कुंडलिनी कृत्य ध्यान (Dynamic Meditation)
"OSHO"
MEDITATION TECHNIQUES
1/6/20251 मिनट पढ़ें
कुंडलिनी कृत्य ध्यान (Dynamic Meditation)
कुंडलिनी ध्यान (Kundalini Meditation) ओशो द्वारा विकसित एक गहन ध्यान विधि है, जिसे "कृत्य ध्यान" (Dynamic Meditation) भी कहा जाता है। इसका उद्देश्य शरीर और मन के भीतर गहरी ऊर्जा को जागृत करना और उसे मुक्त करना है। यह ध्यान दिन के अंत में किया जाता है, जब शरीर और मन को तनाव और दिनभर की थकान से राहत देने की आवश्यकता होती है।
यह ध्यान चार चरणों में विभाजित है और इसे आमतौर पर 60 मिनट में पूरा किया जाता है। प्रत्येक चरण का एक विशेष उद्देश्य होता है, और इसमें सक्रियता, शिथिलता, और मौन का समावेश होता है।
कुंडलिनी ध्यान विधि के चार चरण
पहला चरण: कंपित होना (Shaking) - 15 मिनट
· विधि:
o आराम से खड़े हों, आंखें बंद रखें।
o अपने शरीर को स्वाभाविक रूप से हिलने दें। यह हिलना (shaking) स्वतःस्फूर्त होना चाहिए; इसे बलपूर्वक न करें।
o शरीर के हर हिस्से में कंपन (vibrations) को महसूस करें।
o गहरी सांस लें और ऊर्जा के प्रवाह को महसूस करें।
· उद्देश्य:
o शरीर और मन में फंसी हुई नकारात्मक ऊर्जा और तनाव को बाहर निकालना।
o यह चरण कुंडलिनी ऊर्जा को जागृत करने की प्रक्रिया की शुरुआत करता है।
दूसरा चरण: नृत्य (Dancing) - 15 मिनट
· विधि:
o संगीत की ताल पर पूरी स्वतंत्रता के साथ नृत्य करें।
o बिना किसी नियम या संरचना के नृत्य करें।
o जो भी भीतर से उमड़ रहा है, उसे शरीर के माध्यम से अभिव्यक्त करें।
· उद्देश्य:
o यह चरण रचनात्मकता और ऊर्जा को मुक्त करता है।
o नृत्य के माध्यम से आप अपने भीतर के दमन को तोड़ सकते हैं और स्वयं के साथ जुड़ सकते हैं।
तीसरा चरण: मौन ध्यान (Silence) - 15 मिनट
· विधि:
o चुपचाप बैठ जाएं या खड़े रहें।
o अपनी आंखें बंद रखें और अंदर की तरफ ध्यान केंद्रित करें।
o इस दौरान न तो हिलें और न ही किसी बाहरी गतिविधि में भाग लें।
o जो भी भावनाएं और विचार आते हैं, उन्हें बिना प्रतिक्रिया के देखें।
· उद्देश्य:
o शरीर और मन को गहरी शांति में ले जाना।
o जागरूकता को बढ़ाना और ध्यान की गहराई में उतरना।
चौथा चरण: विश्राम (Relaxation) - 15 मिनट
· विधि:
o फर्श पर लेट जाएं और पूरी तरह से शांत हो जाएं।
o अपने शरीर और मन को ढीला छोड़ दें।
o किसी भी प्रकार का प्रयास न करें; बस मौन और विश्राम का आनंद लें।
· उद्देश्य:
o यह चरण ध्यान के बाद की ऊर्जा को स्थिर करता है।
o मन और शरीर को गहन विश्राम और संतुलन प्रदान करता है।
महत्वपूर्ण निर्देश
1. यह ध्यान सुबह के समय या सूर्यास्त के बाद किया जा सकता है, जब वातावरण शांत हो।
2. इसे खाली पेट या हल्के भोजन के बाद करना बेहतर होता है।
3. ध्यान के दौरान आंखें बंद रखें (आवश्यकता हो तो ब्लाइंडफोल्ड का उपयोग करें)।
4. इसे समूह में या अकेले किया जा सकता है।
5. संगीत (विशेषकर ओशो द्वारा डिज़ाइन किया गया संगीत) का उपयोग प्रक्रिया को गहराई देने में मदद करता है।
लाभ
· तनाव और दमनकारी भावनाओं से मुक्ति।
· कुंडलिनी ऊर्जा को जागृत करना।
· शरीर और मन को संतुलित करना।
· आत्म-जागरूकता और आंतरिक शांति।
· दैनिक जीवन के तनावों को संभालने की क्षमता बढ़ाना।
यह ध्यान विधि अत्यंत शक्तिशाली है और इसे नियमित रूप से करने से गहरे परिवर्तन का अनुभव होता है।
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