"द होली साइंस"
स्वामी श्री युक्तेश्वर गिरि
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11/21/20241 मिनट पढ़ें
"द होली साइंस"- स्वामी श्री युक्तेश्वर गिरि
श्री युक्तेश्वर की पुस्तक "द होली साइंस" में विभिन्न विषयों और आध्यात्मिक पहलों का गहन वर्णन किया गया है। यह पुस्तक न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक सिद्धांतों का समन्वय करती है, बल्कि व्यक्तिगत विकास, योग और आत्मज्ञान का व्यावहारिक मार्ग भी दिखाती है। इसके मुख्य पहलुओं का विस्तार से वर्णन इस प्रकार है:
1. धर्म और विज्ञान का सामंजस्य
श्री युक्तेश्वर ने धर्म और विज्ञान को परस्पर विरोधी नहीं, बल्कि एक ही सत्य के दो पहलू माना।
- उन्होंने बताया कि प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में वर्णित सिद्धांत विज्ञान के नियमों पर आधारित हैं।
- उदाहरण के लिए, उन्होंने ब्रह्मांडीय ऊर्जा, चेतना, और मानव शरीर के कार्यों को विज्ञान और आध्यात्मिकता से जोड़ा।
- उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी धर्म का अंतिम उद्देश्य सत्य की खोज है, और यह विज्ञान की भांति एक खोज का मार्ग है।
2. चतुर्युग सिद्धांत का पुनःगणना
श्री युक्तेश्वर ने युगों (सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग) की पारंपरिक व्याख्या को संशोधित किया।
- पारंपरिक धारणा के अनुसार, युगों की कुल अवधि लाखों वर्षों की होती है।
- श्री युक्तेश्वर का दृष्टिकोण: उन्होंने युगों की अवधि को संक्षिप्त और वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत किया।
- प्रत्येक युग को खगोलीय चक्रों और पृथ्वी की गति के आधार पर समझाया।
- उनका मानना था कि हम अभी "द्वापरयुग" में हैं, न कि "कलियुग" में जैसा कि प्रचलित मान्यता है।
युगों का मानव चेतना पर प्रभाव:
- सत्ययुग: आध्यात्मिक ज्ञान और शुद्धता का युग।
- त्रेतायुग: मानसिक शक्ति और जागरूकता का युग।
- द्वापरयुग: ऊर्जा और भौतिक विज्ञान का युग।
- कलियुग: अज्ञान और भौतिकता का युग।
उन्होंने बताया कि मानवता लगातार आध्यात्मिक प्रगति की ओर बढ़ रही है।
3. मनुष्य के चार उद्देश्य
"द होली साइंस" में मनुष्य के जीवन को चार प्रमुख उद्देश्यों में विभाजित किया गया है:
1. धर्म: नैतिकता और जीवन के नियमों का पालन।
2. अर्थ: जीवनयापन के लिए धन और संसाधनों का अर्जन।
3. काम: इच्छाओं की पूर्ति और जीवन के भोग।
4. मोक्ष: आत्मा की मुक्ति और परमात्मा से एकत्व।
ये उद्देश्य कैसे जुड़े हैं:
- धर्म और अर्थ का पालन काम के नियंत्रण में सहायक होता है।
- अंततः मोक्ष (मुक्ति) सभी उद्देश्यों का चरम लक्ष्य है।
4. क्रिया योग का महत्व
श्री युक्तेश्वर ने "क्रिया योग" को आत्मा और परमात्मा को जोड़ने का एक वैज्ञानिक तरीका बताया।
- क्रिया योग क्या है?
यह एक विशेष ध्यान तकनीक है, जो श्वास और मन की ऊर्जा को नियंत्रित करती है।
- इससे व्यक्ति अपनी चेतना को उच्च स्तर पर ले जा सकता है।
- ध्यान के माध्यम से शरीर, मन, और आत्मा का संतुलन स्थापित होता है।
- योग का वैज्ञानिक पक्ष:
उन्होंने योग को केवल धार्मिक अनुष्ठान न मानकर, इसे वैज्ञानिक प्रक्रिया के रूप में प्रस्तुत किया।
5. प्रेम, करुणा और सेवा का महत्व
"द होली साइंस" में प्रेम और करुणा को ईश्वर तक पहुंचने का सर्वोत्तम मार्ग बताया गया है।
- प्रेम को सभी धर्मों का आधार बताया गया है।
- करुणा और सेवा को आत्मा के विकास और मानवता की प्रगति के लिए अनिवार्य माना गया।
6. धार्मिक ग्रंथों का तुलनात्मक अध्ययन
श्री युक्तेश्वर ने हिंदू धर्म और ईसाई धर्म के प्रमुख ग्रंथों—भगवद गीता और बाइबल—के सिद्धांतों की तुलना की।
- उन्होंने बताया कि दोनों धर्म आत्मज्ञान और ईश्वर तक पहुंचने के मार्ग पर एक ही दिशा में काम करते हैं।
- उदाहरण:
- गीता का "योग का संदेश" बाइबल के "ईश्वर के प्रति समर्पण" से मेल खाता है।
- गीता में वर्णित आत्मा और परमात्मा का मिलन बाइबल के "फादर और सन" की एकता जैसा है।
7. मानव जीवन का विकास
पुस्तक में मनुष्य के जीवन चक्र और उसकी चेतना के स्तर का वर्णन किया गया है।
- शारीरिक विकास: भौतिक शरीर का विकास।
- मानसिक विकास: सोचने-समझने की शक्ति।
- आध्यात्मिक विकास: आत्मज्ञान और ईश्वर से संबंध।
श्री युक्तेश्वर ने कहा कि योग और ध्यान के अभ्यास से मनुष्य अपने चेतना के स्तर को ऊंचा कर सकता है।
8. ब्रह्मांडीय ऊर्जा और आत्मा का संबंध
उन्होंने ब्रह्मांडीय ऊर्जा और आत्मा के बीच संबंध की गहराई से व्याख्या की।
- आत्मा को "ज्योति" और ब्रह्मांडीय ऊर्जा को "शक्ति" का प्रतीक बताया।
- योग के अभ्यास से व्यक्ति इस ब्रह्मांडीय ऊर्जा का अनुभव कर सकता है।
9. शरीर और प्रकृति का संतुलन
- श्री युक्तेश्वर ने बताया कि प्रकृति और मानव शरीर में सामंजस्य बनाए रखना आध्यात्मिक प्रगति के लिए आवश्यक है।
- उन्होंने प्राकृतिक जीवन शैली, सात्विक आहार, और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने पर जोर दिया।
"द होली साइंस" एक अद्वितीय ग्रंथ है जो धर्म, विज्ञान, और योग के बीच के गहरे संबंध को उजागर करता है।
- यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है जो आत्मज्ञान, आध्यात्मिकता, और जीवन के गहरे अर्थ को समझना चाहता है।
- इसमें दी गई शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और मानवता के आध्यात्मिक विकास के लिए प्रेरणा देती हैं।
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