प्रेम-कृपा ध्यान (Loving-Kindness Meditation)
“मेटा ध्यान” (Metta Meditation)
MEDITATION TECHNIQUES
11/19/20241 मिनट पढ़ें
प्रेम-कृपा ध्यान (Loving-Kindness Meditation)
प्रेम-कृपा ध्यान (Loving-Kindness Meditation), जिसे पाली भाषा में “मेटा ध्यान” (Metta Meditation) कहा जाता है, बौद्ध ध्यान परंपरा का एक प्रमुख अभ्यास है। इसका उद्देश्य मन में प्रेम, करुणा, और दयालुता की भावना को विकसित करना है। यह ध्यान अभ्यास हमें स्वयं के प्रति और दूसरों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करता है।
1. ध्यान के लिए स्थान और समय का चयन
- एक शांत और आरामदायक स्थान चुनें, जहाँ ध्यान के दौरान किसी प्रकार की बाधा न हो।
- यह ध्यान सुबह के समय, जब मन शांत होता है, करना सबसे उपयुक्त है।
- ध्यान करने के लिए 15-20 मिनट का समय निर्धारित करें।
2. आरामदायक मुद्रा अपनाएं
- एक आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं, जैसे कि सुखासन (क्रॉस-लेग्ड पोज़) या कुर्सी पर।
- रीढ़ सीधी रखें, और हाथ घुटनों पर आराम से रखें।
- आंखें बंद कर लें और कुछ गहरी सांसें लें ताकि मन शांत हो सके।
3. प्रारंभ स्वयं से करें
प्रेम-कृपा ध्यान में सबसे पहले स्वयं के प्रति प्रेम और करुणा का विकास किया जाता है।
1. अपने मन में यह वाक्य दोहराएं:
- "मैं सुखी रहूं।"
- "मैं स्वस्थ रहूं।"
- "मैं सुरक्षित रहूं।"
- "मैं शांति से रहूं।"
2. इन वाक्यों को दोहराते समय अपने मन में सकारात्मक भावनाएं उत्पन्न करें और इन्हें महसूस करें।
3. यदि मन भटकने लगे, तो धीरे-धीरे इसे वाक्यों और भावनाओं पर वापस लाएं।
4. प्रियजनों के लिए प्रेम-कृपा भेजें
- अब अपने किसी प्रिय व्यक्ति (जैसे माता-पिता, मित्र, गुरु) का ध्यान करें।
- उनके लिए प्रेम और दयालुता की भावना उत्पन्न करें।
- मन में इन वाक्यों को उनके लिए दोहराएं:
- "तुम सुखी रहो।"
- "तुम स्वस्थ रहो।"
- "तुम सुरक्षित रहो।"
- "तुम शांति से रहो।"
- उनके प्रति अपने मन में प्रेम और करुणा की गहराई को अनुभव करें।
5. तटस्थ व्यक्तियों के लिए प्रेम-कृपा भेजें
- अब किसी ऐसे व्यक्ति का ध्यान करें, जिसे आप जानते हों, लेकिन जिनसे आपका कोई विशेष संबंध न हो (जैसे पड़ोसी, सहकर्मी) ।
- उनके लिए वही वाक्य दोहराएं और उनके प्रति सकारात्मक भावनाएं उत्पन्न करें।
- यह अभ्यास हमें यह सिखाता है कि हर व्यक्ति प्रेम और दया का पात्र है।
6. कठिन व्यक्तियों के लिए प्रेम-कृपा भेजें
- अब ऐसे व्यक्ति का ध्यान करें, जिनके प्रति आपके मन में नकारात्मक भावनाएं हैं या जिनसे आपका संबंध कठिन रहा है।
- यह चरण कठिन हो सकता है, लेकिन इसे धीरे-धीरे और ईमानदारी से करें।
- मन में इन वाक्यों को उनके लिए दोहराएं:
- "तुम सुखी रहो।"
- "तुम स्वस्थ रहो।"
- "तुम सुरक्षित रहो।"
- "तुम शांति से रहो।"
- इसे करते समय अपने मन में उठने वाले प्रतिरोध को स्वीकार करें और इसे धीरे-धीरे जाने दें।
7. संपूर्ण विश्व के लिए प्रेम-कृपा भेजें
- अंत में, अपने मन को विस्तृत करें और पूरी मानवता, पशु-पक्षियों, और प्रकृति को शामिल करते हुए प्रेम-कृपा भेजें।
- मन में कल्पना करें कि आपका प्रेम और दया पूरी दुनिया में फैल रही है।
- निम्न वाक्यों को दोहराएं:
- "सभी जीव सुखी रहें।"
- "सभी स्वस्थ रहें।"
- "सभी सुरक्षित रहें।"
- "सभी शांति से रहें।"
8. ध्यान का समापन
- ध्यान समाप्त करने से पहले कुछ क्षण चुपचाप बैठें और अपने अनुभव को महसूस करें।
- अपनी आंखें धीरे-धीरे खोलें और ध्यान के दौरान उत्पन्न प्रेम और शांति की भावना को अपने जीवन में लाने का संकल्प लें।
प्रेम-कृपा ध्यान के लाभ
1. भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार:
यह अभ्यास नकारात्मक भावनाओं जैसे क्रोध, ईर्ष्या, और घृणा को दूर कर सकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा देता है।
2. संबंधों में सुधार:
दूसरों के प्रति प्रेम और करुणा विकसित होने से संबंधों में सुधार होता है।
3. मानसिक शांति और खुशी:
प्रेम-कृपा ध्यान मानसिक शांति और आंतरिक खुशी प्रदान करता है।
4. तनाव और चिंता में कमी:
नियमित अभ्यास से तनाव और चिंता कम होती है और मन शांत रहता है।
5. सहजता और दयालुता का विकास:
यह अभ्यास दूसरों के प्रति करुणा और दया को बढ़ाने में मदद करता है।
महत्वपूर्ण सुझाव
- आरंभ में यह ध्यान कुछ कठिन लग सकता है, विशेषकर कठिन व्यक्तियों के लिए प्रेम-कृपा उत्पन्न करना। लेकिन नियमित अभ्यास इसे आसान बना देता है।
- इसे बिना किसी अपेक्षा के करें और अपनी भावनाओं को धीरे-धीरे विकसित होने दें।
- इस अभ्यास को रोज़मर्रा के जीवन में शामिल करें, और इसे अपने व्यवहार में झलकने दें।
प्रेम-कृपा ध्यान हमें सिखाता है कि हर व्यक्ति प्रेम और करुणा का पात्र है। यह हमारे भीतर एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करता है और हमें अधिक दयालु, शांतिपूर्ण, और संतुलित जीवन जीने में मदद करता है।
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