सत्त्व, रज और तम (SATTVA, RAJAS & TAMAS)
BLOG
7/27/20251 मिनट पढ़ें
सत्त्व, रज और तम (SATTVA, RAJAS & TAMAS)
सत्त्व, रज और तम — भारतीय दर्शन, विशेषकर सांख्य दर्शन और भगवद्गीता में अत्यंत महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं। इन्हें प्रकृति के मूल गुण (fundamental qualities of nature) कहा गया है। ये तीनों ही गुण प्रत्येक जीव, वस्तु और अनुभव में उपस्थित रहते हैं, लेकिन उनकी मात्रा और प्रभाव में भिन्नता होती है। इनका गहन अध्ययन आत्म-ज्ञान, योग, ध्यान और जीवन की दिशा तय करने में सहायक होता है।
🌿 1. सत्त्व गुण (Sattva – शुद्धता, प्रकाश, सामंजस्य)
अर्थ:
‘सत्त्व’ का अर्थ है शुद्धता, ज्ञान, प्रकाश, सामंजस्य और सत्य।
लक्षण:
प्रकाशवान और जागरूकता से भरा हुआ
सत्य की ओर आकर्षण
शांति, करुणा, विवेक, संतुलन, और सदाचार
ज्ञान प्राप्ति की प्रवृत्ति
संतुलित जीवन शैली और सात्विक भोजन
त्याग और सेवा भाव
प्रभाव:
सत्त्व का प्रभाव होने पर व्यक्ति में शांति, स्पष्ट सोच, और आत्मिक संतुलन होता है। यह मोक्ष की ओर ले जाता है।
🔥 2. रज गुण (Rajas – क्रिया, इच्छा, असंतुलन)
अर्थ:
‘रज’ का अर्थ है क्रिया, गति, आसक्ति, और उत्तेजना।
लक्षण:
इच्छाएँ, लालसा, महत्वाकांक्षा
संलग्नता और भोग की इच्छा
कर्मशीलता लेकिन अक्सर असंतुलन और तनाव के साथ
परिणाम की चिंता
ईर्ष्या, क्रोध, प्रतिस्पर्धा
अधिक बोलना, अधिक खाना, अधिक करना
प्रभाव:
रज गुण जीवन में गतिशीलता लाता है लेकिन यदि संतुलन न हो तो यह आसक्ति, भ्रम, और क्लेश का कारण बनता है।
🌑 3. तम गुण (Tamas – अज्ञान, जड़ता, आलस्य)
अर्थ:
‘तम’ का अर्थ है अंधकार, अज्ञान, जड़ता और प्रवृत्ति में भारीपन।
लक्षण:
आलस्य, भ्रम, मोह, अविवेक
अज्ञानता, निष्क्रियता, अराजकता
अति निद्रा, तामसिक भोजन (मांस, मद्य, बासी भोजन)
प्रतिरोध, नकारात्मकता, हिंसा
दिशाहीनता और आत्मविनाश की प्रवृत्ति
प्रभाव:
तमस जीवन में भ्रम, निराशा, और अज्ञानता फैलाता है। यह आत्म-विकास में बाधक होता है।
⚖️ इन तीनों गुणों का परस्पर संबंध
ये गुण प्रकृति की तीन शक्तियाँ हैं, जो जीवन के हर पहलू में साथ-साथ कार्य करती हैं।
किसी में सत्त्व अधिक हो सकता है, तो किसी में रज या तम प्रमुख हो सकता है।
ये स्थायी नहीं होते – इनमें परिवर्तन होता रहता है।
उदाहरण:
सुबह का समय सत्त्व प्रधान होता है — ध्यान, अध्ययन के लिए श्रेष्ठ।
दोपहर रज प्रधान — कर्म, व्यापार, गति।
रात्रि तम प्रधान — विश्राम, निद्रा।
🧘♀️ योग और साधना में इनका महत्व
योग, ध्यान, और भक्ति का लक्ष्य है – तम और रज को संतुलित करके सत्त्व की प्रधानता स्थापित करना।
“सत्त्वात् संजायते ज्ञानं” – भगवद्गीता (14.17)
(सत्त्व से ज्ञान उत्पन्न होता है)
“रजसः लोभः प्रवृत्तिरारम्भः कर्मणाम्” – (रज से लोभ और कर्म की प्रवृत्ति उत्पन्न होती है)
“तमस्त्वज्ञानजं विद्धि मोहनं सर्वदेहिनाम्” – (तम से अज्ञान और मोह उत्पन्न होता है)
🌼 जीवन में इनका प्रयोग कैसे करें?
स्थिति सत्त्व रज तम
भोजन ताजा, हल्का, फल, दाल तीखा, तला बासी, मांस, शराब
मन शांत, स्थिर बेचैन सुस्त, भ्रमित
कर्म सेवा, ज्ञान महत्वाकांक्षा, प्रदर्शन उदासीनता, हिंसा
वाणी मधुर, सत्य अधिक बोलना कटु, भ्रमपूर्ण
🔄 तीनों गुणों से परे – गुणातीत अवस्था
गुणों से परे जाना (Gunatita) ही आध्यात्मिक मुक्ति का मार्ग है।
जब साधक सत्त्व, रज, तम – तीनों से अलग होकर उनका साक्षी बनता है, तभी वह असली आत्मा को पहचानता है।
आइए अब सत्त्व, रज और तम गुणों को और भी गहराई से समझते हैं — उनके दार्शनिक मूल, मानसिक प्रभाव, आध्यात्मिक महत्व, और आत्म-जागरण की प्रक्रिया में इनकी भूमिका के साथ। यह अध्ययन सांख्य दर्शन, भगवद्गीता, योगदर्शन, और उपनिषदों की सहायता से किया गया है।
🔺 मूल आधार: प्रकृति और पुरुष
सांख्य दर्शन के अनुसार सारा ब्रह्मांड दो तत्वों से बना है:
1. पुरुष (चेतना / आत्मा) – शुद्ध दृष्टा, निर्गुण
2. प्रकृति (सृजनकारी शक्ति) – जिसमें तीन गुण हैं: सत्त्व, रज, तम
जैसे प्रकाश (चेतना) एक दर्पण (प्रकृति) में परावर्तित होता है, वैसे ही आत्मा इस गुण-प्रधान प्रकृति में प्रतिबिंबित होती है।
🌀 सत्त्व (SATTVA): संतुलन और प्रकाश
गूढ़ लक्षण:
प्रकाश शीलता (Illumination): बुद्धि में स्पष्टता होती है, जैसे एक स्वच्छ जल में सूर्य का प्रतिबिंब।
संतुलन (Harmony): न तो इच्छा की लहरों में उलझा, न ही अज्ञान के अंधकार में।
विवेक (Discernment): सही-गलत, शुद्ध-अशुद्ध में फर्क करने की क्षमता।
मानसिक प्रभाव:
चिंतनशीलता, आत्म निरीक्षण, आत्म-अनुशासन
विनम्रता और सेवा-भाव
किसी भी कर्म को फल की इच्छा से मुक्त होकर करना
आध्यात्मिक संकेत:
सत्त्व गुण, आत्मा की ओर उठने वाली सीढ़ी है। यह मोक्ष का द्वार खोलता है।
उपमा:
सत्त्व ऐसे है जैसे – एक दीपक जो अंधकार में मार्गदर्शन करता है।
🔥 रज (RAJAS): गति, इच्छा और विक्षेप
गूढ़ लक्षण:
चेष्टा (Activity): निरंतर कुछ करने की प्रवृत्ति, लेकिन क्यों – इसका विवेक नहीं।
इच्छा (Desire): "मुझे चाहिए" की भावना से प्रेरित।
संलग्नता (Attachment): परिणामों से जुड़ाव, अहंकार की वृत्ति।
मानसिक प्रभाव:
मानसिक असंतुलन, चिंता, अनिर्णय
लालसा, वासना, प्रतिस्पर्धा, प्रदर्शन
वाणी में तीव्रता, कर्म में जल्दबाज़ी
आध्यात्मिक संकेत:
रज गुण व्यक्ति को संसार में बाँधता है – इच्छाओं की शृंखला में उलझा देता है।
उपमा:
रज ऐसे है जैसे – तेज़ चलती हवा, जो धूल उड़ाती है और स्पष्टता को ढक देती है।
🌑 तम (TAMAS): जड़ता, भ्रम और अंधकार
गूढ़ लक्षण:
अज्ञान (Ignorance): न जानना और जानने की इच्छा का अभाव
भ्रम (Delusion): मिथ्या धारणाएँ, आत्म-छल
आलस्य (Inertia): मन और शरीर दोनों सुस्त
मानसिक प्रभाव:
नकारात्मकता, निराशा, क्रोध
निंदनीय प्रवृत्तियाँ (हिंसा, छल, कटुता)
आत्म-भ्रम और आत्म-विनाश की प्रवृत्ति
आध्यात्मिक संकेत:
तमस आत्मा को सबसे अधिक दूर रखता है। यह आत्मिक नींद है।
उपमा:
तम ऐसे है जैसे – काला अंधेरा जिसमें कुछ न दिखाई दे, लेकिन व्यक्ति को भ्रम होता है कि वह देख रहा है।
🕉️ तीनों गुणों की पारस्परिकता
“न सत्त्वं न च रजो न तमः प्रकृतिः परम्” – भगवद्गीता 14.19
यह तीनों गुण आपस में बंधे रहते हैं और प्रकृति को चलायमान रखते हैं। किसी भी क्रिया में तीनों मौजूद रहते हैं — एक प्रमुख होता है, दो गौण। जैसे:
क्रिया प्रमुख गुण छिपे गुण
ध्यान सत्त्व तम (स्थिरता), रज (ध्यान में स्थिर बैठना)
युद्ध रज सत्त्व (धर्म का भाव), तम (विनाश की प्रवृत्ति)
निद्रा तम सत्त्व (स्वप्न में प्रतीति), रज (थकावट से प्रेरित)
🎯 साधक के लिए अभ्यास
कैसे सत्त्व को बढ़ाएँ?
भोजन: ताजे फल, दूध, घी, हल्का व सात्विक आहार
वाणी: मधुरता, संयम, सत्य
ध्यान और स्वाध्याय: नित्य आत्म-निरीक्षण
संगति: साधु, गुरु और शास्त्रों का संग
नियमितता: दिनचर्या में संतुलन
रज और तम को कैसे संयमित करें?
रज: इच्छाओं का अवलोकन, सांसों की साधना, "कर्म करो पर फल की आशा न रखो"
तम: आलस्य से जागना, सकारात्मक क्रिया, ज्ञान प्राप्त करना
☀️ गुणातीत स्थिति (Transcending the Gunas)
“गुणातीतः स उच्यते” – जो सत्त्व, रज, तम को साक्षी भाव से देखता है।
गुणातीत व्यक्ति:
न सुख में फूला, न दुःख में टूटा
प्रशंसा-निंदा दोनों में समभाव
निष्काम कर्म करता है
आत्मज्ञानी होता है
यह अवस्था "योग", "समत्व", और "निर्विकल्प समाधि" की ओर ले जाती है।
🧠 GUNA-MIND TEST
(स्व-निरीक्षण हेतु प्रश्नावली)
नीचे दिए गए प्रत्येक प्रश्न के लिए वह उत्तर चुनें जो आज या इस सप्ताह में आपके व्यवहार, मनोवृत्ति और जीवनशैली के सबसे करीब हो।
🌞 1. जब आप सुबह उठते हैं, तो आपकी पहली भावना कैसी होती है?
A. ताजगी और आभार 🙏
B. जल्दी-जल्दी कामों की सूची दिमाग में आने लगती है 🏃
C. उठने की इच्छा नहीं होती, थकावट और आलस 😴
🧘♀️ 2. आप जब अकेले होते हैं, तो किस तरह के विचार आते हैं?
A. आत्म-निरीक्षण, संतोष और परम सत्य की खोज
B. भविष्य की योजनाएँ, महत्वाकांक्षा, इच्छाएँ
C. निराशा, पछतावा, द्वेष, भ्रम
📱 3. आपकी सोशल मीडिया या मनोरंजन की आदत कैसी है?
A. सीमित, ज्ञानवर्धक या प्रेरणादायक सामग्री
B. लगातार अपडेट देखना, तुलना करना
C. बेतरतीब स्क्रॉलिंग, देर रात तक देखना
🗣️ 4. आपकी बातचीत का स्वर कैसा होता है?
A. शांत, विनम्र और सकारात्मक
B. उत्साही, तेज़, कभी-कभी वर्चस्व जताने वाला
C. कटु, आलसी या भ्रमित
🍛 5. आपका भोजन कैसा होता है?
A. हल्का, ताजा, शुद्ध (सात्विक)
B. तीखा, मसालेदार, भारी (राजसिक)
C. बासी, जंक फूड, शराब आदि (तामसिक)
📚 6. जब कोई समस्या आती है, तब आप क्या करते हैं?
A. शांति से सोचते हैं और विवेक से निर्णय लेते हैं
B. तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं, क्रिया करते हैं
C. अनदेखा करते हैं या दोषारोपण करते हैं
💤 7. रात की नींद कैसी रहती है?
A. गहरी, शांत और पर्याप्त
B. व्यग्र या अधूरी
C. बहुत अधिक सोना या असमय सोना
📊 अंक गणना:
हर बार:
A के लिए 2 अंक दें (सत्त्व)
B के लिए 1 अंक दें (रज)
C के लिए 0 अंक दें (तम)
अब अपने कुल अंक जोड़ें (अधिकतम 14):
🔎 परिणाम विश्लेषण:
कुल अंक आपकी मानसिक स्थिति
12–14 सत्त्व प्रधान चित्त – आपका मन शुद्ध, स्पष्ट और आत्म-जागरूक है। आप ध्यान, ज्ञान और सेवा के मार्ग पर हैं।
8–11 रज प्रधान चित्त – आप कर्मशील हैं, लेकिन अधिक चिंता और इच्छाओं में फंसे हो सकते हैं। आपको सत्त्व की ओर बढ़ने की ज़रूरत है।
0–7 तम प्रधान चित्त – अभी मन में भ्रम, सुस्ती या निराशा हो सकती है। आत्म-प्रकाश के लिए ध्यान, अनुशासन और सात्विक संगति की आवश्यकता है।
🧘♀️ ध्यान विधि: सत्त्व कैसे बढ़ाएँ, तम कैसे घटाएँ?
🔺 1. मूल सिद्धांत: तम घटाना, सत्त्व बढ़ाना
❝ तमस हटेगा तो रज दिखेगा, रज शुद्ध होगा तो सत्त्व प्रकट होगा।
और सत्त्व के पार ही आत्मा की झलक मिलेगी। ❞
इसलिए ध्यान का लक्ष्य है:
तम (अज्ञान, जड़ता, आलस्य) को जागृति, अनुशासन और विवेक से हटाना।
सत्त्व (शांति, ज्ञान, प्रकाश) को नित्य साधना और संयम से पोषित करना।
🕉️ ध्यान की तीन अवस्थाएँ (Three-Phase Practice)
🌄 चरण 1: शरीर–मन शुद्धि (Preparation & Purification)
🔹 1. जागरण (Early Rising)
सूर्योदय से पहले उठें (ब्राह्ममुहूर्त)
तमस का प्रभाव सबसे कम होता है इस समय
🔹 2. आहार शुद्धि (Sattvic Diet)
सात्त्विक भोजन लें – फल, दालें, दूध, घी, ताजे खाद्य
बासी, मांसाहार, मद्य, अधिक तेल-मसाले से बचें
🔹 3. संग शुद्धि (Satsang)
शुभ संगति – शास्त्र, गुरु, साधक
हिंसात्मक, निराशाजनक, असत्य बातों से दूरी
🌬️ चरण 2: प्राण साधना (Breath & Awareness Practice)
🔹 1. प्राणायाम – नाड़ी शुद्धि
"प्राण ही चित्त को स्थिर करता है।"
अनुलोम–विलोम (5-10 मिनट):
→ बाईं नासिका से श्वास लें (चंद्र – सत्त्व)
→ दाईं से छोड़ें (सूर्य – रज/तम की शुद्धि)भ्रामरी प्राणायाम (5 बार):
→ शांत कंपन से मन में सत्त्व लाता है
🔹 2. त्राटक (नासिका दृष्टि या दीपक दृष्टि)
एक दीपक या बिंदु पर एकाग्र दृष्टि जमाना
तमसिक विचारों का क्षय होता है
🧘 चरण 3: ध्यान अभ्यास (Meditation Technique)
✅ विधि: "ॐ" ध्यान
1. शांत मुद्रा में बैठें – पद्मासन या सुखासन
2. आँखें बंद कर, मेरुदंड सीधा रखें
3. श्वास का अवलोकन करें (जैसे आना-जाना)
4. मन में धीरे-धीरे ॐ जपें — "ॐ…ॐ…ॐ…"
5. जब मन भटके, वापस "ॐ" पर लाएँ
👉 15–20 मिनट से प्रारंभ करें, धीरे-धीरे समय बढ़ाएँ
📿 विकल्प:
सात्त्विक मंत्र:
→ "ॐ नमः शिवाय"
→ "हरिः ॐ"
→ "सोऽहम्" (श्वास में मिला कर: 'सो' श्वास में, 'हम्' बाहर)
🪷 सात्त्विक ध्यान की जीवनशैली (Supportive Living)
दिनचर्या पक्ष सात्त्विक क्रिया
भोजन समय पर, ध्यानपूर्वक, शुद्ध आहार
नींद 6–7 घंटे, समय पर सोना–जागना
वाणी मधुर, सत्य, मितभाषी
कार्य निःस्वार्थ, परिणाम की चिंता से मुक्त
मन स्वाध्याय, आत्म-निरीक्षण, धन्यवाद
📿 तम को घटाने के लिए विशिष्ट उपाय
तमस घटाने की विधियाँ प्रभाव
भोग-वासना से संयम मानसिक स्पष्टता
संगति परिवर्तन प्रेरणा और सत्त्ववृद्धि
शारीरिक श्रम / सेवा कार्य तमसिक सुस्ती का क्षय
"नेति-नेति" ध्यान – मैं यह नहीं हूँ… अज्ञान का क्षय
ध्यान के बाद जप या स्वाध्याय सत्त्व का स्थायी प्रभाव
✨ ध्यान का फल – सत्त्व की निशानी
जब आप:
अधिक शांत, परिपक्व, करुणामय हो जाएँ
निष्काम सेवा में रुचि लेने लगें
बाहरी चीज़ों से कम प्रभावित हों
स्वयं से जुड़े अनुभव होने लगें
तो समझें – सत्त्व बढ़ रहा है।
हमारा उद्देश्य केवल सजगता बढ़ाना है ,हम जन साधारण को संतो, ध्यान विधियों ,ध्यान साधना से संबन्धित पुस्तकों के बारे मे जानकारी , इंटरनेट पर मौजूद सामग्री से जुटाते है । हम किसी धर्म ,संप्रदाय ,जाति , कुल ,या व्यक्ति विशेष की मान मर्यादा को ठेस नही पहुंचाते है । फिर भी जाने अनजाने , यदि किसी को कुछ सामग्री सही प्रतीत नही होती है , कृपया हमें सूचित करें । हम उस जानकारी को हटा देंगे ।
website पर संतो ,ध्यान विधियों , पुस्तकों के बारे मे केवल जानकारी दी गई है , यदि साधकों /पाठकों को ज्यादा जानना है ,तब संबन्धित संस्था ,संस्थान या किताब के लेखक से सम्पर्क करे ।
© 2024. All rights reserved.