Be Here Now

"Ram Dass"

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11/26/20241 मिनट पढ़ें

Be Here Now-Ram Dass

"Be Here Now" राम दास (Ram Dass) द्वारा लिखी गई एक प्रेरणादायक और गहन आध्यात्मिक पुस्तक है, जिसे 1971 में प्रकाशित किया गया था। यह पुस्तक ध्यान, आत्म-जागरूकता और वर्तमान में जीने के महत्व पर केंद्रित है। राम दास, जो पहले हार्वर्ड विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर रिचर्ड एलपर्ट के नाम से जाने जाते थे, अपनी भारत यात्रा और आध्यात्मिक गुरुओं से प्राप्त शिक्षाओं के बाद राम दास बने। यह किताब उनकी जीवन यात्रा और आध्यात्मिक अनुभवों का सारांश है।

पुस्तक का मुख्य ढांचा

"Be Here Now" को चार मुख्य भागों में बांटा गया है:

1. द पिलग्रिमेज (The Journey)

  • यह भाग राम दास की जीवन यात्रा को दर्शाता है, जिसमें वे पश्चिमी जीवन शैली और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भारत के आध्यात्मिक पथ तक पहुंचे।

  • उन्होंने अपने गुरु नीम करोली बाबा से सीखी गई शिक्षाओं को साझा किया है।

2. कुकबुक फॉर ए सैकर्ड लाइफ (Cookbook for a Sacred Life)

  • यह भाग सरल लेकिन गहन विचारों, चित्रों और तकनीकों से भरा है, जो ध्यान और आत्म-जागरूकता को प्रोत्साहित करते हैं।

  • इसमें ध्यान, योग, और वर्तमान क्षण में जीने की विधियों को समझाया गया है।

3. द मिरर (The Mirror)

  • इसमें राम दास ने आत्म-चिंतन और आध्यात्मिक प्रथाओं के माध्यम से आत्मा की गहराई को पहचानने की बात की है।

  • यह भाग विभिन्न उद्धरणों, विचारों, और आध्यात्मिक संदेशों से भरा है।

4. अधिक संसाधन और अभ्यास (Resources and Practices)

  • इस भाग में ध्यान, प्राणायाम, और जीवन के गहरे पहलुओं को समझने के लिए अभ्यास दिए गए हैं।

  • इसमें व्यक्तिगत विकास के लिए अनुशासन और साधना की महत्ता पर चर्चा की गई है।

यदि आप अपनी आंतरिक यात्रा को गहराई से समझना चाहते हैं और जीवन में अधिक संतोष प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए उपयोगी हो सकती है।

1. वर्तमान क्षण में जीना

  • राम दास का मुख्य संदेश यह है कि जीवन केवल अभी में होता है।

  • अधिकांश लोग या तो अतीत के पछतावे में या भविष्य की चिंताओं में उलझे रहते हैं, जिससे वे वर्तमान की खूबसूरती और संभावनाओं को अनदेखा कर देते हैं।

  • वर्तमान क्षण में जीने का अर्थ है अपने विचारों और भावनाओं को बिना जज किए स्वीकार करना और इस क्षण में पूरी तरह उपस्थित होना।

  • उन्होंने ध्यान और अन्य प्रथाओं के माध्यम से मन को नियंत्रित करने और वर्तमान में पूरी तरह जीने के तरीके सुझाए हैं।

2. आध्यात्मिक विकास

  • पुस्तक इस विचार को सशक्त करती है कि मानव जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक लक्ष्यों को पाना नहीं है, बल्कि आत्मा का विकास करना है।

  • राम दास ने यह बताया कि आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिकता के माध्यम से व्यक्ति अपनी असली पहचान को समझ सकता है।

  • भारत की यात्रा के दौरान उन्होंने अनुभव किया कि सच्चा सुख और शांति बाहरी चीजों से नहीं, बल्कि आत्मा की गहराई से आती है।

  • उन्होंने योग और ध्यान को आत्म-विकास का महत्वपूर्ण साधन बताया।

3. एगो (Ego) का महत्व और उसकी सीमा

  • "एगो" को राम दास ने मानव चेतना की सीमाओं का प्रतीक बताया।

  • उन्होंने कहा कि अहंकार (Ego) वह दीवार है, जो हमें हमारी सच्ची आत्मा से अलग करती है।

  • यह अहंकार हमें खुद को दूसरों से अलग समझने के लिए प्रेरित करता है और हमारे जीवन में संघर्ष और दुख का कारण बनता है।

  • राम दास के अनुसार, अहंकार को पहचानना और धीरे-धीरे इसे पार करना ही सच्ची मुक्ति की ओर पहला कदम है।

4. गुरु का महत्व

  • राम दास ने अपने गुरु नीम करोली बाबा का उल्लेख कई बार किया है।

  • उन्होंने बताया कि एक सच्चा गुरु न केवल जीवन के सही मार्ग को दिखाता है, बल्कि प्रेम, करुणा और आत्म-समर्पण की शक्ति को भी जागृत करता है।

  • गुरु वह दर्पण है, जो व्यक्ति को उसकी आत्मा के वास्तविक स्वरूप से परिचित कराता है।

  • गुरु से मिली शिक्षाओं ने उन्हें अहंकार छोड़ने, सेवा को प्राथमिकता देने और सच्ची शांति पाने में मदद की।

5. प्रेम और सेवा

  • पुस्तक में प्रेम और सेवा को जीवन का उच्चतम उद्देश्य बताया गया है।

  • राम दास ने कहा कि हर व्यक्ति के अंदर दिव्यता है, और दूसरों की सेवा करके हम उस दिव्यता को पहचान सकते हैं।

  • सेवा केवल भौतिक मदद तक सीमित नहीं है; यह दूसरों के प्रति बिना शर्त प्रेम और करुणा दिखाने का माध्यम है।

  • उन्होंने "सेवा" को ध्यान और आत्म-जागरूकता के समान आध्यात्मिक अभ्यास बताया।

6. द पिलग्रिमेज (The Journey)

  • यह राम दास के व्यक्तिगत अनुभवों और जीवन यात्रा का विवरण है।

  • वे पहले हार्वर्ड विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर थे और उन्होंने एलएसडी जैसी साइकेडेलिक दवाओं पर शोध किया।

  • उनकी भारत यात्रा ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया।

  • नीम करोली बाबा से मिलने के बाद उन्होंने अहंकार को त्यागकर भक्ति और साधना का मार्ग अपनाया।

7. कुकबुक फॉर ए सैकर्ड लाइफ (Cookbook for a Sacred Life)

  • यह हिस्सा जीवन को सरल लेकिन गहराई से जीने के तरीके सिखाने के लिए लिखा गया है।

  • इसमें ध्यान, योग, प्राणायाम और मंत्रों का उपयोग कर जीवन को संतुलित और अर्थपूर्ण बनाने के सुझाव दिए गए हैं।

  • इसे "कुकबुक" इसलिए कहा गया है क्योंकि यह जीवन को पवित्र और आनंदमय बनाने के लिए व्यावहारिक 'रेसिपी' देता है।

  • उदाहरण के लिए:

    • सांस का महत्व: ध्यान के दौरान अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने से मन को शांत किया जा सकता है।

    • मंत्रों का जप: सकारात्मक ऊर्जा और चेतना को बढ़ाने में सहायक होता है।

8. द मिरर (The Mirror)

  • इस भाग में आत्म-जागरूकता पर फोकस किया गया है।

  • उन्होंने इसे "दर्पण" कहा, क्योंकि इसमें विचारों और प्रथाओं के माध्यम से आत्मा को देखने और समझने की प्रक्रिया है।

  • राम दास ने इसे व्यक्तिगत रूप से प्रेरक उद्धरणों, चित्रों, और ग्राफिक्स के माध्यम से प्रस्तुत किया है, जो पाठकों को गहराई से सोचने और ध्यान करने के लिए प्रेरित करते हैं।

  • यह भाग पाठकों को खुद से सवाल पूछने के लिए प्रेरित करता है:

    • "मैं कौन हूं?"

    • "मेरा जीवन का उद्देश्य क्या है?"

9. अधिक संसाधन और अभ्यास (Resources and Practices)

  • अंतिम भाग में राम दास ने ध्यान, योग, और साधना के विभिन्न अभ्यासों के लिए मार्गदर्शन दिया है।

  • उन्होंने बताया कि ध्यान और प्राणायाम का नियमित अभ्यास मन को शांत करता है और आत्मा को जागृत करता है।

  • इसके साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि साधना के लिए अनुशासन और समर्पण जरूरी है।

पुस्तक का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव

  1. योग और ध्यान को लोकप्रिय बनाना:

    • इस पुस्तक ने पश्चिम में योग और ध्यान को समझने और अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  2. नए दृष्टिकोण का विकास:

    • यह पुस्तक भौतिकता और आध्यात्मिकता के बीच संतुलन स्थापित करने का संदेश देती है।

  3. काउंटरकल्चर मूवमेंट का हिस्सा:

    • 1960 और 70 के दशक के युवाओं ने इसे अपने जीवन और समाज को पुनः परिभाषित करने के एक उपकरण के रूप में अपनाया।

"Be Here Now" केवल पढ़ने की किताब नहीं है, बल्कि एक अनुभव है। यह आपको अपने भीतर की यात्रा पर ले जाती है और जीवन को एक नई दृष्टि से देखने की प्रेरणा देती है।

राम दास और नीम करोली बाबा के संवाद :- राम दास ने बाबा के साथ बिताए समय को बेहद साधारण लेकिन गहरे अर्थों से भरा बताया है।

मुख्य संवाद और घटनाएं

1. "प्रेम और सेवा का महत्व"

  • एक बार नीम करोली बाबा ने राम दास से पूछा,
    "तुम भगवान को कैसे पाओगे?"
    राम दास ने जवाब दिया कि वह ध्यान और साधना के माध्यम से प्रयास करेंगे।
    बाबा ने मुस्कुराकर कहा,
    "नहीं, सेवा और प्रेम से।"
    यह संवाद राम दास की पूरी सोच बदलने वाला था। उन्होंने समझा कि भक्ति और सेवा में ही सच्चा आत्मा का अनुभव होता है।

2. "एलएसडी का अनुभव"

  • राम दास जब पहली बार बाबा से मिले, तो वे एलएसडी (LSD) जैसी साइकेडेलिक ड्रग्स के प्रभावों के बारे में उत्सुक थे।

  • उन्होंने बाबा को एलएसडी दी, और बाबा ने इसे बिना किसी प्रभाव के ग्रहण कर लिया।

  • बाबा ने कहा,
    "यह तुम्हें भगवान तक नहीं ले जाएगा। ध्यान और प्रेम से तुम जो खोज रहे हो, वह प्राप्त होगा।"

  • इस अनुभव ने राम दास को समझाया कि साइकेडेलिक्स केवल एक झलक दिखा सकते हैं, लेकिन सच्ची आध्यात्मिकता के लिए अभ्यास और समर्पण आवश्यक है।

3. "सादगी और विश्वास"

  • राम दास एक दिन बाबा के पास अपनी समस्याओं और चिंताओं को लेकर गए।
    बाबा ने उन्हें मुस्कुराकर कहा:
    "बस 'राम' नाम लो। तुम्हारी सारी चिंताएं समाप्त हो जाएंगी।"

  • राम दास ने महसूस किया कि बाबा का संदेश जितना सरल था, उतना ही गहरा और प्रभावी। यह राम नाम जपने की साधना को उनके जीवन का हिस्सा बना दिया।

4. "विश्वास का पाठ"

  • एक दिन बाबा ने कहा:
    "जो कुछ भी होता है, वह भगवान की इच्छा से होता है। अपने आप को उस इच्छा के साथ बहने दो।"

  • राम दास को यह समझने में समय लगा कि यह संवाद आत्म-समर्पण और अहंकार को छोड़ने का संदेश था। बाबा की सिखाई हुई यह बात उनके जीवन की दिशा बदलने वाली सिद्ध हुई।

5. "करुणा का महत्व"

  • बाबा ने राम दास से कहा:
    "जब तुम दूसरों की सेवा करते हो, तो तुम भगवान की सेवा करते हो। हर किसी में भगवान को देखो।"

  • राम दास ने इस शिक्षण को गहराई से अपनाया और अपने जीवन का उद्देश्य दूसरों की सेवा और सहायता बनाना शुरू कर दिया।

महत्वपूर्ण घटनाएं जो संवादों से जुड़ी हैं

  1. बाबा का 'अलौकिक ज्ञान':

    • बाबा ने राम दास को उनके जीवन की व्यक्तिगत घटनाओं के बारे में बताया, जो उन्होंने कभी साझा नहीं की थीं।

    • उदाहरण: जब राम दास के माता-पिता की मृत्यु हुई थी, बाबा ने बिना बताए ही इसे जिक्र किया।
      यह घटना राम दास के विश्वास को और मजबूत कर गई।

  2. 'सर्दी में कम्बल का किस्सा':

    • बाबा ने सर्दी में ठंड से कांपते राम दास को केवल एक कम्बल दिया और कहा:
      "यह सब तुम्हारी सोच का खेल है। ठंड महसूस करना बंद करो।"

    • यह राम दास को मानसिक शक्ति और आत्म-नियंत्रण का पाठ सिखाने के लिए था।

संवादों का सार

नीम करोली बाबा के संवाद सीधे और सरल होते थे, लेकिन उनका हर शब्द गहरे अर्थ लिए होता था। उनके शिक्षण के मुख्य बिंदु थे:

  1. प्रेम करो और सेवा करो।

  2. भगवान हर किसी में हैं।

  3. वर्तमान में जियो और विश्वास रखो।

  4. अहंकार को छोड़ो और आत्मसमर्पण करो।

इन संवादों और शिक्षाओं ने राम दास को उनकी आध्यात्मिक यात्रा में न केवल मार्गदर्शन दिया, बल्कि उन्हें पश्चिमी दुनिया में इन संदेशों को फैलाने की प्रेरणा भी दी।

कृपया ज्यादा जानकारी के लिए किताब पढ़े।