मानस/मानसिक शरीर

सप्त शरीर

MEDITATION TECHNIQUES

9/24/20241 मिनट पढ़ें

अब तीसरे शरीर के बारे में वर्णन कर रहे है। यह शरीर मुख्य रूप से मानसिक गतिविधियों को सांकेतिक करता है। तथा शरीर के किस अंग को क्या करना है, कैसे करना है आदि सारा नियन्त्रण, समन्वय इसी से प्रभावित होता है। अतः यह शरीर मुख्य रूप से आपके भाव पर ही निर्धारित है। जो सोचते है, विचार करते है यह उसी के अनुरूप कार्य करता है। किसी भी गतिविधि में संलग्न होने से पूर्व इस शरीर में भाव पैदा होता है, जब वह भाव क्या करना है, कैसे करना है, क्यों करना है आदि प्रश्नों को समाहित करके विचार में तबदील हो जाता है, तो फिर यह विचार क्रिया में बदलता है। इस शरीर को जागृत करने में मुख्यतः भाव ही काम करेगा|

खानपान - संस्कार - भाव – विचार - क्रिया – कर्म - कर्ता (पाप/ पुण्य)

इस पूरी कायनात / दुनिया में दो नियम है जोकि सार्वजनिक है।

1. गुरुत्वाकर्षण का नियम

2. आकर्षण का नियम

गुरुत्वाकर्षण का नियम:- यह नियम बताता है कि धरती अपने चुम्बकीय प्रभाव से हर बड़े से बड़े एवं छोटे -छोटे(नगण्य) भार / संहति को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है| यह विज्ञान द्वारा विदित है तथा लगभग सभी इसको जानते भी है।

आकर्षण का नियम:- मुख्यतः यह नियम बहुत ही कम जनो को पता है, इस नियम के द्वारा विचार कार्य करते है। अर्थात जैसा सोचते है वैसा बन जाते है। जो विचार करते है या फिर बोलते है, उसका प्रसारण किसी न किसी माध्यम के जरिए एक दूसरे तक पहुँचाते है। यह नियम विचारों को संयोजित करके वापिस भेज देता है। अर्थात जो दुःख-दर्द के बारे में या हँसी-ख़ुशी के बारे में सोचते है, वैसे ही विचारो का खजाना साधक के पास बढ़ता जाता है। जो भी सोचते है, अत्यधिक गहराई से वही प्राप्त होता है। जैसाकि थोड़ा सा विचार करते है किसी एक वाक्य के सन्दर्भ में कि मेरे को दुःख नहीं होना चाहिए। तब इसका क्या अर्थ मिलता है, आप तो इस वाक्य में खुश होना चाहते है। परन्तु आकर्षण का नियम नहीं को नहीं मानता है अर्थात नहीं को छोड़ देता है, तो इसका अर्थ क्या बनता है, स्वयं देख सकते है, मेरे को दुःख नहीं होना चाहिए।

आकर्षण का नियम- मेरे को दुःख होना चाहिए। क्योंकि यह नहीं को छोड़ देता है तथा बाकी वापिस कर देता है। अब स्वयं सोच सकते है, कि भाग्य का निर्धारण स्वयं करते है कि नहीं। स्वयं ही भाग्य निर्माता है, स्वयं के विचारों पर शोध करें तथा धीरे-धीरे इन विचारों में बदलाव लाए, स्वयं अनुभव करेंगे कि कोई चमत्कार हो रहा है, इस शरीर को जागृत करने में कुछ विधियां सहायक रहेंगी।

जिनका वर्णन आगे दिया गया है:

1. यदि आप गांव में रहते है तो आप खुले मैदान में या खेतों में जाएं और जोर-जोर से चीखें, हँसे जिससे आपके अंदर दबे हुए कुछ विचार ताजा हो जाएंगे। यदि आप शहर में है और आप चिल्ला नहीं सकते है तो आप जोर-जोर से हँसे ताकि आपके दबे विचार बाहर आ सके, इस क्रिया के करने पर आप बहुत हल्का महसूस करेंगे।

2. जब भी आपके पास थोड़ा बहुत समय हो और आप कुछ नहीं कर रहे है तो आप बैठे-बैठे (कुर्सी या चारपाई या फर्श) अपनी आँखों से थोड़ा-सा दूर यानि 2 या 3 फुट तक एकटक देखते रहे धीरे-धीरे आपको जो भी दिखाई दे रहा था क्षणिक समय के लिए सब कुछ एकरूप हो जायेगा और आपके विचार शून्य हो जाएंगे।

3. सप्ताह में एक या दो बार खुले में आये चाहे पार्क, खेत या घर की छत ही सही जहाँ से आप आसमान देख सके, आप चाहे बैठे-बैठे या खड़े होकर, लेट कर अपने दोनों बाहे आसमान की ओर फैलाए तथा 1 से 5 मिनट तक आसमान को निहारते रहे और यदि हाथों को न भी फैलाए तो भी आप आसमान को जरूर निहारते रहे, इस क्रिया से आप के अंदर अनन्त का प्रसार होना शुरू हो जाएगा और आपको कुछ घटनाओं का पूर्वानुमान होने लग जाएगा।

4. यदि आप तीसरे शरीर पर काम कर रहे है तो यहाँ आप के अन्दर विचार की ताकत बढ़ती जाएगी तो आपको यह ध्यान देना है कि आप किसी को कुछ भी न कहे, नहीं तो आप के अंदर समाहित होने वाली शक्तियां दूसरे के नुकसान का कारण बन जाएगी| जैसे-जैसे शक्ति विस्तार करती है तो आप पर भी जिम्मेदारियां बढ़ती जाती है इसके कुछ उदाहरण, जिनसे आपको आभास हो जाएगा कि सही और गलत क्या रहेगा। जैसा कि आप किसी को कहते है तेरा ये काम बन जाएगा या तुम्हारा नुकसान होगा आदि, तो ये तुरन्त फलीभूत होगा। दूसरे को फायदा या नुकसान होगा परन्तु आप को नुकसान ही होगा, जो शक्ति आपने अभी तक संचित की थी वो उस काम में खर्च हो जाएगी और आपको पुनः शुरू से प्रयास करना पड़ेगा| अतः आप स्वयं ही जिम्मेदार होंगे।

यदि आप किसी बीमार आदमी / औरत किसी को भी यह कहते हो की आप ठीक हो जाएंगे से आप की शक्ति उसको तो ठीक कर देगी परन्तु आपको कमजोरी महसूस होगी, हो सकता है वह बीमारी आप पर हावी हो जाएं। आपसे अनुरोध है कि आप जो भी कहे या करें, थोड़ा होश में रहे।

नोट:यहाँ तक की यात्रा में आपके पास शक्तियों का संचार होना शुरू हो जाता है| यह आप पर निर्भर करता है आप इसका सदुपयोग करते है या दुरुपयोग। यदि आप सही रूप से इस्तेमाल करेंगे तो यह बढ़ती जाएगी और यदि गलत रूप से प्रयोग किया तो आपको बर्बाद भी कर देगी। आप स्वयं जिम्मेदार होंगे यह पहले अच्छे से सोच ले क्या कर रहे है।

खाना जो इसमें सहायक बन सकता है :

· काले या लाल अंगूर दोनों में से कोई एक 100 ग्राम, या थोड़ा से ज्यादा एक या दो बार सप्ताह में प्रयोग करें।

· छुहारे या खजूर हर रोज दो या तीन खाये किसी भी समय|

· यदि आपको एसिडिटी की समस्या नहीं है तो आप एक गिलास सादे पानी में आधा नींबू निचोड़ कर ले, चीनी या नमक न डाले केवल नींबू, यदि आपको एसिडिटी है तो आप कीवी फल सप्ताह में दो खाये। और कुछ नहीं कर सकते है तो खाने में अंकुरित अनाज जैसे चना, मूंग, सोयाबीन आदि प्रयोग में ला सकते है|

· हरी सब्जियां आपके लिए बहुत सहायक है जैसे पालक, मेथी, बथुआ, ब्रोकली, बन्द गोभी, टमाटर आदि, जो भी आपको पसंद हो खा सकते है। जिस भी फल के पीछे बेरी आता है वह आप खा सकते है जैसे ब्लैक बेरी, रस बेरी, स्ट्रॉबेरी आदि।

यदि आपको कोई समस्या आ रही है तो आप ई-मेल पर लिख कर जवाब पा सकते है जो कि वेबसाइट पर बताई गयी है।