नरसी भक्त

"नरसिंह मेहता "

SAINTS

12/9/20241 मिनट पढ़ें

नरसी भक्त

नरसी भक्त, जिन्हें नरसिंह मेहता के नाम से भी जाना जाता है, गुजरात के महान संत, भक्त, और कवि थे। वे 15वीं सदी के दौरान जीवित थे और भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक माने जाते हैं। उनका जीवन भगवान कृष्ण की भक्ति और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।

जीवन परिचय:

  1. जन्म और परिवार: नरसी भक्त का जन्म गुजरात के तलाजा या जूनागढ़ क्षेत्र में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे गरीब परिवार से थे, और बचपन से ही भगवान के प्रति उनका विशेष झुकाव था।

  2. कठिनाइयों का सामना:

    • बचपन में उन्होंने माता-पिता को खो दिया, और गरीबी में जीवन व्यतीत किया।

    • वे भक्ति में इतने लीन रहते थे कि सांसारिक कर्तव्यों की ओर बहुत कम ध्यान देते थे। इस कारण समाज और परिवार के कई तानों का सामना करना पड़ा।

  3. भगवान कृष्ण की भक्ति:

    • एक दिन, नरसी एक जंगल में तपस्या करने चले गए और कहा जाता है कि वहां भगवान कृष्ण ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए।

    • भगवान ने उन्हें "आकाशवाणी" दी कि वे चिंता छोड़कर केवल भक्ति में लीन रहें, और उनका सारा भार भगवान स्वयं संभालेंगे।

  4. भक्ति और रचनाएँ:

    • नरसी भक्त ने भक्ति संगीत और कविताओं के माध्यम से भगवान कृष्ण की स्तुति की।

    • उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना "वैष्णव जन तो तेने कहिए" है, जो उनकी भक्ति और मानवीय मूल्यों को दर्शाती है। यह भजन महात्मा गांधी का प्रिय था और आज भी भक्ति साहित्य में विशेष स्थान रखता है।

  5. संदेश:

    • नरसी भक्त का जीवन हमें सिखाता है कि ईश्वर की सच्ची भक्ति और निस्वार्थ प्रेम सभी कठिनाइयों को हराने का साधन है।

    • उनकी रचनाएँ सत्य, दया, करुणा, और अहिंसा के मूल्यों को महत्व देती हैं।

  6. समाज में योगदान:

    • नरसी ने समाज में जाति-पाति और ऊँच-नीच के भेदभाव का विरोध किया। वे मानते थे कि भक्ति में सभी समान हैं।

    • उन्होंने लोगों को मानवता और सह-अस्तित्व का पाठ पढ़ाया।

स्मृति और प्रेरणा:

नरसिंह मेहता का जीवन और उनकी रचनाएँ आज भी लाखों भक्तों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनका भजन और भक्ति साहित्य संगीत और अध्यात्म की दुनिया में अनमोल धरोहर के रूप में जीवित है।

नरसी भक्त के जीवन से जुड़ी कई प्रेरक और अद्भुत कहानियाँ हैं, जो उनकी ईश्वर के प्रति अटूट भक्ति और भगवान कृष्ण की कृपा को दर्शाती हैं। यहाँ कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ दी गई हैं:

1. ससुराल में अपमान और भगवान की कृपा

नरसी भक्त का विवाह एक साधारण परिवार में हुआ था। उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर थी, और वे भक्ति में लीन रहते थे। उनकी ससुरालवालों ने उन्हें ताना मारा कि वे अपनी बेटी को ठीक से संभालने में सक्षम नहीं हैं।
एक बार, उनकी ससुराल में एक बड़ा आयोजन हुआ, और नरसी को भी बुलाया गया। उनके पास इतना धन नहीं था कि वे उपहार या खर्च उठा सकें।
घटना:
नरसी भक्त ने भगवान कृष्ण से प्रार्थना की। कहा जाता है कि भगवान ने गोकुल से अपने सेवकों को नरसी के लिए धन, आभूषण, और अन्य सामानों के साथ भेजा।
जब ससुरालवालों ने यह सब देखा, तो वे चकित हो गए और उनकी भक्ति को समझने लगे।

2. जूनागढ़ का राजा और नरसी की परीक्षा

नरसी भक्त के भक्ति गीत और साधना की ख्याति दूर-दूर तक फैल चुकी थी। जूनागढ़ के राजा ने उनकी परीक्षा लेने का विचार किया।
घटना:
राजा ने उन्हें दरबार में बुलाकर कहा कि उन्हें अगले दिन हजारों लोगों के भोज का आयोजन करना होगा। नरसी भक्त के पास कोई साधन नहीं था, लेकिन उन्होंने भगवान कृष्ण पर विश्वास रखा।
चमत्कार:
अगले दिन भोज में सभी व्यवस्था स्वाभाविक रूप से हो गई। राजा ने देखा कि यह भगवान कृष्ण की कृपा थी और नरसी भक्त को सम्मानित किया।

3. हरि ना भेटा पामे

एक बार नरसी भक्त ने अपने जीवन में बहुत कठिनाई का सामना किया और खुद को अकेला महसूस किया। उन्होंने भगवान से प्रार्थना की:
"हे भगवान, मैं आपको देखना चाहता हूँ।"
घटना:
कहानी है कि भगवान कृष्ण ने ग्वाले के रूप में नरसी को दर्शन दिए। भगवान ने उनसे कहा कि वे हर समय उनके साथ हैं, भले ही नरसी उन्हें देख न सकें। इस घटना ने नरसी के विश्वास को और दृढ़ किया।

4. भक्ति का महत्व (वैष्णव जन तो तेने कहिए)

एक बार नरसी ने एक ब्राह्मण को देखा, जो एक गरीब व्यक्ति की मदद करने से इनकार कर रहा था। नरसी ने ब्राह्मण को यह संदेश दिया कि सच्चा वैष्णव वही है जो दूसरों के कष्ट को समझे और उनकी सहायता करे।
नतीजा:
इस घटना के बाद उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कविता "वैष्णव जन तो तेने कहिए" लिखी, जो मानवीय करुणा और दया का प्रतीक है।

5. गोकुल यात्रा और भगवान का वरदान

एक बार नरसी भक्त गोकुल की यात्रा पर निकले। इस दौरान उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने अपनी साधना और भक्ति जारी रखी।
घटना:
गोकुल पहुँचने पर भगवान कृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान दिया कि उनकी भक्ति अनंत काल तक अमर रहेगी।