Awareness: The Perils and Opportunities of Reality

"Anthony de Mello"

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2/10/20251 मिनट पढ़ें

Awareness: The Perils and Opportunities of Reality- Anthony de Mello

"Awareness: The Perils and Opportunities of Reality" (अवेयरनेस: द पेरिल्स एंड अपॉर्च्युनिटीज़ ऑफ़ रियलिटी) एंथनी डी मेलो द्वारा लिखित एक अद्भुत आध्यात्मिक पुस्तक है। यह आत्म-जागरूकता (Awareness) और सचेतनता (Mindfulness) के माध्यम से जीवन को समझने और जागरूक रूप से जीने पर केंद्रित है।

पुस्तक की मुख्य थीम यह है कि हम गहरी नींद (अवचेतन अवस्था) में जी रहे हैं और हमें अपने विचारों, भावनाओं और सांसारिक इच्छाओं से मुक्त होकर वास्तविकता को देखना चाहिए। लेखक सिखाते हैं कि सच्चा आनंद (True Happiness) बाहरी परिस्थितियों से नहीं, बल्कि आंतरिक जागरूकता और समझ से आता है।

मुख्य बिंदु एवं विस्तृत व्याख्या:

1. हम सो रहे हैं (We Are Asleep)

  • मुख्य विचार: हममें से अधिकांश लोग जीवन को पूरी तरह से जागरूक होकर नहीं जीते, बल्कि एक स्वचालित (ऑटो-पायलट) तरीके से जीते हैं।

  • हम अपनी इच्छाओं, भावनाओं और समाज द्वारा थोपे गए विश्वासों के प्रभाव में रहते हैं, जिससे हमें सच्ची स्वतंत्रता नहीं मिलती।

  • लेखक के अनुसार, हम अपने पुराने विश्वासों, धारणाओं और इच्छाओं के चलते "गहरी नींद" में हैं और अपने जीवन की वास्तविकता को नहीं देख पाते।

  • यह नींद भौतिक वस्तुओं, पद, रिश्तों, और इच्छाओं के पीछे भागने से बनी रहती है।

2. जागरूकता (Awareness) ही मुक्ति है

  • मुख्य विचार: जीवन में सच्ची स्वतंत्रता और खुशी पाने के लिए हमें आत्म-जागरूक होना आवश्यक है।

  • जब हम अपने विचारों, इच्छाओं, भावनाओं, और सांसारिक मोह को केवल देखना शुरू करते हैं—बिना प्रतिक्रिया किए—तो हम उन्हें नियंत्रित करने की शक्ति प्राप्त कर सकते हैं।

  • हमें अपनी भावनाओं से अलग होकर केवल एक "दर्शक" (Observer) बनना चाहिए।

उदाहरण:

  • जब गुस्सा आता है, तो उसे "मेरा गुस्सा" कहने की बजाय, बस इसे "गुस्सा" के रूप में देखो।

  • इस जागरूकता से गुस्सा स्वतः ही शांत होने लगेगा, क्योंकि हम इसे अपनी पहचान से जोड़कर नहीं देख रहे।

3. सच्ची खुशी (True Happiness) अंदर से आती है

  • हम अक्सर सोचते हैं कि खुशी बाहरी चीजों (धन, प्रेम, सफलता, प्रसिद्धि) से आती है, लेकिन यह भ्रम है।

  • जब हम इन चीजों पर निर्भर होते हैं, तो हम उनके गुलाम बन जाते हैं।

  • सच्ची खुशी तब आती है जब हम चीजों को वैसे ही स्वीकार करते हैं जैसे वे हैं, बिना किसी अपेक्षा के।

  • "खुशी पाने की कोशिश ही सबसे बड़ा दुख है।"

उदाहरण:

  • यदि आपकी खुशी इस पर निर्भर करती है कि दूसरे लोग आपकी प्रशंसा करें, तो आप हमेशा दूसरों की राय के गुलाम बने रहेंगे।

  • लेकिन यदि आप आंतरिक रूप से संतुष्ट हैं, तो बाहरी प्रशंसा या आलोचना से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

4. लगाव (Attachments) और अपेक्षाएँ छोड़ो

  • हमारी सभी समस्याओं की जड़ें हमारी "लगाव" (Attachments) में होती हैं।

  • हम चीजों से, लोगों से, अपने विचारों और मान्यताओं से जुड़े रहते हैं, और जब ये चीजें बदलती हैं, तो हम दुखी हो जाते हैं।

  • समाधान: चीजों को पकड़ने की कोशिश छोड़ दो। उन्हें स्वाभाविक रूप से आने और जाने दो।

उदाहरण:

  • अगर कोई रिश्ता टूट जाए और आप सोचें कि "मैं इसके बिना अधूरा हूँ," तो आप तकलीफ में रहेंगे।

  • लेकिन अगर आप समझ लें कि जीवन निरंतर परिवर्तनशील है, तो आप चीजों को स्वाभाविक रूप से स्वीकार कर पाएंगे।

5. दर्द वास्तविक है, लेकिन दुख हमारा चुनाव है

  • जीवन में कठिनाइयाँ और समस्याएँ अनिवार्य हैं, लेकिन हम उन्हें कैसे देखते हैं, यह हमारे हाथ में है।

  • यदि हम जागरूक होकर किसी भी परिस्थिति को देखें, तो हम यह समझ पाएंगे कि दुख स्वयं निर्मित होता है।

  • हम हर परिस्थिति को या तो समस्या बना सकते हैं या सीखने का अवसर।

उदाहरण:

  • जब कोई आपको अपमानित करता है, तो आप क्रोधित होकर दुखी हो सकते हैं, या आप यह देख सकते हैं कि यह केवल उनके विचार हैं और आपको उनसे प्रभावित होने की आवश्यकता नहीं है।

6. दूसरों को बदलने की कोशिश मत करो, खुद को बदलो

  • हम अक्सर सोचते हैं कि दुनिया, परिस्थितियाँ और लोग बदल जाएँ, तो हमारी ज़िंदगी बेहतर हो जाएगी।

  • लेकिन सच यह है कि हमें खुद को बदलने की जरूरत है।

  • जब हमारी सोच और दृष्टिकोण बदलते हैं, तो हमारी ज़िंदगी खुद-ब-खुद बेहतर हो जाती है।

उदाहरण:

  • यदि कोई आपको परेशान कर रहा है, तो आप उसे दोष देने की बजाय यह देख सकते हैं कि आपकी प्रतिक्रिया आपके नियंत्रण में है।

  • आप कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, यह पूरी तरह से आपकी जागरूकता पर निर्भर करता है।

7. कोई भी आपकी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकता

  • यह सोचना कि दूसरे लोग हमें दुखी या खुश करते हैं, एक भ्रम है।

  • हमारी भावनाएँ पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में हैं, लेकिन हम उन्हें दूसरों पर निर्भर कर देते हैं।

  • जागरूकता विकसित करने से हम दूसरों के शब्दों और कार्यों से अप्रभावित रह सकते हैं।

उदाहरण:

  • यदि कोई आपको अपमानित करता है और आप दुखी हो जाते हैं, तो इसका मतलब है कि आप उनकी राय को बहुत महत्व देते हैं।

  • लेकिन यदि आप यह समझ लें कि उनकी राय केवल उनके विचार हैं, तो आप अप्रभावित रह सकते हैं।

8. जीवन को वैसे ही स्वीकार करें जैसा वह है

  • हम जीवन से अपेक्षाएँ रखते हैं कि यह हमेशा हमारे अनुसार चले, लेकिन जब यह वैसा नहीं होता, तो हम दुखी होते हैं।

  • हमें जीवन को पूरी तरह से वैसे ही स्वीकार करना सीखना चाहिए जैसा वह है, बिना किसी अपेक्षा के।

  • इस स्वीकृति से हमें सच्ची शांति और आनंद मिलेगा।

"Awareness" हमें यह सिखाती है कि सच्ची खुशी बाहरी चीजों से नहीं, बल्कि जागरूकता और आत्म-जागरूकता से आती है।

  • जब हम अपनी भावनाओं, विचारों और इच्छाओं को जागरूक होकर देखना सीखते हैं, तो हम उनसे मुक्त हो जाते हैं।

  • जब हम लगाव और अपेक्षाएँ छोड़ते हैं, तो सच्ची स्वतंत्रता और आनंद संभव हो पाता है।

  • जीवन को वैसे ही स्वीकार करें जैसा वह है, बिना किसी शिकायत या नियंत्रण की कोशिश के।

यह पुस्तक न केवल आध्यात्मिकता के बारे में है, बल्कि यह रोज़मर्रा के जीवन में शांति और संतोष पाने के लिए एक मार्गदर्शन है। यदि आप अपने जीवन में अधिक जागरूकता और स्वतंत्रता चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए अनमोल साबित होगी।