संत कानक दास
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12/13/20241 मिनट पढ़ें
संत कानक दास
कानक दास (1509–1609) भक्ति आंदोलन के महान संत, कवि, और समाज सुधारक थे। वे कर्नाटक के दास संप्रदाय के प्रमुख संतों में से एक थे और भगवान विष्णु (विशेषकर श्रीकृष्ण) के प्रति अपनी भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी रचनाएँ, शिक्षाएँ, और जीवन की प्रेरक कहानियाँ समाज में समानता और भक्ति के संदेश को फैलाने का काम करती हैं।
प्रारंभिक जीवन
जन्म: 1509 ई., कर्नाटक के बंका पुरा (वर्तमान हावेरी जिला) में।
जाति: कानक दास एक निम्न जाति (कुरुबा समुदाय) में जन्मे थे, जो सामाजिक भेदभाव और अन्याय का शिकार था।
असली नाम: उनका असली नाम थिम्मप्पा था।
युवा अवस्था: वे एक साहसी योद्धा और एक छोटे राज्य के प्रमुख थे।
कानक दास बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे, लेकिन सामाजिक भेदभाव ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। उनके अनुभवों ने उन्हें समाज सुधार और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
संत बनने की प्रेरणा
एक दिन, कानक दास को युद्ध के दौरान गंभीर चोट लगी, जिससे उनका जीवन लगभग समाप्त हो गया था।
इस घटना ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। उन्होंने अपने जीवन को भगवान की भक्ति में समर्पित करने का संकल्प लिया और सांसारिक सुखों का त्याग कर दिया।
उन्होंने श्री व्यास तीर्थ से दीक्षा ली, जो माध्व संप्रदाय के प्रमुख गुरु थे। गुरु ने उन्हें भगवान कृष्ण की भक्ति में समर्पित होने के लिए कहा।
भक्ति और शिक्षाएँ
कानक दास ने भगवान कृष्ण की भक्ति के माध्यम से समाज को समानता, भाईचारे, और सत्य की शिक्षा दी।
उन्होंने सरल और सुंदर कन्नड़ भाषा में रचनाएँ कीं ताकि आम लोग भी उनके विचारों को समझ सकें।
उनकी कविताएँ और भजन जाति, धर्म, और भाषा की सीमाओं से परे थे।
महत्वपूर्ण कहानियाँ
1. "कानकन्ना किंडी" (कानक की खिड़की)
प्रसंग:
कानक दास उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर में दर्शन के लिए गए, लेकिन उनकी निम्न जाति के कारण उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया।
घटना:
कानक दास ने मंदिर के बाहर बैठकर भक्ति से भजन गाने लगे।
उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान कृष्ण की मूर्ति ने अपने आप दिशा बदल ली, और एक दीवार में खिड़की प्रकट हुई।
इस खिड़की से कानक दास ने भगवान के दर्शन किए।
आज भी, उस खिड़की को "कानकन्ना किंडी" (कानक की खिड़की) कहा जाता है और यह उडुपी मंदिर का प्रमुख आकर्षण है।
संदेश:
भगवान केवल भक्ति को महत्व देते हैं, न कि जाति या सामाजिक स्थिति को।
2. "नीति और सत्य का प्रश्न"
प्रसंग:
एक बार कानक दास के गुरु व्यास तीर्थ ने अपने शिष्यों से पूछा, "आप में से कौन सबसे अच्छा भक्त है?"
घटना:
गुरु ने सभी शिष्यों को एक फल दिया और कहा कि इसे ऐसी जगह खाएं जहां कोई न देख रहा हो।
कानक दास ने फल वापस लौटा दिया और कहा, "भगवान हर जगह मौजूद हैं, मैं उन्हें कैसे छिपा सकता हूं?"
गुरु ने उनकी भक्ति और ईमानदारी की प्रशंसा की।
संदेश:
यह कहानी सिखाती है कि सच्ची भक्ति ईमानदारी और भगवान की सर्वव्यापकता को स्वीकार करने में है।
3. "भगवान की परीक्षा"
प्रसंग:
कानक दास ने हमेशा भगवान पर अटूट विश्वास रखा, लेकिन कुछ लोग उनकी भक्ति का मजाक उड़ाते थे।
घटना:
एक बार, कुछ लोगों ने उनकी भक्ति की परीक्षा लेने के लिए उनके घर से अनाज चुराया।
जब कानक दास ने देखा कि अनाज गायब है, तो उन्होंने कहा, "यह भगवान का अनाज था, और उन्होंने इसे किसी और को देने का निर्णय लिया।"
उनकी विनम्रता और भक्ति देखकर चोरों ने अपनी गलती स्वीकार की और उनके शिष्य बन गए।
संदेश:
यह कहानी दिखाती है कि सच्चे भक्त को सांसारिक चीजों से कोई मोह नहीं होता।
4. "सार्वभौमिक प्रेम का संदेश"
प्रसंग:
कानक दास ने हमेशा सिखाया कि भगवान का प्रेम सबके लिए है।
घटना:
एक बार, कानक दास के भजन सुनकर एक उच्च जाति के व्यक्ति ने कहा, "भगवान तुम्हें नहीं सुन सकते, क्योंकि तुम निम्न जाति के हो।"
इस पर कानक दास ने कहा,
"यदि तुम्हारा भगवान केवल उच्च जाति के लोगों को सुनता है, तो वह सच्चा भगवान नहीं है। मेरा भगवान सबके लिए है।"
यह सुनकर वह व्यक्ति उनकी भक्ति से प्रभावित हुआ।
संदेश:
यह कहानी सामाजिक समानता और सार्वभौमिक प्रेम का संदेश देती है।
रचनाएँ और साहित्यिक योगदान
कानक दास ने लगभग 240 कृतियों की रचना की, जिनमें भजनों, कविताओं और उपदेशात्मक लेख शामिल हैं।
उनकी रचनाओं में "नालया" (भजन), "रामध्यान चरित्रे", और "हरिभक्तिसार" प्रमुख हैं।
उन्होंने जीवन, धर्म, और भक्ति के गहरे सत्य को सरल शब्दों में व्यक्त किया।
उनकी कुछ प्रसिद्ध कविताएँ:
"नी मायेल्ला होगुतय्या"
(हे भगवान, आपकी माया सबको भ्रमित करती है।)"बगिलु तेगीदय्या कृष्णा"
(हे कृष्ण, मेरे लिए अपने द्वार खोल दो।)
चमत्कारों की कहानियाँ
1. "तूफान को रोकना"
एक बार, उनके गांव में भयंकर तूफान आया। लोगों ने कानक दास से प्रार्थना की।
उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति में भजन गाए, और तूफान तुरंत शांत हो गया।
2. "सूखे का अंत"
एक बार, उनके क्षेत्र में भीषण सूखा पड़ा।
कानक दास ने भगवान से प्रार्थना की, और उनकी भक्ति के प्रभाव से बारिश हुई।
निधन और विरासत
कानक दास का निधन 1609 में हुआ। उनके जीवन और शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं।
उनका संदेश सामाजिक समानता, जाति-पांति के भेदभाव को मिटाने, और भक्ति के माध्यम से ईश्वर तक पहुंचने का है।
कर्नाटक में उनकी स्मृति में कई मंदिर और स्मारक हैं।
कानक दास का जीवन सिखाता है कि सच्ची भक्ति और सेवा से भगवान का साक्षात्कार किया जा सकता है। उनकी शिक्षाएँ और कहानियाँ हमें यह याद दिलाती हैं कि ईश्वर सबके हैं और उनके प्रेम में कोई भेदभाव नहीं है।
कानक दास के जीवन से जुड़ी कई प्रेरणादायक कहानियाँ उनकी भक्ति, सामाजिक समानता के संदेश, और मानवता के प्रति उनके योगदान को दर्शाती हैं। यहाँ उनके जीवन से जुड़ी कुछ प्रमुख कहानियाँ प्रस्तुत हैं:
1. कानकन्ना किंडी (कानक की खिड़की)
प्रसंग:
उडुपी के श्रीकृष्ण मंदिर में निम्न जाति के होने के कारण कानक दास को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं मिली।
घटना:
कानक दास ने मंदिर के बाहर बैठकर भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में भजन गाना शुरू किया।
उनकी गहरी भक्ति से भगवान श्रीकृष्ण इतने प्रसन्न हुए कि मूर्ति ने अपना मुख दूसरी दिशा में घुमा लिया।
दीवार में अचानक एक खिड़की प्रकट हुई, जिससे कानक दास ने भगवान के दर्शन किए।
महत्व:
यह खिड़की आज भी "कानकन्ना किंडी" के नाम से प्रसिद्ध है।
संदेश:
भगवान जाति और सामाजिक स्थिति नहीं देखते; वे केवल सच्चे प्रेम और भक्ति को महत्व देते हैं।
2. "ईमानदारी की परीक्षा"
प्रसंग:
गुरु व्यास तीर्थ ने अपने शिष्यों को एक परीक्षा दी।
घटना:
उन्होंने हर शिष्य को एक फल दिया और कहा कि इसे ऐसी जगह खाएं, जहाँ कोई न देख रहा हो।
शिष्य अपने-अपने स्थानों पर फल खाने चले गए।
कानक दास फल लेकर लौट आए और कहा, "भगवान हर जगह मौजूद हैं। मैं इसे ऐसी जगह नहीं खा सकता जहाँ वह न हो।"
गुरु ने उनकी भक्ति और ईमानदारी की प्रशंसा की।
संदेश:
यह घटना दिखाती है कि सच्चा भक्त हर समय भगवान की उपस्थिति को महसूस करता है।
3. भगवान का सार्वभौमिक प्रेम
प्रसंग:
एक बार, एक उच्च जाति के व्यक्ति ने कानक दास की भक्ति का मजाक उड़ाते हुए कहा, "भगवान निम्न जाति के लोगों को स्वीकार नहीं करते।"
घटना:
कानक दास ने उत्तर दिया,
"यदि तुम्हारा भगवान केवल उच्च जाति के लोगों को सुनता है, तो वह सच्चा भगवान नहीं है। मेरा भगवान हर किसी के लिए है।"
उन्होंने एक भजन गाया, जिसमें उन्होंने भगवान के सार्वभौमिक प्रेम और समानता का संदेश दिया।
संदेश:
यह कहानी सामाजिक समानता और मानवता के प्रति प्रेम का महत्व सिखाती है।
4. "संसार की नश्वरता का अनुभव"
प्रसंग:
एक बार, कानक दास अपने गांव में कुछ समय के लिए कृषि कार्य कर रहे थे।
घटना:
एक किसान ने उनसे पूछा, "आपने इतनी मेहनत से जो अनाज उगाया है, उसे कौन खाएगा?"
कानक दास ने उत्तर दिया,
"भगवान जिसे चाहे, उसे देंगे। यह संसार नश्वर है, और जो हमारे पास है, वह भगवान का है।"
कुछ समय बाद, उनका अनाज किसी भूखे परिवार को मिल गया। कानक दास ने इसे भगवान की योजना मानकर स्वीकार किया।
संदेश:
यह कहानी सांसारिक चीजों के प्रति आसक्ति से मुक्ति का महत्व दिखाती है।
5. "भक्ति से प्राप्त कृपा"
प्रसंग:
एक बार, कानक दास के गांव में भयंकर सूखा पड़ा, और लोग भूख और प्यास से तड़पने लगे।
घटना:
गांव के लोगों ने उनसे मदद की प्रार्थना की।
कानक दास ने भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में एक सुंदर भजन गाया।
उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान ने बारिश भेजी, जिससे गांव में राहत आई।
संदेश:
यह कहानी सिखाती है कि सच्ची भक्ति से भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
6. "संगीत और भक्ति की शक्ति"
प्रसंग:
कानक दास एक बार एक राजा के दरबार में गए, जहां राजा ने उनकी भक्ति और संगीत की परीक्षा लेने का सोचा।
घटना:
राजा ने एक असंभव परिस्थिति दी और कानक दास से कहा कि वे इसे भगवान की कृपा से हल करें।
कानक दास ने भगवान की स्तुति में एक भजन गाया, और समस्या अपने आप सुलझ गई।
राजा उनकी भक्ति और संगीत की शक्ति से प्रभावित हुए।
संदेश:
यह कहानी भक्ति और संगीत के माध्यम से भगवान तक पहुंचने का मार्ग दिखाती है।
7. "अनाज चोरी की घटना"
प्रसंग:
एक बार, कुछ चोरों ने कानक दास के घर से अनाज चुरा लिया।
घटना:
जब उन्होंने यह देखा, तो उन्होंने कहा, "भगवान जिसे देना चाहते हैं, वह उसी के पास जाएगा। यह अनाज भी भगवान का है।"
उनकी उदारता और भक्ति ने चोरों को आत्मग्लानि से भर दिया।
वे उनके पास लौटे, माफी मांगी, और उनके शिष्य बन गए।
संदेश:
यह कहानी दिखाती है कि दयालुता और भक्ति से लोगों का हृदय परिवर्तित किया जा सकता है।
8. "सभी जीवों के प्रति प्रेम"
प्रसंग:
कानक दास ने सिखाया कि भगवान केवल इंसानों के लिए नहीं, बल्कि सभी जीवों के लिए हैं।
घटना:
एक बार, वे एक खेत में भजन गा रहे थे। उनके संगीत से प्रभावित होकर पक्षी और जानवर उनके पास इकट्ठा हो गए।
उन्होंने कहा, "भगवान की महिमा सभी जीवों में व्याप्त है। हमें हर प्राणी से प्रेम करना चाहिए।"
संदेश:
यह कहानी सिखाती है कि भक्ति केवल इंसानों तक सीमित नहीं है; यह सभी जीवों के प्रति प्रेम का भाव है।
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