Living Buddha, Living Christ- Thich Nhat Hanh
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4/3/20251 मिनट पढ़ें
Living Buddha, Living Christ- Thich Nhat Hanh
Thích Nhất Hạnh की यह पुस्तक पूर्वी और पश्चिमी आध्यात्मिक परंपराओं के बीच समानताओं को उजागर करती है। लेखक बौद्ध धर्म और ईसाई धर्म की शिक्षाओं के मूल तत्वों को जोड़कर यह दर्शाते हैं कि प्रेम, करुणा, जागरूकता और वर्तमान में जीने की कला दोनों धर्मों का मूलभूत आधार है। नीचे इस पुस्तक के मुख्य बिंदुओं की विस्तृत व्याख्या दी गई है:
1. उपस्थित जागरूकता (Mindfulness) का महत्व
Thích Nhất Hạnh बताते हैं कि बौद्ध धर्म और ईसाई धर्म में "जागरूकता" (Mindfulness) की गहरी अवधारणा मौजूद है।
बुद्ध ने अपने अनुयायियों को सिखाया कि हर क्षण को पूरी जागरूकता के साथ जिएं।
यीशु मसीह भी प्रेम और करुणा में जीने पर बल देते थे, जो आत्म-जागरूकता और दूसरों के प्रति सहानुभूति से जुड़ा है।
दोनों धर्मों में वर्तमान क्षण में जीने और अपने मन को शांत रखने पर जोर दिया गया है।
2. करुणा और प्रेम की समानता
बुद्ध की शिक्षाएं करुणा (Compassion) पर केंद्रित हैं। उनका मानना था कि दूसरों की पीड़ा को समझना और दूर करना सबसे बड़ी आध्यात्मिक उपलब्धि है।
यीशु ने प्रेम और क्षमा (Forgiveness) पर विशेष बल दिया। उन्होंने सिखाया कि हमें अपने शत्रुओं से भी प्रेम करना चाहिए।
Thích Nhất Hạnh समझाते हैं कि बौद्ध धर्म की करुणा और ईसाई धर्म का प्रेम एक ही उद्देश्य की पूर्ति करते हैं - मानवता की सेवा और आध्यात्मिक विकास।
3. ध्यान (Meditation) और प्रार्थना (Prayer) का महत्व
बुद्ध ने ध्यान (Meditation) को आत्मज्ञान प्राप्त करने का मुख्य साधन बताया। यह मन को शांत करता है और व्यक्ति को सत्य की ओर ले जाता है।
यीशु के अनुयायी प्रार्थना (Prayer) के माध्यम से ईश्वर से जुड़ते हैं, जो ध्यान की ही एक अन्य विधि है।
लेखक बताते हैं कि ध्यान और प्रार्थना दोनों ही आत्मा की गहराइयों में जाने और परम शांति प्राप्त करने के साधन हैं।
4. अंतर्ज्ञान और आध्यात्मिक अनुभव
बुद्ध और यीशु दोनों ने बाहरी धार्मिक क्रियाओं के बजाय आत्मिक अनुभव को अधिक महत्व दिया।
लेखक कहते हैं कि "धर्म के बाहरी रूप से अधिक महत्वपूर्ण उसका सार है।"
जब कोई प्रेम, करुणा और जागरूकता के साथ जीवन जीता है, तो वह सच्चे आध्यात्मिक अनुभव को प्राप्त करता है।
5. धार्मिक सहिष्णुता और एकता
Thích Nhất Hạnh बताते हैं कि सभी धर्म एक ही सत्य की ओर ले जाते हैं।
बौद्ध धर्म और ईसाई धर्म की शिक्षाओं में समानताएँ हैं, और इनका उद्देश्य मानवता का कल्याण है।
धार्मिक संकीर्णता को छोड़कर हमें यह समझना चाहिए कि विभिन्न धर्म एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं।
6. सेवा और मानवता के प्रति उत्तरदायित्व
बौद्ध और ईसाई परंपराओं में सेवा (Service) का विशेष महत्व है।
बुद्ध ने अपने अनुयायियों को दूसरों की पीड़ा कम करने के लिए प्रेरित किया।
यीशु ने भी लोगों की सेवा को सर्वोच्च धार्मिक कर्तव्य बताया।
लेखक कहते हैं कि केवल पूजा-पाठ से अधिक महत्वपूर्ण यह है कि हम अपने जीवन में करुणा और प्रेम को अपनाएँ।
7. सांस और जीवन के प्रति जागरूकता
Thích Nhất Hạnh सांस लेने की साधना (Breathing Meditation) को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं।
वे कहते हैं कि जब हम अपने श्वास के प्रति सचेत होते हैं, तो हम वर्तमान क्षण में जी सकते हैं।
यह ध्यान तकनीक ईसाई परंपरा की प्रार्थना विधियों से भी मेल खाती है, जहाँ शांति और आत्म-अवलोकन पर जोर दिया जाता है।
"Living Buddha, Living Christ" पुस्तक हमें यह समझने में मदद करती है कि बौद्ध धर्म और ईसाई धर्म केवल अलग-अलग मत नहीं हैं, बल्कि उनकी मूल शिक्षाएँ एक ही आध्यात्मिक सत्य की ओर संकेत करती हैं। यह पुस्तक धार्मिक एकता, करुणा, जागरूकता और सेवा के महत्व को उजागर करती है।
Thích Nhất Hạnh हमें यह संदेश देते हैं कि हमें धर्मों के बाहरी स्वरूप से अधिक उनकी आत्मा को अपनाना चाहिए। जब हम प्रेम, करुणा और जागरूकता के साथ जीवन जीते हैं, तभी हम सच्ची आध्यात्मिकता को प्राप्त कर सकते हैं।
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