महावतार बाबाजी
बाबाजी
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11/18/20241 मिनट पढ़ें
महावतार बाबाजी
महावतार बाबाजी भारतीय आध्यात्मिक परंपरा के एक रहस्यमयी और दिव्य संत माने जाते हैं, जिन्हें आध्यात्मिक मार्गदर्शन और दिव्य सिद्धियों के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। बाबाजी को अमर संत और सिद्ध महायोगी माना जाता है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे कई सदियों से जीवित हैं और योग व ध्यान के माध्यम से साधकों का मार्गदर्शन करते हैं। उनके जीवन का उल्लेख सबसे पहले योगानंद परमहंस की प्रसिद्ध पुस्तक "ऑटोबायोग्राफी ऑफ़ अ योगी" (योगी कथामृत) में मिलता है, जिसमें लाहिड़ी महाशय, स्वामी केशव बालकृष्ण और अन्य साधकों के अनुभवों के माध्यम से उनके बारे में जानकारी दी गई है।
महावतार बाबाजी का परिचय और जीवन
महावतार बाबाजी के जन्म, आयु, और व्यक्तिगत जीवन के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। उन्हें एक अद्वितीय आत्मा और महान योग सिद्धियों वाले आत्मज्ञानी संत के रूप में माना जाता है। उनके जीवन के बारे में विभिन्न मान्यताएँ और कहानियाँ हैं, जिनमें यह कहा गया है कि वे भारत के तमिलनाडु क्षेत्र में एक गाँव में जन्मे थे और वे बाल्यावस्था से ही साधना और ध्यान में रुचि रखते थे।
उन्होंने योग की विभिन्न विधाओं का गहन अभ्यास किया और अंततः उच्चतम योगिक सिद्धियाँ प्राप्त कीं। उनकी साधना के बारे में कहा जाता है कि वे हिमालय के विभिन्न गुफाओं में गहन ध्यान करते थे और वहाँ वे अपने शिष्यों को दिव्य अनुभव देते थे।
महावतार बाबाजी के अद्वितीय गुण और सिद्धियाँ
महावतार बाबाजी को उनकी अमरता और चमत्कारिक शक्तियों के लिए जाना जाता है। वे अपना रूप बदलने, अदृश्य होने और लोगों के सामने प्रकट होने की शक्ति रखते थे। कहा जाता है कि वे किसी भी समय, किसी भी स्थान पर प्रकट हो सकते थे और अपने शिष्यों को मार्गदर्शन दे सकते थे।
उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि वे केवल दिव्य प्रेरणा से ही सामने आते थे और उन्होंने अपनी अमरता को साधारण जीवन से परे रखा। इस कारण से उन्हें महावतार यानी "महान अवतार" के रूप में जाना जाता है, जो आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए अवतरित हुए हैं।
लाहिड़ी महाशय को क्रिया योग की दीक्षा
महावतार बाबाजी के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक लाहिड़ी महाशय को क्रिया योग की दीक्षा देना है। 1861 में, लाहिड़ी महाशय को उत्तराखंड के रानीखेत क्षेत्र में महावतार बाबाजी ने बुलाया और उन्हें क्रिया योग की दीक्षा दी। बाबाजी ने लाहिड़ी महाशय को यह निर्देश दिया कि वे इस साधना को जन-साधारण के बीच फैलाएँ ताकि अधिक से अधिक लोग इस योग विधि का लाभ उठा सकें। यह क्रिया योग ही बाद में बाबाजी के दिव्य संदेश और शिक्षाओं का मुख्य माध्यम बन गया, जिसे बाद में योगानंद परमहंस ने पश्चिमी देशों में भी प्रचारित किया।
महावतार बाबाजी का साधकों को संदेश
महावतार बाबाजी के उपदेश और संदेश मुख्यतः आध्यात्मिक जागृति, योग, और क्रिया योग पर आधारित थे। उन्होंने मानवता को जागृत करने के लिए क्रिया योग को एक प्रमुख साधना के रूप में स्थापित किया। उनके संदेशों में कुछ प्रमुख बातें शामिल हैं:
- आत्मा की शुद्धि: बाबाजी ने अपने शिष्यों को अपने मन, वचन और कर्म से पवित्र जीवन जीने की शिक्षा दी। उन्होंने आत्मा की शुद्धि के लिए ध्यान और योग के महत्व पर जोर दिया।
- क्रिया योग का प्रचार: उन्होंने क्रिया योग को आत्मिक विकास और ईश्वर से मिलन का साधन बताया। उनके अनुसार, क्रिया योग से व्यक्ति के भीतर नकारात्मक विचार और भावनाएँ दूर होती हैं और आत्मिक चेतना का विकास होता है।
- मानवता की सेवा: बाबाजी के अनुसार साधना का उद्देश्य केवल आत्मोन्नति नहीं है, बल्कि संसार में दूसरों की भलाई और सेवा भी है। उन्होंने अपने शिष्यों को समाज सेवा के माध्यम से ईश्वर सेवा की भावना विकसित करने की प्रेरणा दी।
बाबाजी से जुड़े प्रमुख शिष्य और घटनाएँ
1. लाहिड़ी महाशय
- महावतार बाबाजी के प्रमुख शिष्यों में लाहिड़ी महाशय का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। बाबाजी ने लाहिड़ी महाशय को क्रिया योग का ज्ञान दिया और उन्हें इसे जन-जन तक पहुँचाने का निर्देश दिया।
- लाहिड़ी महाशय की योग साधना और उनकी शिक्षाएँ, महावतार बाबाजी के आशीर्वाद का प्रतिफल मानी जाती हैं।
2. स्वामी केशव बालकृष्ण और अन्य शिष्य
- स्वामी केशव बालकृष्ण भी बाबाजी के शिष्यों में से एक थे, जिन्हें बाबाजी ने योग मार्ग में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उनके अलावा कई अन्य शिष्यों ने बाबाजी से दिव्य मार्गदर्शन प्राप्त किया, जिनमें से कुछ को उन्होंने क्रिया योग की दीक्षा दी।
3. योगानंद परमहंस से जुड़ा अनुभव
- योगानंद परमहंस ने अपनी पुस्तक "योगी कथामृत" में बाबाजी के अद्भुत व्यक्तित्व और उनकी दिव्यता का वर्णन किया है। उन्होंने बाबाजी के संदेशों को पश्चिमी देशों में भी पहुँचाया और उन्हें एक दैवीय शक्ति के रूप में स्थापित किया।
महावतार बाबाजी का निवास और उनके दर्शन की रहस्यात्मकता
कहा जाता है कि महावतार बाबाजी आज भी हिमालय के एक रहस्यमयी क्षेत्र में निवास करते हैं। कुछ साधकों का मानना है कि वे केवल योग्य साधकों और सच्चे भक्तों को ही दर्शन देते हैं। वे स्वयं को अदृश्य रखते हैं और केवल उन्हीं लोगों के सामने प्रकट होते हैं, जिन्हें वे योग्य समझते हैं।
उनके दर्शन के विषय में कई रहस्य और चमत्कारी कहानियाँ प्रचलित हैं। कई साधक बताते हैं कि उन्हें अपने ध्यान में बाबाजी की उपस्थिति का अनुभव हुआ और उनकी कृपा से ही उन्हें ध्यान में सफलता प्राप्त हुई।
महावतार बाबाजी की अमरता और दिव्यता
महावतार बाबाजी को अमर माना जाता है। उनके अनुयायी मानते हैं कि वे सैकड़ों सालों से जीवित हैं और उन्होंने अपनी अमरता के रहस्य को प्राप्त कर लिया है। योगानंद परमहंस के अनुसार, बाबाजी का शरीर दिव्य है और वे इसे अपनी इच्छानुसार प्रकट या अदृश्य कर सकते हैं।
उनकी अमरता का रहस्य उनकी योगिक सिद्धियों और ईश्वर से उनके घनिष्ठ संबंध में छुपा है। बाबाजी का जीवन, योग की गहराई और दिव्यता का प्रतीक है, और उनके विचार आज भी साधकों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।
महावतार बाबाजी की दिव्यता और रहस्यमयी जीवन ने उन्हें आध्यात्मिक जगत में अद्वितीय स्थान दिया है। उनके जीवन और शिक्षाओं का उद्देश्य है, मानवता की आत्मिक उन्नति, आध्यात्मिक जागरूकता, और सच्चे प्रेम की प्राप्ति।
महावतार बाबाजी से जुड़ी कई अद्भुत घटनाएँ और कहानियाँ हैं, जो उनके रहस्यमयी और दिव्य व्यक्तित्व को और भी अद्वितीय बनाती हैं। इन घटनाओं के माध्यम से उनकी दिव्यता, चमत्कारिक शक्तियों, और उनकी अदृश्य उपस्थिति के बारे में समझने को मिलता है। बाबाजी के जीवन से जुड़ी ये कहानियाँ उनके शिष्यों के अनुभवों और साधकों द्वारा साझा की गई हैं। आइए जानते हैं उनमें से कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में:
1. लाहिड़ी महाशय को क्रिया योग की दीक्षा
- 1861 में, महावतार बाबाजी ने उत्तराखंड के रानीखेत क्षेत्र में लाहिड़ी महाशय को बुलाया और उन्हें क्रिया योग की दीक्षा दी। कहा जाता है कि लाहिड़ी महाशय को एक सरकारी कार्य के दौरान रानीखेत भेजा गया था, जहाँ एक अद्वितीय आकर्षण उन्हें एक पहाड़ी गुफा की ओर ले गया।
- वहाँ उन्होंने बाबाजी को देखा, जो उनका इंतजार कर रहे थे। बाबाजी ने उन्हें क्रिया योग की शिक्षा दी और कहा कि अब समय आ गया है कि वे इस प्राचीन विद्या को जन-साधारण तक पहुँचाएँ। इस घटना के बाद लाहिड़ी महाशय ने क्रिया योग का प्रचार शुरू किया, जिससे यह साधना पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गई।
2. लाहिड़ी महाशय के पारिवारिक जीवन का सम्मान
- एक अन्य घटना में, लाहिड़ी महाशय के जीवन में बाबाजी का अद्वितीय आदर और प्रेम देखने को मिलता है। कहा जाता है कि एक बार बाबाजी लाहिड़ी महाशय के घर आए और लाहिड़ी महाशय के परिवार के सदस्यों से बड़ी विनम्रता से मिले।
- जब लाहिड़ी महाशय के पुत्र ने उनकी सेवाएँ करने की पेशकश की, तो बाबाजी ने विनम्रता से मना करते हुए कहा कि उन्हें लाहिड़ी महाशय के परिवार का सम्मान करना चाहिए। इस घटना से बाबाजी के विनम्र स्वभाव और उनके आदर्शों का पता चलता है।
3. अवतारों का बुलाना और प्रकट होना
- महावतार बाबाजी से जुड़ी एक अद्भुत घटना यह है कि उन्हें कृष्ण और ईसा मसीह जैसे महान आत्माओं के अवतारों से संपर्क करने की शक्ति प्राप्त थी। योगानंद परमहंस ने अपनी पुस्तक योगी कथामृत में उल्लेख किया है कि बाबाजी ने एक बार यीशु मसीह के साथ मिलकर मानवता को जागृत करने और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने की योजना बनाई।
- बाबाजी का उद्देश्य सभी धर्मों और लोगों के बीच एकता की भावना को जागृत करना था। कहा जाता है कि बाबाजी ने ध्यान की अवस्था में यीशु मसीह का आवाहन किया और वे प्रकट हुए। यह घटना बताती है कि बाबाजी के पास आध्यात्मिक शक्तियाँ थीं, जो विभिन्न अवतारों और महात्माओं के साथ संवाद स्थापित कर सकती थीं।
4. हिमालय में अदृश्य रूप से उपस्थित रहना
- बाबाजी के बारे में कहा जाता है कि वे हिमालय की एक गुप्त गुफा में निवास करते हैं, और वहाँ वे अदृश्य रूप में उपस्थित रहते हैं। कई साधकों ने दावा किया है कि उन्हें ध्यान या गहन साधना के दौरान बाबाजी के दर्शन हुए हैं।
- उनकी उपस्थिति को केवल योग्य और समर्पित साधकों द्वारा ही अनुभव किया जा सकता है। यह भी कहा जाता है कि जब साधक उनकी शरण में आता है और सच्चे मन से उनकी आराधना करता है, तो बाबाजी उसकी साधना में मार्गदर्शन करने के लिए प्रकट होते हैं।
5. रक्षा के लिए अदृश्य रूप में प्रकट होना
- बाबाजी के कई शिष्यों ने यह दावा किया है कि वे संकट के समय अदृश्य रूप में उनकी रक्षा के लिए प्रकट हुए। एक शिष्य ने कहा कि जब वे हिमालय के एक खतरनाक रास्ते पर यात्रा कर रहे थे, तो अचानक रास्ता मुश्किल हो गया और उन्हें अपने जीवन का संकट महसूस हुआ।
- तभी उन्होंने बाबाजी की दिव्य उपस्थिति महसूस की, और अदृश्य शक्ति ने उन्हें सुरक्षित मार्ग दिखाया। इस प्रकार की घटनाओं ने बाबाजी की अलौकिक शक्तियों में उनके शिष्यों की आस्था को और भी दृढ़ किया।
6. बाबाजी का योगानंद परमहंस के परिवार को आशीर्वाद
- योगानंद परमहंस ने ऑटोबायोग्राफी ऑफ़ ए योगी में एक घटना का वर्णन किया है, जिसमें बताया गया है कि उनके माता-पिता ने महावतार बाबाजी से उनकी रक्षा के लिए प्रार्थना की थी। एक बार बाबाजी ने योगानंद के पिता को दिव्य संदेश भेजा था और उनकी साधना के लिए उन्हें आशीर्वाद भी दिया था।
- यह अनुभव योगानंद के माता-पिता के मन में बाबाजी के प्रति गहरी भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक था। इस घटना के माध्यम से योगानंद को बाबाजी के संरक्षण का एहसास हुआ और वे खुद भी बाबाजी के प्रति श्रद्धालु हो गए।
7. बाबाजी का ईश्वरीय संरक्षण
- कहा जाता है कि बाबाजी का ईश्वर से सीधा संपर्क था और उनके पास अलौकिक शक्तियाँ थीं। उनके शिष्य बताते हैं कि वे केवल योग्य और समर्पित साधकों के लिए ही प्रकट होते हैं और उनके लिए दिव्य मार्गदर्शन देते हैं।
- बाबाजी की उपस्थिति से जुड़ी एक घटना में एक साधक ने दावा किया कि जब वे कठिन साधना में लगे थे, तब बाबाजी ने उन्हें मार्गदर्शन दिया और उनकी साधना को सफल बनाया। इस घटना से बाबाजी की कृपा और दिव्य संरक्षण का अनुभव होता है।
8. संकल्प शक्ति और प्रकृति पर नियंत्रण
- महावतार बाबाजी के बारे में यह भी कहा जाता है कि वे अपनी संकल्प शक्ति के माध्यम से प्राकृतिक शक्तियों को नियंत्रित कर सकते थे। उदाहरण के तौर पर, एक बार जब उनके शिष्य को ठंड में कठिनाई हो रही थी, तो बाबाजी ने अपने योगिक शक्ति से मौसम को अनुकूल कर दिया ताकि उनका शिष्य साधना कर सके।
- इस प्रकार की घटनाओं से बाबाजी की दिव्य शक्तियों और उनके शिष्यों के प्रति करुणा का अनुभव मिलता है।
9. समर्पित साधकों को जीवन की प्रेरणा देना
- बाबाजी का उद्देश्य साधकों को उनके जीवन में ईश्वर से जुड़ने और आत्मिक उन्नति के लिए प्रेरित करना था। उनके शिष्य बताते हैं कि जब भी वे किसी कठिनाई या आध्यात्मिक अवरोध का सामना करते थे, तो बाबाजी उन्हें प्रेरणा और मार्गदर्शन देते थे।
- ऐसी घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि बाबाजी केवल साधना और ध्यान के प्रति नहीं, बल्कि साधकों के आत्मिक विकास के प्रति भी गहरी रुचि रखते थे। उनके द्वारा दिए गए मार्गदर्शन ने शिष्यों को उनके लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
महावतार बाबाजी से जुड़ी इन घटनाओं और कहानियों से उनके व्यक्तित्व की दिव्यता, रहस्यमयता और चमत्कारिक शक्तियों का अनुभव होता है। उनकी उपस्थिति अदृश्य होते हुए भी उनके शिष्यों के जीवन में अमिट प्रभाव छोड़ती है। उन्होंने अपने शिष्यों को क्रिया योग और आध्यात्मिक विकास के पथ पर आगे बढ़ाया, और आज भी अनेक साधकों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।
महावतार बाबाजी का धार्मिक संदेश और ध्यान विधि गहरी आध्यात्मिकता, आत्म-ज्ञान, और आत्म-संयम पर आधारित है। उनके संदेशों में उन्होंने मानवता के कल्याण और आध्यात्मिक जागृति के प्रति विशेष बल दिया, और ध्यान की ऐसी विधियाँ सिखाईं जिनसे व्यक्ति आत्मिक रूप से उन्नति कर सके। महावतार बाबाजी का सबसे प्रसिद्ध योगदान क्रिया योग है, जो एक अत्यंत प्रभावशाली साधना विधि मानी जाती है। आइए उनके संदेश और ध्यान विधि को विस्तार से समझें:
1. महावतार बाबाजी का धार्मिक संदेश
महावतार बाबाजी का जीवन और संदेश मुख्य रूप से आत्म-ज्ञान, मानवता की सेवा, और ध्यान के माध्यम से ईश्वर से मिलन पर केंद्रित थे। उनके कुछ प्रमुख संदेश निम्नलिखित हैं:
- आत्म-साक्षात्कार की आवश्यकता: बाबाजी के अनुसार, मनुष्य का सबसे बड़ा उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार है। आत्म-साक्षात्कार का अर्थ है अपनी आत्मा को जानना और अपनी दिव्यता का अनुभव करना। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति के भीतर एक दिव्य शक्ति है, और यह शक्ति व्यक्ति को अपनी वास्तविकता से अवगत कराती है।
- मानवता की सेवा: बाबाजी ने अपने शिष्यों को यह सिखाया कि साधना और ध्यान केवल अपने आत्मिक विकास के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज और मानवता की सेवा के लिए भी है। उनके अनुसार, जब एक व्यक्ति ध्यान के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त करता है, तो वह समाज को भी अपनी ऊर्जा और ज्ञान से लाभान्वित कर सकता है।
- क्रिया योग का प्रचार: बाबाजी ने अपने शिष्य लाहिड़ी महाशय को क्रिया योग की दीक्षा दी और उन्हें इसे साधारण जनता के बीच फैलाने का निर्देश दिया। उनके अनुसार, क्रिया योग एक ऐसी प्राचीन विधि है जो मानसिक और शारीरिक शुद्धि के साथ आत्म-साक्षात्कार का मार्ग प्रशस्त करती है।
- धर्म की एकता: बाबाजी का मानना था कि धर्म की मूलभूत शिक्षाएँ सभी धर्मों में समान होती हैं। उनका उद्देश्य सभी धर्मों के बीच एकता स्थापित करना और आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से धर्मों के बीच प्रेम और सद्भाव को बढ़ावा देना था।
- आध्यात्मिक अनुशासन: बाबाजी ने साधकों को साधना में अनुशासन और संयम का पालन करने पर जोर दिया। उनके अनुसार, आत्मिक उन्नति के लिए संयम, ध्यान और आत्म-नियंत्रण आवश्यक हैं।
2. बाबाजी की ध्यान विधि: क्रिया योग
महावतार बाबाजी ने अपने शिष्यों को मुख्य रूप से क्रिया योग की विधि सिखाई, जिसे उन्होंने आत्मा और परमात्मा के मिलन का साधन बताया। क्रिया योग एक प्राचीन और शक्तिशाली ध्यान विधि है, जिसे नियमित अभ्यास से मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य, और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।
क्रिया योग के प्रमुख तत्व:
क्रिया योग में कई प्रकार के अभ्यास शामिल होते हैं, जिनमें साँसों पर नियंत्रण, ऊर्जा का संचार, और ध्यान की गहन अवस्थाओं का अनुभव शामिल है। क्रिया योग के कुछ प्रमुख अभ्यास निम्नलिखित हैं:
1. प्राणायाम (श्वास-नियंत्रण):
- क्रिया योग का मुख्य हिस्सा प्राणायाम है। इस अभ्यास में साँसों का नियमित नियंत्रण और संचालन किया जाता है। प्राणायाम के माध्यम से व्यक्ति अपनी ऊर्जा को नियंत्रित कर सकता है और ध्यान में गहरे उतर सकता है।
- साँसों पर नियंत्रण से मन में शांति आती है और मानसिक एकाग्रता बढ़ती है, जिससे ध्यान में गहराई प्राप्त होती है।
2. आंतरिक ऊर्जा का संचार:
- क्रिया योग में शरीर के विभिन्न ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इससे ऊर्जा का संचार होता है और आंतरिक शक्तियाँ जागृत होती हैं। यह चक्र साधक को ध्यान में और भी गहराई तक ले जाता है।
- विशेष प्राणायाम और ध्यान अभ्यासों के माध्यम से इन चक्रों का शुद्धिकरण और जागरण किया जाता है, जिससे आध्यात्मिक अनुभव और ईश्वर का अनुभव प्राप्त होता है।
3. मानसिक शांति और जागरूकता:
- क्रिया योग में ध्यान के माध्यम से मन को शांत और जागरूक बनाया जाता है। यह व्यक्ति को आत्मा से जुड़ने में मदद करता है और उसकी चेतना को ऊँची अवस्थाओं में ले जाता है।
- मानसिक शांति और आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति के लिए यह साधना अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।
4. ध्यान की गहन अवस्था (समाधि):
- क्रिया योग का अभ्यास व्यक्ति को समाधि, अर्थात आत्मा के परमात्मा से मिलन की अवस्था में ले जाता है। समाधि में साधक को ईश्वर का साक्षात्कार और आत्मा की दिव्यता का अनुभव होता है।
- यह अवस्था व्यक्ति को संसार के बंधनों से मुक्त करती है और उसे आनंदमयी शांति और आत्मिक ज्ञान प्रदान करती है।
क्रिया योग के अभ्यास के लाभ
महावतार बाबाजी के अनुसार, क्रिया योग साधक को अपने मन और शरीर को नियंत्रित करने और आत्मिक उन्नति प्राप्त करने में सहायक होता है। इसके कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
- आध्यात्मिक उन्नति: क्रिया योग के अभ्यास से आत्मा की दिव्यता का अनुभव होता है और साधक ईश्वर से जुड़ाव महसूस करता है।
- मानसिक शांति: यह ध्यान विधि मानसिक तनाव और चिंता को दूर करती है और साधक के मन को शांत करती है।
- शारीरिक स्वास्थ्य: क्रिया योग का नियमित अभ्यास शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है और ऊर्जा का संचार करता है।
- आत्म-ज्ञान: इसके माध्यम से व्यक्ति अपने भीतर की वास्तविकता को जान सकता है और जीवन के उद्देश्य को समझ सकता है।
- विकारों से मुक्ति: क्रिया योग साधना के माध्यम से व्यक्ति के भीतर के नकारात्मक विचार, भावनाएँ और विकार धीरे-धीरे समाप्त होते हैं।
बाबाजी के संदेशों का सारांश
महावतार बाबाजी के संदेशों का मूल उद्देश्य यह है कि हर व्यक्ति के भीतर एक दिव्य शक्ति है और उसे जागृत करने के लिए ध्यान और साधना आवश्यक हैं। उनके अनुसार, सच्ची आध्यात्मिकता का उद्देश्य केवल अपनी आत्मिक उन्नति नहीं है, बल्कि पूरी मानवता की सेवा और भलाई भी है। उन्होंने साधकों को नियमित क्रिया योग अभ्यास के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और उन्हें सच्ची शांति और आनंद की प्राप्ति का मार्ग बताया।
महावतार बाबाजी का जीवन, उनके संदेश और उनकी साधना पद्धति आज भी अनेक साधकों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। उनका उद्देश्य था कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी आंतरिक शक्ति और दिव्यता का अनुभव करे और मानवता की सेवा में अपना योगदान दे।
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