लातिहान

"ध्यान की एक सरल विधि "

MEDITATION TECHNIQUES

11/5/20241 मिनट पढ़ें

लातिहान

लातिहान (Latihan) बापक सुबुध द्वारा सुझाया गया एक विशेष प्रकार का आध्यात्मिक अभ्यास है, जिसे आत्म-ज्ञान और आत्मा के जागरण के लिए किया जाता है। यह एक सहज और स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसमें कोई विशेष तकनीक, मंत्र, योग या ध्यान की आवश्यकता नहीं होती। इसका उद्देश्य व्यक्ति को उसकी आंतरिक आत्मा के साथ जोड़ना और ईश्वर या दिव्य शक्ति से संपर्क में लाना है।

लातिहान की प्रक्रिया:

लातिहान की प्रक्रिया सरल है, लेकिन इसे करना एक गहरा और व्यक्तिगत अनुभव होता है। इसे आमतौर पर समूह में किया जाता है, लेकिन इसे व्यक्तिगत रूप से भी किया जा सकता है। लातिहान के दौरान, साधक किसी बाहरी निर्देश या सोच-विचार पर ध्यान केंद्रित नहीं करता, बल्कि खुद को पूरी तरह से ईश्वर या दिव्यता के हवाले कर देता है। नीचे लातिहान की प्रक्रिया के चरणों का विस्तृत वर्णन किया गया है:

1. तैयारी और समर्पण:

लातिहान प्रारंभ करने से पहले व्यक्ति को खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करना होता है। यह तैयारी मुख्य रूप से एक सरल और शांतिपूर्ण वातावरण में की जाती है। व्यक्ति एक स्थान पर खड़ा होता है या बैठता है, जहाँ कोई बाधा या विकर्षण न हो। मन को शांत करके, साधक खुद को ईश्वर या दिव्यता के समक्ष समर्पित करता है और अपने अंदर यह भावना उत्पन्न करता है कि वह पूरी तरह से दिव्य शक्ति के हाथों में है।

समर्पण का मंत्र: साधक मन में यह संकल्प करता है कि, "हे परमात्मा, मैं खुद को आपके हवाले करता हूँ। मुझे आपकी दिव्य इच्छा के अनुसार मार्गदर्शन मिले।" इस तरह के विचार के साथ व्यक्ति लातिहान की शुरुआत करता है।

2. शरीर को मुक्त छोड़ना (Physical Relaxation):

लातिहान की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के योगासन, शारीरिक क्रियाओं, या ध्यान की कोई निश्चित विधि नहीं होती। साधक को अपने शरीर को पूरी तरह से ढीला और मुक्त छोड़ने की आवश्यकता होती है। उसे किसी प्रकार की क्रिया या मुद्रा को नियंत्रित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, बल्कि अपने शरीर को स्वाभाविक रूप से जो महसूस हो, उसे होने देना चाहिए।

3. आंतरिक ध्यान (Inner Attention):

लातिहान का असली अभ्यास तब शुरू होता है जब साधक अपनी आंतरिक आत्मा पर ध्यान केंद्रित करता है। इस दौरान किसी प्रकार के विचारों, संकल्पों, या अपेक्षाओं को छोड़ दिया जाता है। व्यक्ति का ध्यान पूरी तरह से अपने आंतरिक अनुभव पर होता है, और वह अपनी आत्मा के माध्यम से ईश्वर से जुड़ने की कोशिश करता है।

4. आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह (Flow of Spiritual Energy):

जैसे-जैसे साधक लातिहान के दौरान शांत और समर्पित अवस्था में होता है, उसके भीतर एक दिव्य ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है। यह ऊर्जा व्यक्ति के भीतर बिना किसी प्रयास के स्वाभाविक रूप से प्रवाहित होती है। इस अवस्था में व्यक्ति कई तरह की शारीरिक और मानसिक क्रियाओं का अनुभव कर सकता है, जैसे:

- शारीरिक गति: कुछ साधक स्वाभाविक रूप से नृत्य, चलने या हिलने की प्रवृत्ति का अनुभव कर सकते हैं।

- आवाजें: साधक अपने आप विभिन्न ध्वनियाँ निकाल सकता है, जैसे कि गाना, रोना, हँसना या प्रार्थना करना।

- भावनाएँ: व्यक्ति को विभिन्न भावनात्मक अनुभव हो सकते हैं, जैसे खुशी, शांति, या कभी-कभी रोने या भावुक होने की भावना।

यह सभी क्रियाएँ व्यक्ति की आंतरिक स्थिति के अनुसार स्वाभाविक रूप से होती हैं, और इन्हें नियंत्रित करने या रोकने की आवश्यकता नहीं होती।

5. समाप्ति (Completion):

लातिहान की अवधि आमतौर पर 30 से 60 मिनट के बीच होती है, लेकिन इसमें कोई निश्चित समय सीमा नहीं होती। जब साधक महसूस करता है कि लातिहान की प्रक्रिया पूरी हो गई है, तो वह धीरे-धीरे इस अवस्था से बाहर आता है। इसके बाद साधक धन्यवाद की भावना के साथ अपनी साधना को समाप्त करता है, जैसे कि उसने ईश्वर से जो प्राप्त किया, उसके लिए कृतज्ञता प्रकट करता है।

6. पोस्ट-लातिहान (Post-Latihan):

लातिहान समाप्त होने के बाद, साधक आमतौर पर कुछ समय के लिए शांत बैठता है और अपने अनुभवों को आत्मसात करता है। लातिहान के बाद किसी प्रकार का विश्लेषण करने की आवश्यकता नहीं होती। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि लातिहान के अनुभव व्यक्तिगत होते हैं, और प्रत्येक व्यक्ति को इसका अलग-अलग अनुभव हो सकता है।

लातिहान के प्रमुख बिंदु:

1. कोई पूर्वनिर्धारित प्रक्रिया नहीं: लातिहान किसी विशेष विधि, प्रक्रिया या संस्कार से जुड़ा नहीं है। इसमें कोई मंत्र, प्रार्थना, या शारीरिक आसन की आवश्यकता नहीं होती। यह पूरी तरह से व्यक्ति की आंतरिक आत्मा और दिव्यता के बीच का संबंध है।

2. सहज और स्वाभाविक प्रक्रिया: लातिहान का अभ्यास स्वाभाविक रूप से होता है। व्यक्ति को अपने शरीर और मन को पूरी तरह से छोड़ देना चाहिए और दिव्य शक्ति को अपना मार्गदर्शन करने देना चाहिए।

3. कोई धार्मिक बंधन नहीं: लातिहान किसी भी धर्म, पंथ या धार्मिक नियमों से बंधा नहीं है। यह पूरी तरह से आध्यात्मिक अनुभव है, जिसे कोई भी व्यक्ति अपनी धार्मिक पृष्ठभूमि से हटकर कर सकता है।

4. आध्यात्मिक जागरूकता: लातिहान का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को उसकी आत्मा से जोड़ना और उसे दिव्यता का अनुभव कराना है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपनी आत्मा को जागृत कर सकता है और आंतरिक शांति प्राप्त कर सकता है।

लातिहान एक गहन और व्यक्तिगत आध्यात्मिक अनुभव है, जो बापक सुबुध की शिक्षाओं का प्रमुख हिस्सा है। यह किसी धार्मिक अनुष्ठान या पारंपरिक ध्यान पद्धति से अलग है, क्योंकि इसमें व्यक्ति को किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक गतिविधियों पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती। लातिहान का उद्देश्य व्यक्ति को उसकी आत्मा के माध्यम से ईश्वर या दिव्य शक्ति से जुड़ने का मार्ग दिखाना है।

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