सूक्ष्म शरीर

सप्त शरीर

MEDITATION TECHNIQUES

9/24/20241 मिनट पढ़ें

आपने स्थूल शरीर के नियमों का पालन भली-भांति करना शुरू कर लिया होगा। अब दूसरे शरीर की यात्रा पर आगे बढ़ते हैं। सूक्ष्म, यानी बहुत ही महीन, जिसे आंखों से नहीं देखा जा सकता, परंतु अनुभव किया जा सकता है। इस शरीर को जागृत करने में स्थूल शरीर मुख्य रूप से सहायक है। सूक्ष्म शरीर को प्राण शरीर से भी जाना जाता है; इस शरीर का मुख्य भोजन प्राण वायु यानी वायु है। इसे सही और सुचारू रूप से चलने के लिए शुद्ध हवा का होना जरूरी है। जितनी ज्यादा शुद्ध हवा में सांस लेंगे, उतना जल्दी यह जागृत होगा। शुद्ध हवा मुख्यतः वातावरण हवा ही है, न कि आधुनिक एअर कंडीशनर द्वारा छोड़ी गई हवा। इसमें सुबह-सुबह खेतों में, पार्कों में जाकर शुद्ध हवा का सेवन करना होगा। और यदि ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, तो कमरे में घी का दीप जलाएं या फिर गुग्गुल धूप जलाएं (आधुनिक धूप को छोड़कर, आप गुग्गुल सामग्री का ही प्रयोग करें)।

जब सांस लेते हैं, तो सांस आपके फेफड़ों के एक-चौथाई भाग तक ही पहुंच पाती है और फिर बाहर निकल जाती है, जिसे उथली सांस भी कहते हैं। सांस लेते समय यह ध्यान रखना है कि सांस लेने पर पेट पूरा फूले और निकलने पर पिचक जाए। शुरू-शुरू में यह 5 से 10 मिनट बलपूर्वक करना होगा, उसके बाद यह स्वयं अनुभव करेंगे कि सांस अपने आप पेट को फुला और पिचका रही है। इस क्रिया से फेफड़ों में तीन-चौथाई तक हवा प्रवेश कर जाएगी और अंदर नई संरचनाएं बनने लगेगी। आधुनिक समय में सांस छाती को फुलाकर ही बाहर हो जाती है। अतः नियमित प्रयोग से इसे पेट तक पहुंचाने का प्रयास करें; हाँ, ये भी है कि पेट में हवा नहीं जाती, परंतु जितना पेट फूलेगा, उतना ही फेफड़ों को फूलने के लिए जगह उपलब्ध होगी। सांस तो फेफड़ों में ही जाएगी, परंतु गहराई तक पहुंचेगी वहीं पेट से सांस लेना कहा गया है। जैसे-जैसे सूक्ष्म शरीर जागृत होना शुरू होगा, अंदर कुछ भविष्य की घटनाओं का पूर्वानुमान लगने लगेगा, जैसे किसी का फोन आने से पहले लगेगा कि फोन आ रहा है, परंतु फोन आभास के बाद ही आएगा। या फिर किसी परिचित की बातें सुनने लगेंगे, जो पास नहीं है। कभी-कभी कोई दूसरा जो बोलेगा, वही बोलेंगे।

कुछ विधियां हैं जो कारगर रहेंगी, जिन्हें किसी भी समय प्रयोग कर सकते हैं। इसमें किसी की कोई जरूरत नहीं है, किसी के साथ बैठे हुए भी कर सकते हैं, उसे पता भी नहीं चलेगा और करते भी रहेंगे।

जो की निम्नलिखित हैं:

1. सुबह बिस्तर से उठने से पहले पूरे शरीर को जोर से खींचें, लेटे-लेटे ही, यानि लेटे-लेटे पूरे जोर से अंगड़ाई लें और कुछ देर में शरीर को ढीला छोड़ दें। ऐसा दो या तीन बार करें।

2. जब कभी आपके पास फुरसत हो, तब आप जितना हो सके जोर लगाकर दोनों हाथों के मुक्के बनाएँ और जोर बढ़ाते रहें। आप महसूस करेंगे कि आप कंपकंपाने लगे हैं और अपने दांतों से भी कीट-कीटाने की आवाज आएगी। यहाँ ध्यान देने की बात है कि मुक्के पर जोर, यहाँ ध्यान देने की बात है कि मुक्के पर जोर लगाने के बारे में कहा है न कि दाँतों पर, अब ध्यान दे , हाथो के मुक्के के साथ-साथ दांतो पर भी जोर लगा रहे है जोकि शक्ति को नष्ट कर रहे है। अब जैसा बता रहे है वैसे मुक्के बनाए और महसूस करें कौन-सा आराम करवा रहा है|
अपनी उँगलियों को हथेली तक मोड़े और फिर हथेली को कलाई की तरफ मोड़े जैसे मुक्का बनता है तथा ध्यान रहे जो जोर लगा रहे है वह हाथ का ही जोर हो और दांतो पर कोई जोर न आये। ऐसे दिन मे  5 से 7 बार करें इससे तनाव में काफी राहत मिलेगी|

3. दिन में या रात में किसी भी समय दोनों हाथों को इतना करीब लाए कि दोनों मिलने की कगार पर हो पर मिल न पाये, फिर पीछे ले जाए ऐसा बार-बार करते रहे, कुछ देर में लगेगा कि दोनों हाथ एक-दूसरे को दूर कभी नजदीक खींच रहे है ये ही चुम्बकीय प्रभाव है। इस पर काम करते रहे आप बेहद हल्के हो जाएंगे।

4. दिन में रात में खाने से पहले या खाने के 45 मिनट बाद आप फर्श/जमीन या पर पैर सीधे फैलाकर बैठ जाए तथा हाथ पैरों के ऊपर या पास में हथेली नीचे की तरफ करके रखे। अब सांस लेने व छोड़ने पर ध्यान दे। शरीर को ढीला छोड़ दे, जैसे-जैसे सांस पेट तक जाएगी और बाहर आएगी शरीर पीछे की तरफ गति करेगा। शरीर को पीछे गिरने दे और सांस लेते रहे, धीरे-धीरे शरीर पीछे गिरता रहेगा, सांस लेते रहे, एक समय पर शरीर में खिंचाव के साथ कंपकंपी आएगी घबराने की कोई जरूरत नहीं है निरन्तर सांस लेते रहे, शरीर को गिरने दे| कुछ देर बाद यह बर्दाश्त से बाहर हो जायेगा, सारा शरीर कंपकंपाने लगेगा पर सांस पर ही ध्यान दे, धीरे-धीरे कमर को नीचे लगने दे जैसे ही आप पूर्ण लेट जाए शरीर को जितना हो सके ढीला छोड़ दे, हो सकता है कुछ समय के लिए आपको नींद आ जाए तो डरना मत क्योंकि नई शक्ति का संचार हो रहा है इससे होने दे। यदि दर्द महसूस हो तो इससे प्रयोग में न लाए, अन्यथा सप्ताह में दो या तीन बार जरूर करें यह आपके सारे शरीर के अन्दर के कोषों को खोल देता है|

5. जब सूक्ष्म शरीर जाग्रत होने लगता है, हर रोया (रोए) द्वारा सांस लिया जाता है, तो ऐसे में कुछ प्रयोग में आने वाले सौन्दर्य प्रसाधन पर ध्यान देना होगा जोकि सारे प्रयासों को विफल कर सकता है। (यदि पुरुष है तो ज्यादा खुशबूदार सौन्दर्य प्रसाधन का इस्तेमाल न करें और हो सके तो छोड़ दे जैसे डियो, सेन्ट आदि,
और यदि स्त्री है तो कुछ कीमती आदतों को छोड़ना होगा जैसे क्रीम, पाउडर,लिप स्टिक इत्यादि। क्योंकि जितना ज्यादा सौन्दर्य प्रसाधन प्रयोग में लाएंगे उतना ही सूक्ष्म शरीर से दूर रहेंगे। ये स्वेच्छा से छोड़े या नहीं परन्तु विधि को दोष न दे| )

सलाह :

· आप तली या डिब्बा बंध खाने का इस्तेमाल नगण्य ही करें अचार, चटनी, मुरब्बे ताजा बना कर ही खाये।

· सप्ताह में दो या तीन बार किसी भी समय एक लौंग जरूर चूस ले और कुछ दिन बाद महसूस कीजिए|

यदि ऊपर लिखित बातों को न माने तो स्वयं के स्वयं मालिक है, निर्णय साधक का रहेगा, यात्रा पर चलने या न चलने के लिए , यदि आगे नहीं बढ़ना चाह रहे है तो इससे पढ़ने के बाद भूल जाए, क्योंकि जैसी संरचना चाहते है उसके मालिक स्वयं ही है।

अनुरोध है कि आगे जब ही चले, जब इस पर अभ्यास करने को तैयार हो।