माता अमृतानंदमयी (अम्मा)
सुधामणि (अम्मा)
NEW CHETNA
11/2/20241 मिनट पढ़ें
माता अमृतानंदमयी (अम्मा)
माता अमृतानंदमयी, जिन्हें "अम्मा" या "हगिंग सेंट" के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय आध्यात्मिक गुरु और मानवतावादी हैं। उनका जन्म 27 सितंबर 1953 को केरल, भारत के एक छोटे से गाँव परायनकुलम में हुआ था। उनका असली नाम सुधामणि इदमन्नेल है। अम्मा ने बचपन से ही दूसरों के प्रति करुणा और सेवा का भाव दिखाया। कठिन पारिवारिक और सामाजिक परिस्थितियों में भी उन्होंने दूसरों की मदद करने की अपनी प्रवृत्ति को बनाए रखा, जिसके कारण वह जल्दी ही आसपास के लोगों के बीच एक करुणामयी संत के रूप में जानी जाने लगीं।
अम्मा ने मानवता की सेवा में अपने जीवन को समर्पित कर दिया है। उनके सेवा कार्यों में गरीबों को भोजन, आश्रय, शिक्षा और चिकित्सा सहायता प्रदान करना शामिल है। उन्होंने "अमृतानंदमयी मठ" की स्थापना की, जो आज विभिन्न क्षेत्रों में समाज सेवा, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत है। मठ के तहत कई चैरिटेबल हॉस्पिटल, स्कूल, और गरीबों के लिए विशेष योजनाएं चलाई जाती हैं।
अम्मा का विशेष योगदान उनके गले लगाने के अनूठे तरीके (हगिंग) के कारण भी है। उन्होंने लाखों लोगों को अपने गले से लगाया है, जिसे वे एक आध्यात्मिक और मानसिक शांति का प्रतीक मानती हैं। उनके अनुयायियों का मानना है कि अम्मा के इस स्पर्श में एक विशेष ऊर्जा और शांति होती है, जो मानसिक और भावनात्मक स्तर पर गहरी सकारात्मकता लाती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अम्मा को उनके मानवतावादी कार्यों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें संयुक्त राष्ट्र में भी आमंत्रित किया गया है, जहां उन्होंने वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार साझा किए।
माता अमृतानंदमयी के जीवन में कई ऐसी कहानियाँ हैं, जो उनकी करुणा, प्रेम और सेवा भाव का प्रतीक हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण कहानियाँ दी गई हैं:
1. गरीबों की मदद के लिए आत्म-बलिदान
सुधामणि (अम्मा) का जन्म एक गरीब मछुआरे के परिवार में हुआ था। वह केवल 9 साल की थीं जब उन्हें अपने परिवार का काम संभालना पड़ा। घर के काम के साथ-साथ वे दूसरों की मदद करने के लिए भी हमेशा तत्पर रहती थीं। एक बार उन्होंने देखा कि उनके गांव के एक गरीब बुजुर्ग के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है। उनकी मदद करने के लिए अम्मा ने अपनी भूख की परवाह किए बिना अपना भोजन उस बुजुर्ग को दे दिया। वह अक्सर गरीबों और बेसहारा लोगों के साथ अपना खाना और कपड़े साझा करती थीं, चाहे इसके लिए उन्हें अपने परिवार के लोगों से डांट ही क्यों न सुननी पड़ी हो।
2. गले लगाने का अनूठा तरीका (हगिंग)
अम्मा के करुणा भरे हृदय का प्रतीक उनका “हगिंग” का तरीका है। उनके अनुयायी बताते हैं कि एक बार एक परेशान व्यक्ति उनके पास आया और उसने अपनी पीड़ा व्यक्त की। उसे शांत करने के लिए अम्मा ने उसे गले लगाया। धीरे-धीरे यह एक परंपरा बन गई, और लोग अपने दुख-सुख बाँटने के लिए अम्मा के पास आने लगे। उन्होंने लाखों लोगों को गले लगाया, जिससे लोगों को गहरी मानसिक शांति मिली और उनका तनाव दूर हुआ।
3. मानवता की सेवा के लिए धन संग्रह
अम्मा के समाज-सेवा के प्रयासों की शुरुआत बहुत ही साधारण तरीकों से हुई थी। एक बार, उन्होंने देखा कि उनके गांव में कई लोग गरीबी से ग्रस्त हैं और उन्हें शिक्षा, भोजन और स्वास्थ्य सेवाओं की सख्त जरूरत है। उन्होंने लोगों की मदद के लिए अपने अनुयायियों से धन इकट्ठा करना शुरू किया। इसके अलावा, उन्होंने स्वयं पापड़ और अचार बना-बना कर बेचा ताकि इससे आने वाली धनराशि से समाज के बेसहारा और जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकें। इस धन का उपयोग कर उन्होंने गरीब बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए योगदान दिया।
4. शांत सागर और भीषण तूफान की रात
एक बार, समुद्र के किनारे बसी मछुआरों की बस्ती में एक बड़ा तूफान आया, जिससे कई लोग प्रभावित हुए। उनके घर तबाह हो गए, और लोग असहाय हो गए। अम्मा ने अपने अनुयायियों को एकत्र किया और पूरी रात लोगों को आश्रय, भोजन और चिकित्सा सहायता प्रदान की। यह सेवा कार्य कई दिनों तक चलता रहा, जिसमें अम्मा और उनके अनुयायी दिन-रात बाढ़ पीड़ितों की सहायता करते रहे।
5. प्रेम और करुणा का संदेश
एक अन्य घटना में, एक व्यक्ति ने अम्मा से पूछा कि वे हर किसी को गले क्यों लगाती हैं। अम्मा ने उत्तर दिया, "एक माँ का प्यार किसी एक व्यक्ति तक सीमित नहीं होता। जब एक माँ अपने बच्चे को गले लगाती है, तो वह अपने पूरे अस्तित्व से उसे गले लगाती है। मेरे लिए सब लोग मेरे बच्चे हैं। मैं सभी में ईश्वर को देखती हूँ।"
6. अनाथालय और वृद्धाश्रम की स्थापना
अम्मा ने महसूस किया कि समाज में कई बुजुर्ग लोग हैं जिन्हें उनके परिवार ने छोड़ दिया है और ऐसे बच्चे हैं जिनके पास कोई सहारा नहीं है। इन्हें आश्रय और प्यार देने के लिए उन्होंने अनाथालय और वृद्धाश्रम की स्थापना की। वहाँ न केवल इन लोगों की देखभाल होती है, बल्कि उन्हें सम्मान और प्रेम भी दिया जाता है।
माता अमृतानंदमयी के जीवन की ये कहानियाँ हमें सिखाती हैं कि सच्ची सेवा और प्रेम में संपूर्ण मानवता को गले लगाने की शक्ति होती है। अम्मा का जीवन अपने आप में एक प्रेरणा है, जो लोगों को करुणा और सेवा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
माता अमृतानंदमयी के आध्यात्मिक संदेश और शिक्षाएं मानवता, प्रेम, करुणा और आत्म-साक्षात्कार पर आधारित हैं। उनके विचारों और उपदेशों का उद्देश्य लोगों को जीवन के गहरे अर्थ को समझाने के साथ ही, एक दूसरे के प्रति प्रेम और करुणा का भाव बढ़ाना है। यहां उनके कुछ प्रमुख संदेश और शिक्षाएं दी गई हैं:
1. अहंकार का त्याग
अम्मा कहती हैं कि व्यक्ति को अहंकार से मुक्त होना चाहिए। अहंकार हमें ईश्वर से दूर करता है और हमारे भीतर नेगेटिविटी को बढ़ाता है। अम्मा का मानना है कि जब हम अहंकार का त्याग करते हैं, तभी हम दूसरों के प्रति सहानुभूति और करुणा का भाव महसूस कर पाते हैं और सच्चे प्रेम को समझ सकते हैं।
2. सेवा का महत्व
अम्मा ने हमेशा सेवा के महत्व पर जोर दिया है। उनका मानना है कि सेवा करने से हमें अपनी आत्मा का अनुभव होता है और यह सेवा हमें ईश्वर के करीब लाती है। उनका कहना है, "सेवा करते समय अपना दिल खोलो और अपने हृदय से करो।" उनके अनुसार, जो लोग सेवा करते हैं, वे सबसे बड़ी भक्ति का पालन करते हैं।
3. सभी में ईश्वर का वास देखना
अम्मा सिखाती हैं कि हर इंसान और हर प्राणी में ईश्वर का वास है। वे कहती हैं, "जब हम दूसरों को अपना समझते हैं और उनमें ईश्वर को देखते हैं, तो हमारा व्यवहार अपने आप करुणामय और प्रेममय हो जाता है।" उनके अनुसार, सच्चा आध्यात्मिकता वह है जो हमें अपने साथ-साथ दूसरों को भी आनंद का अनुभव कराए।
4. प्रकृति का आदर और संरक्षण
अम्मा का संदेश प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा पर भी केंद्रित है। वे मानती हैं कि पर्यावरण का संरक्षण करना हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है, क्योंकि हमारी धरती एक जीवंत तत्व है और इसमें भी ईश्वर का अंश समाहित है। उन्होंने अपने अनुयायियों को पर्यावरण की सुरक्षा और प्रकृति की देखभाल करने का संदेश दिया है।
5. प्रेम ही सच्ची शक्ति है
अम्मा कहती हैं कि प्रेम ही सच्ची शक्ति है और यह हर चीज़ को बदल सकता है। उनके अनुसार, प्रेम के बिना जीवन अधूरा है। "प्रेम एक ऐसी भाषा है, जिसे सभी समझते हैं। अगर हम दूसरों से प्रेम करेंगे, तो वे भी हमारे साथ प्रेम का व्यवहार करेंगे।" उनका संदेश यह है कि सभी के साथ प्रेम और सद्भावना का व्यवहार करें, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति, या संस्कृति के हों।
6. ध्यान और आत्म-साक्षात्कार का महत्व
अम्मा ध्यान और आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से आंतरिक शांति प्राप्त करने की शिक्षा देती हैं। उनके अनुसार, व्यक्ति को अपने भीतर की शांति और आनंद का अनुभव करने के लिए ध्यान और साधना करनी चाहिए। ध्यान करने से हम अपने भीतर के विचारों को शांत कर सकते हैं और अपने असली स्वरूप को समझ सकते हैं।
7. क्षमा का महत्व
अम्मा का मानना है कि क्षमा एक महान गुण है और यह हमारे हृदय को हल्का करता है। जब हम दूसरों को माफ करते हैं, तो हम अपने भीतर की कड़वाहट से मुक्त हो जाते हैं। वे कहती हैं, "क्षमा करने से मन का बोझ हल्का होता है और शांति की ओर हमारा मार्ग प्रशस्त होता है।"
8. साधारण जीवन जीने का संदेश
अम्मा का जीवन स्वयं सरलता और सादगी का प्रतीक है। वे सिखाती हैं कि हमें एक साधारण जीवन जीना चाहिए और अति-संसारिक सुखों के पीछे भागने की अपेक्षा आत्मिक संतोष प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। उनके अनुसार, हमें अपनी आवश्यकताओं को सीमित करना चाहिए और अपनी आंतरिक शांति को बढ़ावा देना चाहिए।
9. धार्मिक समभाव
अम्मा का संदेश धार्मिक समभाव और सहिष्णुता पर आधारित है। वे सभी धर्मों को समान आदर के साथ देखती हैं और मानती हैं कि सभी धर्मों का उद्देश्य एक ही है—ईश्वर तक पहुँचाना। उनके अनुसार, "सभी धर्म हमें एक ही दिशा में ले जाते हैं और हमें प्रेम, करुणा और शांति की ओर प्रेरित करते हैं।"
10. आंतरिक आनंद को पहचानना
अम्मा कहती हैं कि सच्चा आनंद बाहरी दुनिया में नहीं बल्कि हमारे भीतर है। वे लोगों को सलाह देती हैं कि वे अपने भीतर की ओर ध्यान दें और अपनी आंतरिक खुशी को पहचानें। बाहरी चीजों में आनंद की खोज करना हमें स्थायी खुशी नहीं दे सकता, इसके लिए हमें अपनी आत्मा का साक्षात्कार करना आवश्यक है।
अम्मा का हर संदेश प्रेम, करुणा, सेवा और ध्यान पर आधारित है, जो व्यक्ति को आत्मिक उन्नति की ओर ले जाता है। उनका जीवन एक आदर्श है जो लोगों को मानवीय मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है और हमें याद दिलाता है कि सच्ची भक्ति और धर्म का अर्थ मानवता की सेवा करना है।
यह सामग्री इंटरनेट के माध्यम से तैयार की गयी है, ज्यादा जानकारी के लिए, उपरोक्त से संबन्धित संस्थान से सम्पर्क करें ।
उपरोक्त सामग्री व्यक्ति विशेष को जानकारी देने के लिए है, किसी समुदाय, धर्म, संप्रदाय की भावनाओं को ठेस या धूमिल करने के लिए नहीं है ।
हमारा उद्देश्य केवल सजगता बढ़ाना है ,हम जन साधारण को संतो, ध्यान विधियों ,ध्यान साधना से संबन्धित पुस्तकों के बारे मे जानकारी , इंटरनेट पर मौजूद सामग्री से जुटाते है । हम किसी धर्म ,संप्रदाय ,जाति , कुल ,या व्यक्ति विशेष की मान मर्यादा को ठेस नही पहुंचाते है । फिर भी जाने अनजाने , यदि किसी को कुछ सामग्री सही प्रतीत नही होती है , कृपया हमें सूचित करें । हम उस जानकारी को हटा देंगे ।
website पर संतो ,ध्यान विधियों , पुस्तकों के बारे मे केवल जानकारी दी गई है , यदि साधकों /पाठकों को ज्यादा जानना है ,तब संबन्धित संस्था ,संस्थान या किताब के लेखक से सम्पर्क करे ।
© 2024. All rights reserved.