संत पुरंदर दास
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12/12/20241 मिनट पढ़ें
संत पुरंदर दास
पुरंदर दास (1484–1564) भक्ति आंदोलन के महान संत, कर्नाटक संगीत के जनक, और दास संप्रदाय के प्रमुख संतों में से एक थे। उन्होंने अपने जीवन को भगवान विष्णु (विशेष रूप से श्रीनाथ) की भक्ति और भजनों की रचना के लिए समर्पित कर दिया। उनकी जीवन कहानी एक व्यापारी से संत बनने की प्रेरक यात्रा है।
जन्म और प्रारंभिक जीवन
जन्म: 1484 ई., कर्नाटक के तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित पजवाड़ा (वर्तमान में श्रोणबेलगोल के पास) में।
नाम: उनका असली नाम श्रीनिवास नायक था।
पारिवारिक पृष्ठभूमि: वे एक धनी व्यापारी परिवार से थे और बचपन से ही अत्यंत प्रतिभाशाली और कुशल थे।
श्रीनिवास नायक का विवाह एक समृद्ध परिवार की लड़की से हुआ था। वह बेहद संपन्न और व्यावसायिक दृष्टि से सफल व्यक्ति थे, लेकिन जीवन में आध्यात्मिकता और भक्ति का अभाव था।
संत बनने की प्रेरणा: जीवन बदलने वाली घटना
श्रीनिवास नायक एक लालची और कठोर व्यापारी थे। एक दिन एक गरीब ब्राह्मण उनसे पैसे मांगने आया।
नायक ने ब्राह्मण को कई बार मना कर दिया। ब्राह्मण ने हार मानने के बजाय उनकी पत्नी से मदद मांगी।
उनकी पत्नी ने अपनी नथ (नाक की अंगूठी) गिरवी रखकर ब्राह्मण को पैसे दे दिए।
ब्राह्मण ने वही नथ श्रीनिवास नायक को गिरवी रखने के लिए दी।
जब नायक ने उसे पहचाना, तो वह चौंक गए और अपनी पत्नी से जवाब मांगा।
उनकी पत्नी ने पूरी सच्चाई बताई।
इस घटना ने नायक को भीतर तक झकझोर दिया। उन्होंने इसे भगवान की कृपा माना।
इसके बाद उन्होंने अपनी सारी संपत्ति गरीबों को दान कर दी और अपना जीवन भगवान श्रीहरि (विट्ठल) की भक्ति के लिए समर्पित कर दिया।
भक्ति जीवन और पुरंदर दास के रूप में परिवर्तन
श्रीनिवास नायक ने अपने गुरु व्यासतीर्थ के मार्गदर्शन में दीक्षा ली और उन्हें नया नाम पुरंदर दास मिला।
उन्होंने अपने जीवन को हरिनाम कीर्तन, भजनों की रचना, और समाज में भक्ति आंदोलन के प्रचार में समर्पित कर दिया।
उनका कहना था कि भगवान का नाम जपना और दूसरों की सेवा करना ही सबसे बड़ी पूजा है।
कर्नाटक संगीत के जनक
पुरंदर दास ने कर्नाटक संगीत को एक व्यवस्थित ढांचा प्रदान किया।
उन्होंने सरले वरिसे (सरगम अभ्यास) की रचना की, जो आज भी कर्नाटक संगीत सीखने वालों के लिए प्राथमिक पाठ है।
उन्होंने विभिन्न रागों और तालों का उपयोग करके हजारों भक्ति गीत (दासर पद) लिखे।
भक्ति और रचनाएँ
पुरंदर दास ने भगवान विट्ठल (श्रीनाथ) की स्तुति में लगभग 4,75,000 भक्ति गीतों की रचना की।
उनकी कृतियों में सरलता, भावुकता और गहन भक्ति होती थी।
उनके गीत कन्नड़ भाषा में होते थे और आम जनता को भक्ति का महत्व समझाने के लिए लिखे गए थे।
उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ:
"इंद्रियों की शक्ति तुम्हारी कृपा से है"
"कंधा कंधा विट्ठला"
"पुरंदर विट्ठल"
"पोगाडी येन्ने नवरत्नालु"
सामाजिक सुधार और योगदान
उन्होंने जाति-पांति और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई।
उनके भजन आम जनता के लिए भगवान के प्रति भक्ति को सरल और सुलभ बनाते थे।
उन्होंने भक्ति को केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित रखने के बजाय इसे एक व्यक्तिगत और भावनात्मक अनुभव बनाया।
चमत्कारों की कहानियाँ
भगवान विट्ठल का साक्षात्कार:
कहा जाता है कि पुरंदर दास ने अपने भजनों और भक्ति के माध्यम से भगवान विट्ठल के दर्शन किए। भगवान ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनकी भक्ति की प्रशंसा की।जड़ मूर्ति में प्राण फूंकना:
एक बार, एक राजा ने उनकी भक्ति की परीक्षा लेने के लिए उनसे प्रार्थना की कि वे मूर्ति को जीवंत करें।
पुरंदर दास ने अपने भजनों से भगवान को प्रसन्न किया, और मूर्ति में प्राण आ गए।गरीब भक्त की मदद:
एक गरीब भक्त ने भगवान विट्ठल से प्रार्थना की, और पुरंदर दास उसकी सहायता के लिए पहुंचे। उन्होंने कहा कि भगवान हर किसी की मदद अपने भक्तों के माध्यम से करते हैं।
निधन (समाधि)
1564 ईस्वी में, पुरंदर दास ने अपने शरीर का त्याग किया। उनका जीवन भगवान के प्रति अटूट भक्ति और मानवता की सेवा का प्रतीक था।
विरासत और प्रभाव
कर्नाटक संगीत परंपरा:
उन्हें कर्नाटक संगीत का "पितामह" माना जाता है। उनकी रचनाएँ आज भी संगीत साधकों के लिए प्रेरणा हैं।भक्ति आंदोलन:
उनके गीतों और शिक्षाओं ने भक्ति आंदोलन को सशक्त किया और समाज में समानता और भाईचारे का संदेश फैलाया।दास संप्रदाय:
पुरंदर दास ने दास संप्रदाय को नई ऊंचाई दी। उनके अनुयायी आज भी उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ा रहे हैं।
पुरंदर दास का जीवन इस बात की प्रेरणा है कि भक्ति, सेवा, और सच्चाई के माध्यम से जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। उनकी भक्ति और संगीत ने लाखों लोगों को भगवान के करीब लाने का काम किया और आज भी उनके भजनों की गूंज भक्तों के हृदय को छूती है।
पुरंदर दास के जीवन से जुड़ी कई कहानियाँ उनकी गहन भक्ति, चमत्कारी अनुभवों, और समाज सुधार के प्रयासों को दर्शाती हैं। ये कहानियाँ उनके जीवन की प्रेरणादायक घटनाओं का वर्णन करती हैं, जो हमें भक्ति और सेवा का महत्व सिखाती हैं।
1. "संपत्ति का त्याग और संत बनने की कहानी"
प्रसंग:
पुरंदर दास (तब श्रीनिवास नायक) एक लालची और कठोर व्यापारी थे। वे धन को बहुत महत्व देते थे और गरीबों की मदद करने से इनकार कर देते थे।
घटना:
एक दिन, एक गरीब ब्राह्मण उनसे सहायता मांगने आया। श्रीनिवास नायक ने उसे कई बार मना कर दिया। ब्राह्मण ने उनकी पत्नी से सहायता मांगी। उनकी पत्नी ने अपनी नथ (नाक की अंगूठी) गिरवी रख दी और ब्राह्मण को धन दे दिया।
बाद में, वही नथ श्रीनिवास नायक को गिरवी रखने के लिए दी गई। यह देखकर वे चकित रह गए।
उन्होंने अपनी पत्नी से इस घटना की सच्चाई जानी। इसे भगवान की लीला मानते हुए उन्होंने अपनी संपत्ति त्याग दी और भगवान विट्ठल की भक्ति में जीवन व्यतीत करने का निर्णय लिया।
संदेश:
यह कहानी हमें सिखाती है कि ईश्वर की कृपा से इंसान का जीवन पूरी तरह बदल सकता है।
2. "भगवान विट्ठल की मूर्ति की खोज"
प्रसंग:
पुरंदर दास अपनी भक्ति के माध्यम से भगवान विट्ठल के दर्शन करना चाहते थे।
घटना:
एक दिन उन्हें स्वप्न में भगवान विट्ठल ने दर्शन दिए और कहा कि वे एक विशेष स्थान पर छिपी मूर्ति को खोजें।
पुरंदर दास ने अपनी भक्ति के मार्गदर्शन से उस मूर्ति को खोजा और उसे एक मंदिर में स्थापित किया।
यह मूर्ति आज भी भक्ति का प्रमुख केंद्र है और उनकी श्रद्धा का प्रतीक मानी जाती है।
संदेश:
यह कहानी दिखाती है कि सच्ची भक्ति से भगवान अपने भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं।
3. "धन के लोभ से मुक्ति"
प्रसंग:
पुरंदर दास के व्यापारी जीवन में धन का अत्यधिक महत्व था।
घटना:
एक बार उनके पास एक ग्राहक आया, जिसने एक वस्तु खरीदने के लिए अनगिनत सिक्के दिए।
ग्राहक ने कहा, "क्या आप इन सिक्कों की गिनती कर सकते हैं?"
पुरंदर दास ने सिक्कों को गिनने की कोशिश की, लेकिन सिक्के लगातार बढ़ते रहे।
उन्होंने समझा कि यह भगवान की लीला है। इस अनुभव ने उन्हें धन के प्रति अपने मोह को पूरी तरह छोड़ने के लिए प्रेरित किया।
संदेश:
यह घटना सिखाती है कि संसार का धन नश्वर है, और भगवान की भक्ति ही सच्चा खजाना है।
4. "भजन से जीवनदान"
प्रसंग:
एक बार, एक गांव में सूखा पड़ा और लोग पानी और भोजन के लिए परेशान हो गए।
घटना:
पुरंदर दास उस गांव पहुंचे और भगवान विट्ठल के भजनों का आयोजन किया।
उनकी गहन भक्ति और भजनों से भगवान विट्ठल प्रसन्न हुए। अचानक, गांव में बारिश हुई और लोगों को राहत मिली।
इस घटना के बाद, गांव के लोग पुरंदर दास के प्रति अत्यंत श्रद्धा से भर गए।
संदेश:
यह कहानी भक्ति की शक्ति और भगवान की कृपा को दिखाती है।
5. "मंदिर में अपमान का उत्तर"
प्रसंग:
पुरंदर दास के सरल स्वभाव और भक्ति को देखकर कुछ लोगों ने उनका मजाक उड़ाया।
घटना:
एक दिन, मंदिर में उनके भजन गाने के दौरान, कुछ लोगों ने उनकी आलोचना की और कहा कि भगवान केवल उच्च जाति के लोगों को पसंद करते हैं।
पुरंदर दास ने उत्तर में एक सुंदर भजन गाया:
"कुलविचार माड़ो होवुदिल्ला... विट्ठल भक्तरेगे वंशा अवश्यक्षा"
(भगवान जाति और कुल नहीं देखते; वे केवल भक्ति को महत्व देते हैं।)
उनके भजन ने उन आलोचकों को मूक कर दिया, और वे भगवान की भक्ति के प्रति नतमस्तक हो गए।
संदेश:
यह कहानी सामाजिक समानता और भगवान की कृपा को दर्शाती है।
6. "चमत्कारी संगीत से मूर्ति को प्राण देना"
प्रसंग:
एक राजा ने पुरंदर दास की भक्ति और संगीत की शक्ति की परीक्षा लेने का निर्णय किया।
घटना:
राजा ने एक जड़ मूर्ति को मंदिर में रखा और पुरंदर दास से प्रार्थना की कि वे इसे जीवंत करें।
पुरंदर दास ने भगवान विट्ठल की स्तुति में भजन गाया।
उनकी भक्ति से मूर्ति में प्राण आ गए और वह सजीव हो उठी। राजा और अन्य लोग यह देखकर चमत्कृत हो गए और पुरंदर दास के चरणों में गिर पड़े।
संदेश:
यह घटना दिखाती है कि सच्ची भक्ति और संगीत भगवान को प्रसन्न कर सकते हैं।
7. "हर नाम की महिमा"
प्रसंग:
एक बार, किसी ने पुरंदर दास से पूछा कि भगवान के नाम का जाप क्यों करना चाहिए।
घटना:
पुरंदर दास ने उत्तर में कहा, "भगवान का नाम लेना जीवन को अमृतमय बना देता है। हर नाम में भगवान का आशीर्वाद छिपा होता है।"
उन्होंने एक भजन के माध्यम से समझाया कि भगवान का नाम लेने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
संदेश:
यह कहानी भगवान के नाम की शक्ति और महत्व को समझाती है।
8. "गरीब भक्त की सहायता"
प्रसंग:
एक गरीब भक्त भगवान विट्ठल से अपनी समस्याओं के समाधान के लिए प्रार्थना कर रहा था।
घटना:
पुरंदर दास को यह अनुभव हुआ कि भगवान विट्ठल ने उन्हें उस भक्त की सहायता करने के लिए चुना है।
उन्होंने उस भक्त को आर्थिक सहायता दी और कहा, "भगवान अपने भक्तों की सेवा अपने माध्यम से करते हैं।"
संदेश:
यह घटना सेवा और परोपकार के महत्व को उजागर करती है।
पुरंदर दास के जीवन से जुड़ी कहानियाँ उनकी भक्ति, समाज सुधार और मानवता की सेवा के प्रति उनके समर्पण को दिखाती हैं। उनकी शिक्षाएं सिखाती हैं कि भक्ति और सच्चे सेवा भाव से भगवान की कृपा पाई जा सकती है। उनके भजन और कहानियाँ आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं।
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