Opening the Hand of Thought

" Kosho Uchiyama "

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1/28/20251 मिनट पढ़ें

Opening the Hand of Thought- Kosho Uchiyama

"Opening the Hand of Thought" कोशो उचियामा की एक गहन पुस्तक है, जिसमें उन्होंने ज़ेन (Zen) अभ्यास, ध्यान (zazen), और बौद्ध दर्शन के मूलभूत पहलुओं को समझाया है। यह किताब ज़ेन ध्यान के माध्यम से मन और विचारों को छोड़ने (letting go) और वास्तविकता के साथ जुड़ने के मार्ग को प्रस्तुत करती है।

यह पुस्तक उनके व्यक्तिगत अनुभव, शिक्षाओं और ज़ेन के अभ्यास पर आधारित है, जो साधकों को अपनी मानसिक जटिलताओं और भ्रमों से मुक्त करने में मदद करती है। इसके मुख्य बिंदुओं को निम्नलिखित श्रेणियों में समझाया जा सकता है:

1. ज़ेन का अभ्यास और "सोच को खोलना" (Zazen and Opening the Hand of Thought)

  • उचियामा का ज़ेन अभ्यास का मूल विचार "सोच को खोलने" का है। इसका मतलब है कि अपने विचारों और मानसिक प्रवाह को जबरदस्ती रोकने की बजाय, उन्हें बिना किसी लगाव के स्वीकार करना और छोड़ देना।

  • ज़ेन ध्यान (zazen) केवल एक मानसिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह "सिर्फ बैठने" (shikantaza) का अभ्यास है, जहां आप अपने विचारों के प्रति कोई निर्णय नहीं करते।

  • "Opening the Hand of Thought" का अर्थ है अपनी विचार प्रक्रियाओं को पकड़ने की बजाय उन्हें जाने देना और वर्तमान क्षण में जीना।

प्रमुख बिंदु:

  • विचारों को न रोकें और न ही उन्हें नियंत्रित करें।

  • ध्यान में बस बैठें और अपने विचारों को गुजरने दें।

उद्धरण:

  • "Zazen is not about achieving a state of no-thought but about opening your hand and letting go of clinging to thoughts."

2. ध्यान (Zazen) का वास्तविक उद्देश्य

  • उचियामा ध्यान को किसी लक्ष्य तक पहुंचने का साधन नहीं मानते। उनका मानना है कि ध्यान खुद में पूर्ण और पर्याप्त है।

  • ध्यान का उद्देश्य मन को शांत करना नहीं है, बल्कि जीवन की वास्तविकता को अनुभव करना और स्वीकार करना है।

  • ज़ेन ध्यान "जैसा है वैसा" (as-it-is) को देखने और अनुभव करने की प्रक्रिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • ध्यान में कुछ भी "हासिल" करने की कोशिश न करें।

  • यह आत्म-चेतना (self-awareness) और अस्तित्व की स्वाभाविकता (naturalness of being) को प्रकट करता है।

उद्धरण:

  • "The aim of zazen is to live out the reality of life moment by moment without escaping into thoughts or desires."

3. जीवन की वास्तविकता को स्वीकार करना (Accepting the Reality of Life)

  • उचियामा ने "जीवन की वास्तविकता" (the reality of life) को ज़ेन अभ्यास का केंद्र बिंदु बताया है।

  • उन्होंने कहा कि हम अक्सर अपनी इच्छाओं और अपेक्षाओं के कारण वास्तविकता से कट जाते हैं। ज़ेन हमें सिखाता है कि वास्तविकता को बिना किसी अवरोध या भ्रांति के स्वीकार करें।

  • जीवन को केवल एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण से देखने की बजाय, पूरे ब्रह्मांड के साथ जुड़ने का प्रयास करें।

प्रमुख बिंदु:

  • जीवन को उसकी पूर्णता में स्वीकार करें।

  • वास्तविकता के साथ जुड़ने के लिए "मुझे और मेरे" (me and mine) की धारणा को छोड़ें।

उद्धरण:

  • "When we let go of our small self, we can live as part of the universe."

4. खुद की धारणा (Self-Perception)

  • उचियामा का ज़ेन दर्शन "खुद" (self) की पारंपरिक धारणा को चुनौती देता है।

  • उनका मानना है कि "खुद" एक स्थायी इकाई नहीं है; यह केवल विचारों, भावनाओं और अनुभवों का एक प्रवाह है।

  • ध्यान हमें "खुद" की इस धारणा से परे जाने और ब्रह्मांडीय अस्तित्व (cosmic existence) के साथ जुड़ने में मदद करता है।

प्रमुख बिंदु:

  • "खुद" एक भ्रम है जिसे हमें ज़ेन अभ्यास के माध्यम से समझना चाहिए।

  • ध्यान हमें खुद को और ब्रह्मांड को एक रूप में अनुभव करने की अनुमति देता है।

उद्धरण:

  • "We are not separate from the world; we are the world."

5. पीड़ा और शून्यता (Suffering and Emptiness)

  • उचियामा ने बौद्ध धर्म के "दुःख" (suffering) और "शून्यता" (emptiness) के विचारों को विस्तार से समझाया है।

  • उनका कहना है कि जीवन में पीड़ा मुख्य रूप से हमारी आसक्तियों और अपेक्षाओं के कारण होती है।

  • शून्यता का अर्थ यह नहीं है कि कुछ भी अस्तित्व में नहीं है, बल्कि यह है कि हर चीज़ आपस में जुड़ी हुई है और स्वतंत्र रूप से मौजूद नहीं है।

प्रमुख बिंदु:

  • अपनी इच्छाओं और आसक्तियों को छोड़ना पीड़ा से मुक्त करता है।

  • शून्यता का अनुभव हमें जीवन को गहराई से समझने में मदद करता है।

उद्धरण:

  • "Emptiness is not nothingness; it is the interconnection of all things."

6. दैनिक जीवन में ज़ेन (Zen in Daily Life)

  • उचियामा ज़ेन को केवल ध्यान तक सीमित नहीं रखते, बल्कि इसे दैनिक जीवन में लागू करने पर जोर देते हैं।

  • ज़ेन का अभ्यास हर गतिविधि में हो सकता है—खाने में, चलने में, काम करने में।

  • उन्होंने कहा कि ध्यान जीवन का एक हिस्सा नहीं है; यह खुद जीवन है।

प्रमुख बिंदु:

  • दैनिक गतिविधियों को जागरूकता और ध्यान के साथ करें।

  • हर क्षण को पूर्णता के साथ अनुभव करें।

उद्धरण:

  • "Every moment is an opportunity to practice zazen."

7. "अनुप्रयोग" और साधना (Letting Go and Practice)

  • उचियामा ने साधना (practice) को ज़ेन का आधार बताया है।

  • उन्होंने इस पर जोर दिया कि ज़ेन कोई बौद्धिक प्रक्रिया नहीं है; इसे केवल अभ्यास और अनुभव के माध्यम से समझा जा सकता है।

  • साधना का मूल "छोड़ने" (letting go) में है—छोड़ना इच्छाओं का, विचारों का, और "मुझे" की धारणा का।

प्रमुख बिंदु:

  • अभ्यास और अनुभव ज़ेन को समझने का एकमात्र तरीका है।

  • "छोड़ने" का अभ्यास ही सच्ची मुक्ति है।

उद्धरण:

  • "Practice is the foundation of understanding Zen."

"Opening the Hand of Thought" एक ऐसी पुस्तक है जो हमें सिखाती है कि ज़ेन ध्यान के माध्यम से विचारों, इच्छाओं और मानसिक भ्रमों को कैसे छोड़ा जाए। यह वर्तमान क्षण में जीने, जीवन की वास्तविकता को स्वीकार करने, और ब्रह्मांड के साथ जुड़ने का मार्ग दिखाती है।

यह किताब सिर्फ ध्यान साधना करने वालों के लिए नहीं, बल्कि उन सभी के लिए है जो जीवन में सरलता, शांति, और गहराई से जीने का तरीका खोजना चाहते हैं।