तीन भाई और आत्मप्रकाश की यात्रा
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8/3/20251 मिनट पढ़ें
तीन भाई और आत्मप्रकाश की यात्रा
📜 कहानी: तीन भाई और आत्मप्रकाश की यात्रा
बहुत समय पहले, हिमालय की तराई में एक शांत और सुंदर गाँव था – गौरवपुर । उस गाँव में तीन भाई रहते थे – तमस, रजस और सत्त्व। तीनों एक ही माँ की संतान थे, लेकिन स्वभाव और जीवनशैली में बिल्कुल अलग।
🌑 तमस – अंधकार का प्रेमी
तमस सबसे छोटा था। वह दिन भर सोया रहता, बिना सोचे-समझे काम करता, आलसी था, क्रोधित रहता, और किसी की बात नहीं सुनता। उसे ग़लत संगति पसंद थी, और वह अक्सर धोखा खाता या देता। जब माँ उसे सीख देती, वह कहता:
"माँ, जीवन का क्या मतलब है? सब कुछ तो वैसे ही चलता रहेगा।"
तमस के जीवन में न प्रकाश था, न दिशा। उसकी आँखें खुली थीं, पर मन अंधकार में डूबा था।
🔥 रजस – क्रिया का दीवाना
रजस मंझला भाई था — बहुत तेज, महत्वाकांक्षी, हमेशा कुछ करने में व्यस्त। वह बोलता था:
"माँ! मुझे दुनिया जीतनी है। मुझे सबसे आगे निकलना है।"
वह कभी चैन से बैठता नहीं था। व्यापार करता, दौड़ता, प्रतिस्पर्धा करता। लेकिन उसके मन में हमेशा बेचैनी रहती — कभी संतोष नहीं होता। वह बहुत कुछ पाता, पर भीतर खालीपन बना रहता।
माँ अक्सर कहती –
“बेटा, दौड़ते-दौड़ते थक जाओगे। ज़रा रुककर भीतर भी देखो…”
पर रजस के पास समय नहीं था।
🌕 सत्त्व – शांति और ज्ञान का साधक
सबसे बड़ा भाई सत्त्व था। वह प्रातः सूर्योदय से पहले उठता, नदी किनारे ध्यान करता, वृद्धों की सेवा करता, ईमानदारी से कार्य करता। उसके चेहरे पर सदा एक शांति होती। वह कम बोलता, लेकिन उसकी बात में गहराई होती।
वह कहता:
"माँ, जीवन का अर्थ भीतर है। बाहर तो सिर्फ उसका प्रतिबिंब है।"
गाँव वाले उसे "प्रकाशपुत्र" कहते थे।
🛤️ तीनों की यात्रा
एक दिन गाँव के पास के आश्रम में एक महर्षि पधारे। उन्होंने घोषणा की:
"जो भी सच्चा seeker है, वह उत्तर दिशा के तपोवन में जाए। वहाँ आत्मप्रकाश की अग्नि जल रही है। जो उसे देख ले, वह मुक्ति को प्राप्त करता है।"
तीनों भाइयों ने यात्रा शुरू की।
तमस की यात्रा
तमस तो चलते ही नहीं बना। वह कुछ दूर गया, जंगल में पड़ा, डर गया, और वापस लौट आया।
"ये सब बेकार है", उसने कहा, "मैं यहीं ठीक हूँ।"
🌪️ रजस की यात्रा
रजस ने तेज़ी से दौड़ लगाई। वह हर किसी को पीछे छोड़ना चाहता था। लेकिन रास्ते में उसने देखा – सुंदर नगर, व्यापारिक अवसर, प्रतियोगिताएँ।
वह रुक गया, वहाँ महल बनाया और बस गया।
"आत्मप्रकाश बाद में, पहले सफलता!" उसने सोचा।
🌼 सत्त्व की यात्रा
सत्त्व शांत गति से चला, तपोवन की ओर। उसने रास्ते में सेवा की, ध्यान किया, संयम रखा। जब वह आत्मप्रकाश की अग्नि के पास पहुँचा, तो वह चौंका नहीं, जल उठा नहीं — बल्कि उसका अपना मन ही एक दीप बन गया।
महर्षि ने कहा:
"बेटा, तू प्रकाश बन चुका है। तू न केवल पहुँचा, बल्कि स्वयं दीप बन गया।"
🔚 कहानी का सार (Moral)
तमस अज्ञान का प्रतीक है – वह चलता ही नहीं।
रजस कर्म और लालसा में डूबा है – चलता है, पर भटक जाता है।
सत्त्व संयम, शुद्धता और ज्ञान से चलकर सत्य तक पहुँचता है – वह मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
📘 सत्त्व गुण = सच्चे साधक का चरित्र
यह कहानी हमें सिखाती है कि:
“जो जीवन को भीतर से जीता है, वही बाहर की दुनिया को भी रोशन करता है।”
🧘♂️ सत्त्व गुण आत्ममंथन प्रश्नावली (Self-Reflection Questionnaire)
📅 प्रयोग विधि:
हर सप्ताह के अंत में या प्रतिदिन कुछ क्षण लेकर शांत चित्त से इन प्रश्नों के उत्तर स्वयं से पूछें और डायरी में लिखें।
🪞 1. मेरे विचारों की प्रकृति कैसी है?
क्या मेरे विचार शुद्ध, सकारात्मक और उद्देश्यपूर्ण होते हैं?
क्या मैं बेकार के कल्पनालोक या नकारात्मकता में उलझता हूँ?
🔄 2. क्या मैं अपने कर्मों में निष्कामता (स्वार्थरहितता) रखता हूँ?
क्या मैं सेवा या कार्य इस दृष्टि से करता हूँ कि मुझे कुछ मिलना चाहिए?
क्या मैं कर्म को ईश्वर को अर्पण समझकर करता हूँ?
🔇 3. क्या मेरा मन शांत और संतुलित रहता है?
क्या मैं हर छोटी बात पर विचलित हो जाता हूँ?
क्या मैं दूसरों की बात सुनने और समझने में सक्षम हूँ?
🍃 4. क्या मेरा आहार और आचरण सात्त्विक है?
क्या मैं हल्का, ताजा, शुद्ध भोजन करता हूँ?
क्या मैं संयमित भाषा, व्यवहार और दिनचर्या अपनाता हूँ?
🪔 5. क्या मैं प्रतिदिन आत्मनिरीक्षण, ध्यान या स्वाध्याय करता हूँ?
क्या मैं आत्म के साथ संवाद करता हूँ?
क्या मैं प्रतिदिन कोई शांति का अभ्यास करता हूँ (जैसे ध्यान, प्रार्थना)?
❤️ 6. क्या मेरा व्यवहार दया, सहानुभूति और विनम्रता से भरा होता है?
क्या मैं क्रोध, घृणा, जलन जैसे भावों पर नियंत्रण रख पाता हूँ?
क्या मैं सबके प्रति निष्पक्ष और सहृदय हूँ?
🌿 7. क्या मैं अहंकार से मुक्त हूँ?
क्या मैं अपनी उपलब्धियों को गर्व का विषय मानता हूँ?
क्या मैं दूसरों की गलतियों को क्षमा कर पाता हूँ?
🔦 8. क्या मुझे आत्मज्ञान या सत्य की खोज में रुचि है?
क्या मैं केवल भौतिक लक्ष्य चाहता हूँ या भीतर के सत्य को भी जानना चाहता हूँ?
क्या मुझे जीवन के गहरे प्रश्न परेशान करते हैं? (जैसे – मैं कौन हूँ? जीवन का उद्देश्य क्या है?)
🧩 9. मैं किस गुण के प्रभाव में अधिक रहता हूँ – सत्त्व, रजस या तमस?
दिन के किस समय मैं सबसे अधिक जागरूक और शांत रहता हूँ?
क्या मैं ललक (रजस), आलस्य (तमस) या विवेक (सत्त्व) में अधिक जीता हूँ?
🛤️ 10. क्या मैं आत्मविकास की दिशा में सचमुच आगे बढ़ रहा हूँ?
पिछले एक महीने में क्या मैंने कोई ऐसा परिवर्तन किया जो मुझे अधिक शांत, करुणावान और विवेकी बनाता है?
क्या मैं अभी भी बाहरी बातों से उतना ही प्रभावित होता हूँ जितना पहले होता था?
📝 विशेष अनुभाग: आत्मसंकल्प (Weekly Sankalpa)
इस सप्ताह मैं ____________ गुण को जागरूकता से अभ्यास करूँगा।
(उदा: धैर्य, ध्यान, सत्य भाषण, संयम, सेवा…)
🕊️ निष्कर्ष अनुभाग
आज के आत्ममंथन से मुझे यह स्पष्ट हुआ कि:
(यहाँ स्वयं का सबसे गहरा बोध या अनुभव लिखें)
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