"सुब्हानी"

"सुब्हानी" एक ध्यान विधि

MEDITATION TECHNIQUES

11/13/20241 मिनट पढ़ें

"सुब्हानी"

"सुब्हानी" एक महत्वपूर्ण सूफी अवधारणा है, जिसे बायज़ीद बस्तामी द्वारा व्यक्त किया गया था। इसे एक आध्यात्मिक अनुभव और ध्यान की विधि के रूप में समझा जा सकता है। यहाँ "सुब्हानी" की विधि का वर्णन किया गया है, जिसमें साधक ईश्वर के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को व्यक्त करता है:

"सुब्हानी" की विधि

1. ध्यान की तैयारी:

- किसी शांत स्थान पर बैठें, जहाँ आप बिना किसी व्यवधान के ध्यान कर सकें। यह स्थान आपको मानसिक शांति और एकाग्रता प्रदान करेगा।

- अपनी आँखें बंद करें और गहरी साँस लें। अपने मन को शांत करने के लिए ध्यान केंद्रित करें।

2. संकल्प लेना:

- अपने मन में एक संकल्प करें कि आप अपने अहंकार और इच्छाओं को त्याग देंगे। अपने "मैं" को भुला दें और केवल ईश्वर के प्रति समर्पित होने का विचार करें।

- आप यह सोच सकते हैं, "हे ईश्वर! मैं आपको समर्पित करता हूँ।"

3. ध्यान का उच्चारण:

- "सुब्हानी" शब्द का उच्चारण करें। इसे ध्यानपूर्वक और भक्तिपूर्वक कहें। जैसे ही आप इस शब्द का उच्चारण करें, अपने हृदय को खोलें और उस भाव को अनुभव करें।

- "सुब्हानी" का अर्थ है "महिमा हो मुझमें"। इस दौरान सोचें कि आप ईश्वर की महिमा का प्रतीक हैं और आप केवल उनके अंश हैं।

4. विलय का अनुभव:

- जैसे-जैसे आप "सुब्हानी" का उच्चारण करते हैं, अपने भीतर के अहंकार और इच्छाओं को छोड़ने का प्रयास करें। ध्यान करें कि कैसे आप अपने "मैं" को भुलाकर केवल ईश्वर में विलीन हो रहे हैं।

- अपने मन में विचार करें कि आप ईश्वर के प्रेम में डूबे हुए हैं और आपके भीतर केवल ईश्वर की महिमा है।

5. सकारात्मक भावना का अनुभव:

- इस ध्यान के दौरान आप सकारात्मकता, प्रेम, और करुणा का अनुभव करेंगे। अपने भीतर के प्रेम को पहचानें और उसे बढ़ने दें।

- "सुब्हानी" का उच्चारण करते समय अपने हृदय को ईश्वर के प्रति खोलें और उनकी उपस्थिति को महसूस करें।

6. ध्यान का अंत:

- जब आप महसूस करें कि आपने पर्याप्त ध्यान किया है, तो धीरे-धीरे "सुब्हानी" का उच्चारण बंद करें। अपनी आँखें खोलें और अपनी भावना को महसूस करें।

- इस अनुभव के बाद कुछ समय तक मौन में बैठें और अपनी आत्मा को शांति देने का प्रयास करें।

"सुब्हानी" की यह विधि साधक को अपने अहंकार को त्यागने, ईश्वर के प्रति समर्पण करने और उनकी महिमा का अनुभव करने में मदद करती है। यह एक गहरा आध्यात्मिक अनुभव है, जो साधक को आत्मा की गहराइयों में ले जाता है और उन्हें ईश्वर की निकटता का एहसास कराता है। इस ध्यान विधि के माध्यम से साधक अपने जीवन में सच्चे प्रेम और भक्ति की भावना को विकसित कर सकता है।

ध्यान विधि केवल जानकारी के लिए है, ध्यान विधि किसी गुरु के सानिध्य या निरीक्षण में ही करनी अनिवार्य होती है। ज्यादा लाभ लेने के लिए उपरोक्त से संबन्धित संस्थान से संपर्क करें ।