वो घर है, कै गावै कुछ समझ दिवाने मुश्किल गह विसरर है |

दूर वो घर है, कै गावै कुछ समझ दिवाने मुश्किल गह विसरर है ।।

सुल्तानी साहिब मिलनै को तजा माया, माल और जर है |

घर-घर भिख मगन हो मांगी रब ईश्क कै पर है ||

दूर वो घर है, कै गावै कुछ समझ दिवाने मुश्किल गह विसरर है |

दूर वो घर है, कै गावै कुछ समझ दिवाने मुश्किल गह विसरर है ।।

नामदेव तन त्यागन लागा, पिया दूध पत्थर है |

पीपा जा द्वारका पर से कूद पड़ा सागर है ||

दूर वो घर है, कै गावै कुछ समझ दिवाने मुश्किल गह विसरर है |

दूर वो घर है, कै गावै कुछ समझ दिवाने मुश्किल गह विसरर है ।।

भजन का अर्थ हमारे मन और हृदय में स्पष्ट हो जाए। हम इसे पद दर पद, भावार्थ और प्रतीकात्मक अर्थ सहित समझेंगे।

🌅 मुख्य पंक्ति

“दूर वो घर है, कै गावै कुछ समझ दिवाने, मुश्किल गह विसरर है”

सरल अर्थ:

  • “वो घर” — परमात्मा का घर, या ईश्वर का वास्तविक स्थान।

  • “दिवाना” — जो व्यक्ति सच्चे प्रेम और भक्ति में डूबा हुआ है।

  • “मुश्किल गह विसरर है” — यह मार्ग आसान नहीं है, बहुत कठिनाइयाँ और त्याग आवश्यक हैं।

संदेश:
ईश्वर की प्राप्ति केवल भौतिक सुखों और बाहरी कर्मकांड से नहीं होती। इसके लिए असली प्रेम, त्याग और समर्पण चाहिए।

🌿 पहला पद:

“प्रह्लाद धणी की धून पर तजा दैह का डर है |
हो महादेव ने भरवा हलाहल बोरा आठ पहर है |”

सरल अर्थ:

  • प्रह्लाद ने ईश्वर का प्रेम करते हुए मृत्यु का डर छोड़ दिया।

  • महादेव (शिव) ने सारा विष अपने ऊपर धारण किया, ताकि संसार सुरक्षित रहे।

प्रतीक अर्थ:

  • भक्ति में सच्चा प्रेम शरीर या मृत्यु के भय से परे होता है।

  • कभी-कभी हमें दूसरों की भलाई के लिए कष्ट और त्याग सहना पड़ता है।

संदेश:
सच्चा भक्ति मार्ग डर और भय से मुक्त होता है।

🌾 दूसरा पद:

“गोपीचन्द, गुरु गोरख, भृतहरि, जिन्हे लिया ठैकरा कर है |
दास कबीर न सत नहीं छोड़ा, दिया सब अस्तर है ||”

सरल अर्थ:

  • राजा गोपिचंद, गुरु गोरख, भृतहरि ने अपने वैभव और आराम को छोड़कर गुरु की शरण ली।

  • कबीर दास ने संसार के झूठे मान और प्रतिष्ठा को त्याग दिया।

प्रतीक अर्थ:

  • सच्चा साधक वह है जो धन, शक्ति और अहंकार छोड़कर केवल सत्य और प्रेम की खोज करता है।

संदेश:
ईश्वर या सत्संग की प्राप्ति के लिए त्याग अनिवार्य है।

🔥 तीसरा पद:

“मंसूरा सूली पर चढ़या, जब पहुंचा उस दर है |
शेख फरीद कुए के अन्दर काया गया विसरर है ||”

सरल अर्थ:

  • मंसूर ने “मैं ही सत्य हूँ” कहकर अपने जीवन को ईश्वर में विलीन कर दिया।

  • शेख फरीद ने इतनी भक्ति की कि शरीर का अहसास ही खो गया।

प्रतीक अर्थ:

  • सच्ची भक्ति शरीर और अहंकार से ऊपर उठकर होती है।

  • ईश्वर की प्राप्ति में पूर्ण समर्पण आवश्यक है।

संदेश:
ईश्वर के प्रेम में पूरी आत्मा लीन हो जाए तो मृत्यु और भय का कोई अर्थ नहीं रह जाता।

💰 चौथा पद:

“सुल्तानी साहिब मिलनै को तजा माया, माल और जर है |
घर-घर भिख मगन हो मांगी, रब ईश्क कै पर है ||”

सरल अर्थ:

  • सुल्तान ने धन, शक्ति, और माया को छोड़ दिया और भक्ति में मग्न हो गया।

प्रतीक अर्थ:

  • ईश्वर का प्रेम पाने के लिए भौतिक वस्तुएँ और अहंकार छोड़ना जरूरी है।

संदेश:
ईश्वर केवल प्रेम से प्राप्त होता है, धन और वैभव से नहीं।

🌊 पाँचवाँ पद:

“नामदेव तन त्यागन लागा, पिया दूध पत्थर है |
पीपा जा द्वारका पर से कूद पड़ा सागर है ||”

सरल अर्थ:

  • नामदेव जी ने पत्थर में भी भगवान देखा और प्रेम से भरा।

  • पीपा जी ने द्वारका से सागर में कूदकर ईश्वर के लिए पूर्ण समर्पण दिखाया।

प्रतीक अर्थ:

  • सच्चा प्रेम और भक्ति में कोई सीमा नहीं होती।

  • जहां प्रेम है, वहां भय और लोभ की कोई जगह नहीं

संदेश:
सच्ची भक्ति पूर्ण समर्पण और निस्वार्थ प्रेम से होती है।

🌺 अंतिम सार:

यह भजन हमें सिखाता है कि ईश्वर या सत्संग का मार्ग कठिन है,
लेकिन जो प्रेम, त्याग और समर्पण के साथ चलता है, वही "घर" (परमात्मा) तक पहुँचता है।
मार्ग कठिन इसलिए है, क्योंकि हम अपने अहंकार, भय, माया और लोभ से बंधे हुए हैं।

🌅 कहानी: सोवनिया का जागरण

एक समय की बात है, सोवनिया नाम का एक युवक गाँव में रहता था। वह सुंदर घरों, धन-सम्पत्ति और भोग-विलास में मग्न था। लेकिन उसे यह पता नहीं था कि जीवन का असली लक्ष्य सिर्फ माया और सुख नहीं है।

🕊️ पहला मोड़: चेतावनी

एक दिन गाँव के बुजुर्ग ने कहा:
"सोवनिया! जाग जा, तेरी गाँठ कट रही है। तेरी पूँजी, तेरे अच्छे कर्म, तेरे भीतर का प्रकाश धीरे-धीरे लुप्त हो रहा है।"
सोवनिया ने पहले तो इसे मजाक समझा। उसने कहा, “कौन सोचता है मृत्यु और ईश्वर के बारे में?” लेकिन यह शब्द उसके हृदय में जैसे बीज गिर गए।

💰 दूसरा मोड़: साहूकार और चोर

वह बुजुर्ग समझाने लगे:
"देखो, तुम्हारे भीतर परमात्मा ने तुम्हें जीवन और शक्ति दी है, पर तुमने अपने मन का ताला बंद कर रखा है। और वहां चोर — क्रोध, लोभ, अहंकार — आकर तुम्हारे भीतर की पूँजी चुरा रहे हैं।"
सोवनिया समझ गया कि वह केवल बहार के सुख में मग्न था और उसका सच्चा जीवन खोता जा रहा था।

🔥 तीसरा मोड़: महान संतों से सीख

उस गाँव में कई संतों की कथाएँ थीं — प्रह्लाद, महादेव, गोपीचंद, गुरु गोरख, कबीर, मंसूर, फरीद, नामदेव और पीपा
सोवनिया ने सुना कि ये सभी अपने जीवन में माया, भय और अहंकार को त्यागकर केवल ईश्वर में मग्न हो गए।

  • प्रह्लाद ने मृत्यु का भय त्यागा।

  • महादेव ने संसार के लिए विष सहा।

  • कबीर ने अहंकार और प्रतिष्ठा को छोड़ा।

  • पीपा और नामदेव ने पूर्ण समर्पण दिखाया।

सोवनिया ने सोचा, “यदि मैं भी ईश्वर का प्रेम पाना चाहता हूँ, तो मुझे भी अपने जीवन से सभी बंधन, भय और लोभ निकालने होंगे।”

🌊 चौथा मोड़: जागरण और यात्रा

सोवनिया ने अपनी सच्ची यात्रा शुरू की। उसने

  • भौतिक सुखों को त्यागा,

  • अपने भीतर के अहंकार, क्रोध और मोह को पहचान कर उन्हें त्यागा,

  • प्रेम, भक्ति और सत्संग में समय लगाया।

धीरे-धीरे वह अनुभव करने लगा कि ईश्वर उसका भीतर ही बसे हैं, बाहरी संसार में नहीं। उसे अब डर नहीं था, क्योंकि उसने जीवन के असली खजाने — प्रेम, भक्ति और आत्मा का ज्ञान — को पाया।

🌟 अंतिम मोड़: ईश्वर का घर

अंततः सोवनिया ने समझा —
"वो घर जो दूर लगता था, वो मेरे भीतर ही है। मैं स्वयं उसे पा सकता हूँ। जो भक्ति, प्रेम और त्याग में जीवित है, वही उस घर तक पहुँचता है।"

और इसी जागरण में सोवनिया का जीवन बदल गया। अब वह न केवल स्वयं सुखी था, बल्कि दूसरों को भी सच्चे ज्ञान और प्रेम की ओर मार्गदर्शन करने लगा।

🌸 कहानी का संदेश:

1. जीवन की असली पूँजी हमारे भीतर के अच्छे कर्म, प्रेम और भक्ति हैं।

2. भौतिक सुख, लोभ, अहंकार और भय केवल हमारी ऊर्जा और चेतना को घटाते हैं।

3. महान संतों का जीवन हमें त्याग, प्रेम और समर्पण का मार्ग दिखाता है।

4. ईश्वर का घर “दूर” इसलिए लगता है क्योंकि हम स्वयं अपनी आंतरिक दृष्टि से अंधकार में हैं। जाग्रत हृदय से वही घर भीतर ही भीतर पाया जा सकता है।