ओमाहारा ध्यान (Osho Nadabrahma Meditation)

"OSHO"

MEDITATION TECHNIQUES

1/10/20251 मिनट पढ़ें

ओमाहारा ध्यान (Osho Nadabrahma Meditation)

ओशो नादब्रह्मा ध्यान (Osho Nadabrahma Meditation) एक प्राचीन तिब्बती ध्यान विधि पर आधारित है, जिसे ओशो ने आधुनिक युग के लोगों के लिए सरल और प्रभावी बनाया। इस ध्यान का मूल आधार 'आंतरिक ध्वनि और कंपन' पर है। इसमें गुनगुनाने (humming) और हाथों की धीमी गति का उपयोग किया जाता है। इसे सुबह के समय या जब मन शांत हो, तब करना सबसे प्रभावी होता है।

यह ध्यान 60 मिनट का होता है और इसे तीन चरणों में विभाजित किया गया है।

ओशो नादब्रह्मा ध्यान विधि

पहला चरण: गुनगुनाना (Humming) - 30 मिनट

· विधि:

o आरामदायक स्थिति में बैठें (आंखें बंद करें और रीढ़ सीधी रखें)।

o होंठ बंद रखते हुए गले से धीरे-धीरे "म" की ध्वनि करें, जैसे गुनगुनाना।

o इस ध्वनि को इतना धीमा या तेज़ रखें कि आप और आसपास मौजूद कंपन महसूस कर सकें।

o अपने पूरे शरीर में इस ध्वनि और कंपन को महसूस करें।

o अगर मन भटकने लगे, तो ध्यान को वापस गुनगुनाने पर ले आएं।

· महत्वपूर्ण:

o आप अपनी ध्वनि पर ध्यान केंद्रित करें, न कि दूसरों पर।

o गुनगुनाने के साथ कंपन आपकी आंतरिक ऊर्जा को संतुलित करता है।

दूसरा चरण: हाथों की गति (Hand Movement) - 15 मिनट

· पहले 7.5 मिनट:

o आंखें बंद रखें।

o दोनों हाथों को अपने सामने ले आएं और धीरे-धीरे दक्षिणावर्त (clockwise) घुमाएं।

o यह गति बहुत धीमी और सधी हुई होनी चाहिए, जैसे आप ऊर्जा को ब्रह्मांड से खींच रहे हों।

o इस दौरान अपनी ऊर्जा के प्रवाह को महसूस करें।

· अगले 7.5 मिनट:

o हाथों की गति को बदलकर वामावर्त (anticlockwise) कर दें।

o इस दौरान महसूस करें कि आप ब्रह्मांड को अपनी ऊर्जा वापस दे रहे हैं।

o अपनी ऊर्जा और ब्रह्मांड के बीच तालमेल का अनुभव करें।

तीसरा चरण: मौन और विश्राम (Silence and Relaxation) - 15 मिनट

· विधि:

o हाथों को धीमे-धीमे अपनी गोद में रख लें।

o पूरी तरह से स्थिर होकर आंखें बंद रखें।

o अब कुछ भी न करें, बस मौन और विश्राम का अनुभव करें।

o भीतर उत्पन्न हुई शांति और ऊर्जा के साथ रहें।

महत्वपूर्ण बिंदु

1. इसे सुबह खाली पेट करना सबसे अच्छा है, लेकिन दिन के किसी भी समय इसे किया जा सकता है।

2. ध्यान के दौरान आंखें बंद रखें।

3. शांत वातावरण चुनें जहां आपको कोई व्यवधान न हो।

4. ध्यान के बाद तुरंत उठने या बात करने की बजाय कुछ देर मौन में रहें।

ओशो नादब्रह्मा ध्यान के लाभ

1. मन और शरीर का संतुलन: यह ध्यान आपके विचारों को शांत करता है और शरीर में ऊर्जा का संतुलन बनाता है।

2. तनाव और चिंता में कमी: गुनगुनाने और कंपन के माध्यम से तनाव मुक्त होने का अनुभव होता है।

3. ऊर्जा में वृद्धि: यह शरीर और मन को ताजगी और नई ऊर्जा से भर देता है।

4. सकारात्मकता: यह ध्यान नकारात्मक भावनाओं को समाप्त कर सकारात्मकता को बढ़ावा देता है।

5. आध्यात्मिक गहराई: आत्म-जागरूकता बढ़ाने और ध्यान के गहरे स्तरों तक पहुंचने में मदद करता है।

नादब्रह्मा ध्यान के अभ्यास से आप अपने भीतर शांति, संतुलन, और आनंद का अनुभव कर सकते हैं। यह ध्यान नियमित रूप से करने पर गहरी आंतरिक परिवर्तन और आत्म-साक्षात्कार का साधन बन सकता है।