Be Still and Know
"Joseph H. Girzone"
BLOG
2/11/20251 मिनट पढ़ें
Be Still and Know- Joseph H. Girzone
"Be Still and Know" (बी स्टिल एंड नो) जोसेफ एच. गिर्ज़ोन द्वारा लिखित एक प्रेरणादायक और आध्यात्मिक पुस्तक है। यह पुस्तक शांति, ध्यान, और परमात्मा के साथ एक गहरा संबंध विकसित करने के बारे में मार्गदर्शन देती है। लेखक हमें यह समझाने का प्रयास करते हैं कि आधुनिक जीवन की आपाधापी और तनाव के बीच हम अपने भीतर की गहराई में जाकर ईश्वर की उपस्थिति को कैसे महसूस कर सकते हैं।
यह पुस्तक आध्यात्मिक जागरूकता, मौन की शक्ति, और ईश्वर के साथ व्यक्तिगत संबंध को गहराई से समझने का एक सुंदर प्रयास है।
मुख्य बिंदु एवं विस्तृत व्याख्या:
1. मौन (Stillness) और ईश्वर का अनुभव
पुस्तक का शीर्षक ही बताता है कि हमें शांति और मौन के माध्यम से ईश्वर की उपस्थिति को जानने की आवश्यकता है।
हमारे विचारों और भावनाओं की निरंतर हलचल हमें परमात्मा से जुड़ने से रोकती है।
जब हम सचेत रूप से शांत होते हैं, तो हम अपने भीतर एक गहरा आत्म-साक्षात्कार कर सकते हैं।
उदाहरण:
जब हम प्रकृति में अकेले बैठते हैं और केवल मौन को महसूस करते हैं, तो हमें एक गहरी शांति और दिव्य अनुभूति होती है।
यही मौन हमें ईश्वर से जोड़ता है।
2. ध्यान (Meditation) और प्रार्थना (Prayer) का महत्व
लेखक बताते हैं कि केवल बाहरी पूजा-पाठ ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि हमें ध्यान और प्रार्थना के माध्यम से ईश्वर से गहरा संबंध स्थापित करना चाहिए।
सच्ची प्रार्थना केवल शब्दों का दोहराव नहीं, बल्कि एक आंतरिक संवाद (Inner Conversation) होती है।
ध्यान के माध्यम से हम ईश्वर की दिव्य उपस्थिति को अनुभव कर सकते हैं।
उदाहरण:
यदि आप केवल मंत्रों या प्रार्थनाओं का जाप करते हैं लेकिन मन कहीं और भटकता रहता है, तो यह वास्तविक प्रार्थना नहीं है।
जब आप पूर्ण ध्यान और मौन के साथ प्रार्थना करते हैं, तब ईश्वर से वास्तविक संबंध बनता है।
3. आधुनिक जीवन और आध्यात्मिकता में संतुलन
लेखक इस बात पर जोर देते हैं कि आधुनिक जीवन की व्यस्तता हमें आत्म-चिंतन और आध्यात्मिकता से दूर कर सकती है।
हमें अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी आध्यात्मिक जागरूकता बनाए रखनी चाहिए।
काम, परिवार और समाज में रहकर भी हम शांति और ईश्वर से संबंध बना सकते हैं।
उदाहरण:
ऑफिस में तनावपूर्ण माहौल में भी अगर हम कुछ मिनट शांति से बैठकर गहरी सांस लें और अपने भीतर झाँकें, तो हम ईश्वर की उपस्थिति को महसूस कर सकते हैं।
इसका अर्थ यह नहीं कि हमें दुनियावी जिम्मेदारियों को छोड़ना है, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखना है।
4. ईश्वर से व्यक्तिगत संबंध (A Personal Relationship with God)
यह पुस्तक इस बात को गहराई से समझाती है कि ईश्वर कोई बाहरी शक्ति नहीं, बल्कि हमारे भीतर निवास करने वाली एक दिव्य चेतना है।
हमें धार्मिक रूढ़ियों से अधिक, ईश्वर से एक व्यक्तिगत और जीवंत संबंध बनाने पर ध्यान देना चाहिए।
ईश्वर से संबंध केवल डर या कर्तव्य की भावना से नहीं, बल्कि प्रेम और विश्वास के आधार पर होना चाहिए।
उदाहरण:
कई लोग ईश्वर की पूजा केवल इसलिए करते हैं क्योंकि वे किसी अनहोनी से डरते हैं।
लेकिन सच्चा आध्यात्मिक अनुभव तब आता है जब हम ईश्वर से प्रेमपूर्वक जुड़ते हैं, न कि भयवश।
5. धैर्य और विश्वास (Patience and Trust in God)
लेखक हमें यह सिखाते हैं कि जीवन में कठिनाइयाँ आएंगी, लेकिन हमें धैर्य और विश्वास बनाए रखना चाहिए।
हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि हर चीज़ हमारे नियंत्रण में नहीं है, और कुछ चीज़ें ईश्वर के समयानुसार होती हैं।
जब हम पूरी तरह से ईश्वर पर भरोसा करते हैं, तो जीवन में आने वाली बाधाएँ हमें परेशान नहीं करतीं।
उदाहरण:
यदि किसी व्यक्ति को नौकरी नहीं मिल रही, तो उसे निराश होने के बजाय यह सोचना चाहिए कि शायद ईश्वर के पास उसके लिए कुछ और बेहतर योजना है।
6. सच्ची आध्यात्मिकता (True Spirituality) क्या है?
लेखक यह स्पष्ट करते हैं कि सच्ची आध्यात्मिकता केवल धार्मिक कर्मकांडों तक सीमित नहीं होनी चाहिए।
सच्चा आध्यात्मिक व्यक्ति वही है जो अपने जीवन में प्रेम, दया, करुणा, और सहानुभूति को अपनाता है।
यह केवल चर्च या मंदिर जाने से नहीं आता, बल्कि दूसरों की सेवा और सच्ची मानवता से आता है।
उदाहरण:
यदि कोई व्यक्ति रोज़ पूजा-पाठ करता है, लेकिन दूसरों के प्रति क्रोध और घृणा रखता है, तो वह सच्ची आध्यात्मिकता नहीं है।
लेकिन यदि कोई बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की मदद करता है, तो वह व्यक्ति वास्तव में आध्यात्मिक है।
7. शांति और संतोष (Inner Peace and Contentment)
पुस्तक में बताया गया है कि असली खुशी और शांति बाहर की दुनिया से नहीं, बल्कि हमारे आंतरिक मन से आती है।
जब हम बाहरी चीजों पर अपनी खुशी निर्भर करते हैं, तो हम हमेशा असंतुष्ट रहते हैं।
लेकिन जब हम भीतर की शांति को पहचानते हैं, तो हम किसी भी परिस्थिति में खुश रह सकते हैं।
उदाहरण:
कोई व्यक्ति सोचता है कि वह केवल तब खुश रहेगा जब उसे बहुत पैसा मिलेगा, लेकिन जब वह पैसा कमाता है, तो और अधिक की इच्छा जागृत हो जाती है।
असली शांति तब आती है जब हम वर्तमान में रहकर ईश्वर की कृपा को महसूस करते हैं।
"Be Still and Know" हमें सिखाती है कि जीवन की भागदौड़ और तनाव के बीच भी हम ईश्वर से गहरा संबंध बना सकते हैं।
सच्चा आध्यात्मिक अनुभव तभी आता है जब हम मौन और ध्यान के माध्यम से ईश्वर को महसूस करते हैं।
बाहरी दुनिया की चीज़ें अस्थायी हैं, लेकिन ईश्वर से जुड़ाव हमें स्थायी शांति और आनंद देता है।
हमें धार्मिक कर्मकांडों से आगे बढ़कर प्रेम, करुणा और विश्वास के साथ जीना चाहिए।
यदि आप अपने जीवन में आध्यात्मिक गहराई और ईश्वर से एक वास्तविक संबंध स्थापित करना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए अत्यंत उपयोगी होगी।
हमारा उद्देश्य केवल सजगता बढ़ाना है ,हम जन साधारण को संतो, ध्यान विधियों ,ध्यान साधना से संबन्धित पुस्तकों के बारे मे जानकारी , इंटरनेट पर मौजूद सामग्री से जुटाते है । हम किसी धर्म ,संप्रदाय ,जाति , कुल ,या व्यक्ति विशेष की मान मर्यादा को ठेस नही पहुंचाते है । फिर भी जाने अनजाने , यदि किसी को कुछ सामग्री सही प्रतीत नही होती है , कृपया हमें सूचित करें । हम उस जानकारी को हटा देंगे ।
website पर संतो ,ध्यान विधियों , पुस्तकों के बारे मे केवल जानकारी दी गई है , यदि साधकों /पाठकों को ज्यादा जानना है ,तब संबन्धित संस्था ,संस्थान या किताब के लेखक से सम्पर्क करे ।
© 2024. All rights reserved.