चौथा शरीर/पूर्ण बोध शरीर
संपूरण जागरण
MEDITATION TECHNIQUES
9/26/20241 मिनट पढ़ें
चेतन शरीर वह शरीर है जो मूल चेतना के विचार से जाग्रत होता है, यह अपने आप में अद्भुत शरीर है, जब आप इसके स्तर पर पहुँचते है। आपको स्वयं कहाँ हो का ज्ञान होने लगता है, तथा आपके सभी विचार शून्य होने लगते है। कभी-कभी लम्बे अंतराल तक कोई भी विचार आपके मस्तिष्क में नहीं आएगा और जैसे ही एकाएक विचार आएगा तो आपको तुरंत पता लग जायेगा। यह शरीर मुख्य रूप में सात चक्र है, जो कि कुण्डली की शक्ति धारण किए है| चक्र निम्नलिखित है, यदि इन्हें शारीरिक क्रम अनुसार रखे तो ह्रदय चक्र मध्य में आता है, उसी प्रकार चौथा शरीर भी सातों शरीर के मध्य में आता है|
1. मूलाधार चक्र 1. स्थूल शरीर
2. स्वाधिष्ठान चक्र 2. सूक्ष्म शरीर
3. मणिपूरक चक्र 3. मानस शरीर
4. अनाहत चक्र 4. चेतन शरीर
5. विशुद्धि चक्र 5. सहज/ भक्ति शरीर
6. आज्ञा चक्र 6. ब्रहम शरीर
7. सहस्त्रार चक्र 7. निर्वाण शरीर
अगर उपरोक्त तालिका की बात करें तो ऊपर से निचले या निचले से ऊपर ह्रदय चक्र और चेतन शरीर मध्य में बने रहते है। यही अवस्था मध्यम मार्ग कहलाती है।
इस शरीर के जाग्रत होने पर आपके अंदर बहुत ज्यादा ऊर्जा संचारित होगी जो कि नवनिर्माण में सहायक होगी, यह आपकी सर्जन शीलता को जाग्रत करती है। यहाँ पर स्वयं पर संयम रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि इस रास्ते पर पीछे से सीधा चला मार्ग दो हिस्सों में बट जाता है। आपकी जीवन शक्ति अच्छी या बुरी, सर्जन या विनाश, आपके अनुरूप मार्ग तय करती है। अब यह साधक के ऊपर है वह किस पर जाना चाहता है, उससे कुछ नया बनाना है, या बने हुए को ख़त्म करना है। यह साधक की अपनी मर्जी रहती है। इसलिए इस शरीर को जाग्रत करने से पहले अपने ऊपर काबू रखे या संयम बनाये रखे।
यहाँ यह भी बता देना जरूरी है कि जब तक आप पहले तीन शरीरों पर काम नहीं करेंगे तो चौथा जाग्रत नहीं होगा। यदि आप यह सोचते है कि सीधा चौथा ही जाग्रत करते है, तो यह आपकी हठ होगी, इससे जो शारीरिक और मानसिक कष्ट होगा उसके आप स्वयं उत्तरदायी है। आप श्रृंखला में चलते रहे जिससे आपका विकास हो सके न कि आप पागल या विनाश को प्राप्त कर ले। यहाँ यह भी ध्यान रखना है जैसे-जैसे आप चेतन होते जायेंगे आपको दूसरों के साथ घट रही घटनाओं का अंदाजा लगने लगेगा और यदि आप उनकी मदद करना चाहते है, तो कर सकते है परन्तु वह कष्ट आपको झेलना पड़ेगा। अर्थात यदि आप किसी विचार को ठीक करना चाहते है, तो आपको जितना ऊर्जा में वह ठीक होगा बदले में उतनी यात्रा का कष्ट सहन करना पड़ेगा।
यह आपकी अपनी मर्जी है जो चाहे करें, आपको पहले ही अवगत करा दिया है। यहाँ पर आधुनिक भाषा में जिससे रेंकी कहते है यह आपके अंदर अपने आप जाग्रत हो जाएगी। आप अपना सन्देश मस्तिष्क से किसी दूसरे के मस्तिष्क तक पहुंचा सकते है, या अपनी ऊर्जा दूसरे को दे सकते है। अब इतनी बातें जान लेने के बाद आप यह सोच रहे होंगे कि आपको यह तो बताया नहीं कि यह जाग्रत कैसे होगा इसके लिए क्या करना होगा तो इसका सीधा जवाब है – ध्यान, चेतन शरीर का मुख्य भोजन ध्यान है। अब आप सोचते होंगे कौन सा ध्यान करें तो कोई चिंता का विषय नहीं है।
आपको छोटी-सी विधि भी बता देते है, वैसे तो पीछे अध्यायों में जो भी विधियाँ है वो सभी इसी की तैयारी के लिए बताई है, परन्तु फिर भी आपको कुछ और करने के लिए बता देते है। इस शरीर के ध्यान के लिए आपको श्वास के ध्यान कि जरूरत है जो कि निम्नलिखित चरणों में पूरा करना होगा| यदि आप की दिली इच्छा है इससे करने की तो करें अन्यथा छोड़ दे|
चरण 1: आपको प्रारंभिक दस दिनों तक श्वास को पेट तक पहुंचना है जब भी आपको दिन में, रात में याद आये तो साँस लेते वक़्त पेट फूलना चाहिए| ये जरूरी नहीं है आप सुबह जल्दी उठकर करें, जब दिल करें या याद आए शुरू कर दे कहीं भी कभी भी।
चरण 2: अब इस चरण में आपको जितना हो सके श्वास को बहार फेंकना है, अर्थात जब आप साँस छोड़ रहे है तो आपका पेट पूरा पिचक जाना चाहिए, इससे शुरू-शुरू में थोड़ा श्वास लेने में कठिनाई आएगी, एकाध बार फिर सही हो जायेगा। यह आपको अगले दस दिन तक करना होगा। इसके लिए भी जब चाहे शुरू हो सकते है समय की कोई नियम नहीं है।
चरण 3: यह ध्यान आप सोते वक़्त करें जिससे दोनों श्वास लेने और छोड़ना साथ-साथ अगले दस दिन तक करें और दस मिनट तक करें कोई घडी या अलार्म की जरूरत नहीं है। अंदाजे से कर लीजिये पांच मिनट हो सके, सात मिनट हो सके, या दस मिनट हो सके। जहाँ तक आप कर पाए और शरीर को ढीला छोड़कर सो जाये।
जैसे ही आप एक महीना पूरा कर लेंगे तो आप स्वयं के अंदर कितना बदलाव आया है, महसूस करने लगेंगे, अगर आप ज्यादा एकाग्र होकर करेंगे तो आपको दो या तीन दिन में अंतर समझ आ जायेगा|
कुछ आवश्यक बाते जो आपको ध्यान रखनी है:
1. जब भी आप पेट फूलने वाले चरण को करें तो आपकी कमर में कुछ भी सख्त बंधा न हो चाहे वह बेल्ट हो या कोई दूसरी रस्सी, इसको थोड़ा ढीला कर ले नहीं तो पेट दर्द करना शुरू कर देगा, होगा तो कुछ नहीं फिर भी पीड़ा तो मिलेगी|
2. कोशिश ये करें कि जब आप श्वास लेने-छोड़ने की प्रक्रिया करें तो ज्यादा प्रदूषित जगह न हो|
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