मन के आयाम

"चेतन, अचेतन और परम चेतन"

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3/18/20251 मिनट पढ़ें

मन के आयाम: चेतन, अचेतन और परम चेतन

मनुष्य का मन एक गूढ़ और शक्तिशाली संरचना है, जो उसके विचारों, भावनाओं और क्रियाओं को प्रभावित करता है। इसे मुख्य रूप से तीन स्तरों में विभाजित किया जाता है:

  1. चेतन मन (Conscious Mind) – जागरूकता का स्तर

  2. अचेतन मन (Subconscious Mind) – छिपी हुई भावनाओं और आदतों का स्तर

  3. परम चेतन मन (Superconscious Mind) – आध्यात्मिक एवं दिव्य स्तर

अब हम इन तीनों को विस्तार से समझेंगे।

1. चेतन मन (Conscious Mind) – जागरूकता और तर्क का स्तर

परिभाषा: चेतन मन वह स्तर है जिससे हम प्रत्यक्ष रूप से जुड़े होते हैं और जिसमें हमारी जागरूकता, तर्क और विश्लेषणात्मक सोच काम करती है। यह हमारे विचारों, इच्छाओं, निर्णयों और भावनाओं को तत्काल नियंत्रित करता है।

विशेषताएँ:

  • यह हमारे वर्तमान अनुभवों और विचारों को नियंत्रित करता है।

  • तर्क, निर्णय, विश्लेषण और समस्या समाधान की क्षमता इसी से आती है।

  • इसे हम "सोचने वाला मन" भी कह सकते हैं, क्योंकि यह हमारे आसपास की परिस्थितियों के अनुसार कार्य करता है।

  • हमारी चेतना का लगभग 10% भाग इस स्तर पर काम करता है।

कैसे कार्य करता है?

जब हम कोई निर्णय लेते हैं या कोई कार्य करते हैं, तो वह हमारे चेतन मन द्वारा नियंत्रित होता है। यह बाहरी दुनिया से मिली जानकारी को संसाधित करता है और हमें उचित प्रतिक्रिया देने में मदद करता है।

उदाहरण:

  • जब हम परीक्षा में प्रश्नों के उत्तर देते हैं, तो यह चेतन मन की गतिविधि होती है।

  • किसी नई भाषा को सीखना और अभ्यास करना चेतन मन द्वारा किया जाता है।

  • जब हम किसी बातचीत में भाग लेते हैं, तर्क-वितर्क करते हैं, या गणित का सवाल हल करते हैं, तो चेतन मन कार्यरत रहता है।

2. अचेतन मन (Subconscious Mind) – छिपे हुए विचार और भावनाएँ

परिभाषा: अचेतन मन चेतन मन से गहरा और शक्तिशाली होता है। यह वह मानसिक स्तर है जिसमें हमारी आदतें, यादें, विश्वास, और गहरे बैठी भावनाएँ संचित रहती हैं।

विशेषताएँ:

  • यह हमारे व्यक्तित्व, सोचने के तरीके और व्यवहार को प्रभावित करता है।

  • इसमें वे सभी जानकारी संग्रहित रहती हैं, जो चेतन रूप से याद नहीं रहतीं लेकिन हमारे जीवन पर प्रभाव डालती हैं।

  • हमारे जीवन की आदतें, डर, इच्छाएँ, और बचपन के अनुभव इसी स्तर पर संरक्षित रहते हैं।

  • यह स्वचालित क्रियाओं (automatic functions) को भी नियंत्रित करता है, जैसे – साँस लेना, दिल की धड़कन, चलना, दौड़ना आदि।

कैसे कार्य करता है?

  • यह चेतन मन से प्राप्त सूचनाओं और अनुभवों को स्टोर करके रखता है और जब आवश्यक हो, तब उन्हें पुनः सक्रिय करता है।

  • बार-बार दोहराई गई बातें और विचार अचेतन मन में गहराई से बैठ जाते हैं और हमारी आदतें बन जाते हैं।

  • यह बाहरी दुनिया की सूचनाओं के आधार पर सकारात्मक या नकारात्मक विश्वासों को जन्म देता है।

उदाहरण:

  • जब हम साइकिल चलाना सीखते हैं, तो शुरुआत में चेतन मन इसका अभ्यास करता है, लेकिन बाद में यह अचेतन मन में संग्रहित हो जाता है और हम बिना सोचे-समझे साइकिल चला सकते हैं।

  • बचपन में अगर किसी ने हमें बार-बार कहा कि "तुम सफल नहीं हो सकते", तो यह अचेतन मन में बैठ जाता है और आगे चलकर हमारा आत्मविश्वास कमजोर कर सकता है।

  • जो लोग बचपन में किसी दुर्घटना से गुजरे होते हैं, वे अचेतन रूप से उससे जुड़े डर और भावनाओं को जीवनभर ढोते हैं।

अचेतन मन को कैसे प्रभावित किया जा सकता है?

  • सकारात्मक पुष्टि (Affirmations): यदि हम बार-बार सकारात्मक बातें दोहराते हैं, तो अचेतन मन उन्हें सच मानने लगता है।

  • ध्यान और योग: ध्यान के माध्यम से अचेतन मन में जमा हुई नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकाला जा सकता है।

  • परिवर्तनशील आदतें: किसी भी नई आदत को अपनाने के लिए 21 से 90 दिन तक का समय लगता है, क्योंकि अचेतन मन इसे अपनाने में समय लेता है।

3. परम चेतन मन (Superconscious Mind) – दिव्यता और आत्मज्ञान का स्तर

परिभाषा: परम चेतन मन को आध्यात्मिक चेतना, दिव्य बोध या आत्मा का उच्चतम स्तर माना जाता है। यह हमारे भीतर छिपी असीम बुद्धिमत्ता और आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है। इसे ही "आत्मा की शक्ति" कहा जाता है।

विशेषताएँ:

  • यह हमारे उच्च अंतर्ज्ञान, सृजनात्मकता और दिव्य अनुभवों का स्रोत होता है।

  • यह ब्रह्मांड की ऊर्जा से जुड़ा होता है और इसे ध्यान एवं साधना के द्वारा अनुभव किया जा सकता है।

  • जब हम ध्यान में गहरे उतरते हैं, तब हम इस चेतना को अनुभव कर सकते हैं।

  • महापुरुष, योगी, और सिद्ध आत्माएँ इसी चेतना में जीती हैं।

कैसे कार्य करता है?

  • यह हमारे जीवन का उच्चतम मार्गदर्शन करता है।

  • जब हम सच्चे प्रेम, करुणा, और निस्वार्थ सेवा में लगते हैं, तो यह सक्रिय होता है।

  • यह जीवन के गहरे रहस्यों को समझने और आत्मज्ञान प्राप्त करने में सहायता करता है।

उदाहरण:

  • महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त होना।

  • ध्यान और साधना के माध्यम से ऋषियों द्वारा ब्रह्मांडीय ज्ञान की प्राप्ति।

  • एक कलाकार का अचानक किसी प्रेरणा से उत्कृष्ट कृति का निर्माण करना।

  • किसी वैज्ञानिक को अचानक किसी जटिल समस्या का समाधान मिल जाना।

परम चेतन मन को कैसे जागृत करें?

  • ध्यान और साधना: नियमित ध्यान करने से हम अपने परम चेतन मन से जुड़ सकते हैं।

  • सत्संग और ज्ञान: महापुरुषों के विचारों को पढ़ना और आध्यात्मिक चिंतन करना इसे विकसित करता है।

  • प्रकृति के साथ सामंजस्य: शांत वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य के बीच रहने से हमारी चेतना उच्चतर स्तर पर जाती है।

मन के तीनों स्तर – चेतन, अचेतन और परम चेतनएक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और हमारे जीवन को गहराई से प्रभावित करते हैं।

  1. चेतन मन तर्क, निर्णय और वर्तमान अनुभवों को नियंत्रित करता है।

  2. अचेतन मन भावनाओं, आदतों और यादों को संचित रखता है।

  3. परम चेतन मन दिव्य ज्ञान, अंतर्ज्ञान और आत्मा के उच्चतम स्तर को दर्शाता है।

जो व्यक्ति इन तीनों स्तरों को समझकर जीवन में संतुलन बनाता है, वह न केवल मानसिक रूप से मजबूत होता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी प्राप्त करता है।