ज्योतिर्लिंग

भगवान शिव

BLOG

10/28/20241 मिनट पढ़ें

ज्योतिर्लिंग

ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के दिव्य प्रकाश स्वरूप का प्रतीक हैं। हिंदू धर्म के अनुसार, "ज्योतिर्लिंग" का अर्थ है "प्रकाश का लिंग" या "प्रकाश का स्तंभ," जो भगवान शिव के अनंत और अखंड रूप को दर्शाता है। यह माना जाता है कि ये ज्योतिर्लिंग ऐसे स्थान हैं, जहाँ शिवजी स्वयं ज्योति (प्रकाश) के रूप में प्रकट हुए थे।

ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह प्रमुख दिव्य लिंग रूपों को कहा जाता है, जो उनके विशेष ऊर्जा और प्रकाश के प्रतीक माने जाते हैं। ये बारह ज्योतिर्लिंग भारत के विभिन्न भागों में स्थित हैं, और माना जाता है कि ये स्थान शिवभक्तों की गहरी आस्था का केन्द्र हैं। इन ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख "शिव पुराण" और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। प्रत्येक ज्योतिर्लिंग की अपनी अलग कथा और महिमा है, जो शिवजी की भक्ति, शक्ति, और उनके दैवीय रूप को दर्शाती है। यहाँ बारह ज्योतिर्लिंगों का विवरण दिया गया है:

1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)

- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है और इसे शिव के पहले ज्योतिर्लिंग के रूप में माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, चंद्रमा ने अपनी पत्नी रोहिणी के साथ शिव की तपस्या की और यहाँ शिवजी ने उन्हें श्राप से मुक्त किया।

- सोमनाथ मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और इस मंदिर को कई बार विदेशी आक्रमणकारियों ने नष्ट किया, लेकिन हर बार इसे पुनर्निर्मित किया गया।

2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)

- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित है। इसे दक्षिण का काशी भी कहा जाता है। कहा जाता है कि यहाँ शिव और पार्वती अपने पुत्रों कार्तिकेय और गणेश के साथ आए थे।

- यह मंदिर न केवल शिवभक्तों के लिए, बल्कि शक्ति उपासकों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे शक्ति पीठ और ज्योतिर्लिंग का संयुक्त स्थल माना जाता है।

3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)

- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन में स्थित है और यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यह ज्योतिर्लिंग मृत्यु के देवता के रूप में प्रतिष्ठित है, जो भक्तों को मृत्यु के भय से मुक्त करता है।

- महाकालेश्वर मंदिर के अंदर भस्म आरती का विशेष महत्व है, जहाँ शिवजी की भस्म से पूजा की जाती है।

4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)

- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। यह लिंग "ॐ" के आकार में होने के कारण "ओंकारेश्वर" कहलाता है। मान्यता है कि यहाँ की पूजा करने से सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।

- ओंकारेश्वर के पास ही माँ पर्वत पर स्थित ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी विशेष पूजनीय है।

5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड)

- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड के हिमालय पर्वत की ऊँचाई पर स्थित है और यह ज्योतिर्लिंग चार धामों में से एक है। यहाँ शिव का रूप स्वयंभू रूप में प्रतिष्ठित है।

- इस मंदिर का पौराणिक इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है, जहाँ पांडवों ने अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए यहाँ शिवजी की तपस्या की थी।

6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है। यहाँ भीम नामक राक्षस का वध कर भगवान शिव ने यहाँ निवास किया था।

- यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और हरियाली इसे विशेष बनाती है। भीमाशंकर मंदिर का महत्व भगवान शिव के रौद्र रूप से भी जुड़ा है।

7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश)

- काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी (काशी) में स्थित है। यह मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जहाँ भक्त शिवजी के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं।

- इस मंदिर का महत्त्व इतना है कि यहाँ एक बार दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।

8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक में स्थित है और यहाँ गोदावरी नदी का उद्गम स्थान माना जाता है। शिवजी का यह रूप तीन नेत्रों वाला है, जो त्र्यंबक कहलाता है।

- यह स्थान विशेष रूप से कुंभ मेले के समय लाखों शिव भक्तों को आकर्षित करता है।

9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड)

- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। इसे "वैद्यनाथ धाम" भी कहते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, यहाँ शिवजी ने रावण के तप से प्रसन्न होकर उसे अपने ज्योतिर्लिंग का वरदान दिया था।

- इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजा से सभी रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात)

- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका में स्थित है। यहाँ शिवजी नागों के देवता के रूप में प्रतिष्ठित हैं। यहाँ की पूजा से भक्त सभी विषम परिस्थितियों से मुक्त हो जाते हैं।

- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को नागों के प्रभाव से रक्षा करने वाला ज्योतिर्लिंग माना गया है।

11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)

- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप पर स्थित है। इसे दक्षिण भारत का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है, जहाँ भगवान राम ने सीता के उद्धार के पश्चात शिवलिंग की स्थापना की थी।

- यहाँ की पूजा और दर्शन से पापों का नाश होता है और भक्तों को शांति प्राप्त होती है।

12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की कथा में घृष्णा नामक एक स्त्री की भक्ति का वर्णन है, जिसने शिव की तपस्या से अपने पुत्र को पुनः जीवित कर दिया।

- इस स्थान का दर्शन भक्तों को जीवन में शक्ति और साहस प्रदान करता है।

ज्योतिर्लिंग ईश्वर के प्रति अनन्य प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक हैं। इन ज्योतिर्लिंगों की पूजा से सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है और आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त होता है।

बारह ज्योतिर्लिंगों से जुड़ी कथाएँ अत्यंत रोचक और शिक्षाप्रद हैं। इन सभी कथाओं में शिवजी की महानता और भक्तों की भक्ति की परीक्षा के संदर्भ मिलते हैं। इन कथाओं के माध्यम से शिव की दिव्यता और उनकी अनंत कृपा का अनुभव होता है।

बारह ज्योतिर्लिंगों की पौराणिक कथाओं के बारे में विस्तार:

1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)

- कथा: दक्ष प्रजापति की 27 पुत्रियाँ थीं जिनका विवाह चंद्रदेव से हुआ था। लेकिन चंद्रदेव केवल अपनी पत्नी रोहिणी को अधिक प्रेम करते थे, जिससे अन्य पत्नियाँ दुःखी हो गईं। उन्होंने अपने पिता दक्ष से शिकायत की। दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि उनकी चमक धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी। दुखी होकर चंद्रमा ने शिवजी की तपस्या की, और शिवजी ने उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर उन्हें श्राप से मुक्ति प्रदान की। तभी से यहाँ शिव "सोमनाथ" के रूप में पूजे जाने लगे। माना जाता है कि शिवजी ने चंद्रमा को हर महीने घटने और बढ़ने का आशीर्वाद दिया।

2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)

- कथा: पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय नाराज होकर दक्षिण में पर्वत पर चले गए थे। उन्हें मनाने के लिए शिवजी और माता पार्वती यहाँ आए। मल्लिकार्जुन का अर्थ होता है 'मल्लिका' यानी पार्वती और 'अर्जुन' यानी शिव। इस कारण से यह स्थान मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध हुआ। यहाँ शिव और शक्ति दोनों की उपासना होती है, और इसे दक्षिण का काशी भी कहा जाता है।

3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)

- कथा: उज्जैन नगर में एक राक्षस था जिसका नाम दूषण था। वह धार्मिक कार्यों में विघ्न डालता था और नगरवासियों को परेशान करता था। नगरवासियों की प्रार्थना पर भगवान शिव ने प्रकट होकर दूषण का वध किया और यहाँ महाकालेश्वर के रूप में प्रतिष्ठित हुए। ऐसा माना जाता है कि महाकालेश्वर मंदिर में शिवजी मृत्यु के देवता के रूप में विराजमान हैं। इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता यह है कि यह दक्षिणमुखी है और यहाँ भस्म आरती अत्यंत प्रसिद्ध है।

4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)

- कथा: एक बार नर्मदा नदी के तट पर कई ऋषियों ने तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यहाँ ओंकार रूप में प्रकट हुए, जिससे यह "ओंकारेश्वर" कहलाया। साथ ही यहाँ ममलेश्वर के रूप में भी एक लिंग स्थापित हुआ। इस कथा के अनुसार, यह स्थान अत्यंत पवित्र और मनोकामना पूर्ति का स्थान माना जाता है।

5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड)

- कथा: महाभारत के युद्ध के बाद पांडव अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने शिवजी की तपस्या की। लेकिन शिवजी उनसे रुष्ट होकर गुप्तकाशी की ओर चले गए। पांडव उनके पीछे-पीछे पहुँच गए, और अंततः शिवजी केदारनाथ में प्रकट हुए और पांडवों को दर्शन दिए। यहाँ शिवजी की पीठ केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रतिष्ठित है।

6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

- कथा: इस क्षेत्र में भीम नामक एक राक्षस हुआ करता था। भीम ने देवताओं को हराकर स्वर्ग लोक में हाहाकार मचा दिया था। सभी देवताओं ने शिव से सहायता मांगी। शिवजी ने भीम का वध किया और तब यहाँ पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग स्थापित हुआ। यहाँ की पूजा से शिव भक्त को विपत्तियों से मुक्ति मिलती है।

7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश)

- कथा: ऐसा माना जाता है कि काशी विश्वनाथ के रूप में शिवजी स्वयं वाराणसी में निवास करते हैं और यहाँ आने वाले भक्तों को मोक्ष प्रदान करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी में मरने वाले को स्वयं शिवजी तारक मंत्र देकर मोक्ष प्रदान करते हैं। यह मंदिर समर्पण और शांति का प्रतीक है, जहाँ भक्तों का विश्वास है कि यहाँ की पूजा से वे मृत्यु के बंधनों से मुक्त हो सकते हैं।

8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

- कथा: यह मंदिर नासिक में स्थित है और गोदावरी नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। एक बार ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या ने त्र्यंबकेश्वर में शिव की तपस्या की, और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने यहाँ तीन नेत्रों वाले स्वरूप में प्रकट होकर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित किया। इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता यह है कि यह जल से अभिषिक्त होता रहता है।

9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड)

- कथा: रावण शिवजी का महान भक्त था और उसने कठोर तपस्या करके शिव से ज्योतिर्लिंग का वरदान प्राप्त किया। वह इस ज्योतिर्लिंग को लंका में स्थापित करना चाहता था, लेकिन एक चाल के कारण वह इसे देवघर में ही छोड़ गया। इसलिए यहाँ वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई। यह माना जाता है कि इस स्थान की पूजा से सभी रोगों से मुक्ति मिलती है।

10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात)

- कथा: एक बार शिव भक्त सुहास को दारुक नामक राक्षस ने कैद कर लिया। तब सुहास ने अपनी भक्ति से शिव को प्रसन्न किया, और शिव नागेश्वर रूप में प्रकट होकर उस राक्षस का वध कर भक्त को मुक्त किया। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सभी विषम परिस्थितियों से मुक्ति मिलती है और यहाँ के दर्शन भक्तों को सर्प दोष से भी राहत देते हैं।

11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)

- कथा: रामेश्वरम वह स्थान है, जहाँ भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने से पूर्व शिवलिंग की स्थापना की थी। कहा जाता है कि भगवान राम ने यहाँ शिवजी की पूजा की थी, ताकि उनके सभी पाप समाप्त हो जाएँ। इस ज्योतिर्लिंग का महत्व इतना है कि इसे चार धामों में से एक माना जाता है।

12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

- कथा: घृष्णा नामक एक महिला भगवान शिव की परम भक्त थीं। उन्होंने अपने तप से शिव को प्रसन्न किया और शिवजी ने यहाँ ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर घृष्णेश्वर नाम से प्रतिष्ठित हुए। इस स्थान पर शिव के दर्शन से भक्तों को जीवन में शक्ति और साहस मिलता है।

बारह ज्योतिर्लिंगों की ये कथाएँ भगवान शिव की अनंत कृपा और उनकी भक्ति के महत्व को दर्शाती हैं। हर कथा एक गहरे संदेश को लेकर आती है और बताती है कि सच्ची भक्ति से भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों को आशीर्वाद और मोक्ष प्रदान करते हैं। इन ज्योतिर्लिंगों की यात्रा, पूजा और दर्शन से भक्तों को सभी पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यह सामग्री इंटरनेट के माध्यम से तैयार की गयी है, ज्यादा जानकारी के लिए, उपरोक्त से संबन्धित संस्थान से सम्पर्क करें ।

उपरोक्त सामग्री व्यक्ति विशेष को जानकारी देने के लिए है, किसी समुदाय, धर्म, संप्रदाय की भावनाओं को ठेस या धूमिल करने के लिए नहीं है ।