"The Book of Secrets"

"ओशो"

BLOG

11/21/20241 मिनट पढ़ें

"The Book of Secrets" -ओशो

"The Book of Secrets" ओशो द्वारा दी गई प्रवचनों की एक अद्भुत और गहन श्रृंखला है, जो प्राचीन तंत्र विद्या पर आधारित है। इस पुस्तक में 112 तांत्रिक तकनीकों का विस्तृत वर्णन है, जो आत्मज्ञान और गहन ध्यान का मार्ग दिखाती हैं। यह पुस्तक उन रहस्यों को उजागर करती है जो व्यक्ति को उसकी आंतरिक चेतना और ब्रह्मांड के साथ गहराई से जोड़ते हैं।

पुस्तक का परिचय

  • लेखक: ओशो (रजनीश चंद्र मोहन जैन)

  • आधार: यह पुस्तक प्राचीन भारतीय तांत्रिक ग्रंथ "विज्ञान भैरव तंत्र" पर आधारित है, जिसमें भगवान शिव ने देवी पार्वती को ध्यान और आत्मज्ञान की तकनीकों का ज्ञान दिया था।

  • विषय: ध्यान, तंत्र, आत्म-जागरण, और जीवन की गहराई को समझने के लिए एक मार्गदर्शिका।

पुस्तक की संरचना

"The Book of Secrets" 80 से अधिक प्रवचनों का संग्रह है, जिसमें ओशो ने ध्यान की विभिन्न विधियों को सरल और आधुनिक संदर्भ में समझाया है। इसमें मुख्य रूप से तंत्र के 112 ध्यान तकनीकों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:

  1. शरीर पर आधारित तकनीकें

  2. मन और भावनाओं पर आधारित तकनीकें

  3. ब्रह्मांडीय चेतना से जुड़ने की तकनीकें

मुख्य विषय और शिक्षाएं

  1. ध्यान और तंत्र का महत्व:
    ओशो ने बताया कि ध्यान का अर्थ है "साक्षी भाव में जीना।" तंत्र का अर्थ है जीवन को संपूर्णता से स्वीकार करना। ध्यान और तंत्र के माध्यम से व्यक्ति अपने भीतर के दिव्य स्रोत को खोज सकता है।

  2. 112 ध्यान तकनीकें (Meditation Techniques):
    ये विधियां अलग-अलग प्रकार के व्यक्तित्वों के लिए बनाई गई हैं, ताकि हर व्यक्ति अपनी प्रकृति के अनुसार सही तकनीक चुन सके। कुछ प्रमुख तकनीकें:

    • सांस पर ध्यान (Breath Awareness): श्वास के भीतर और बाहर जाने की प्रक्रिया को देखना।

    • ध्वनि पर ध्यान (Sound Awareness): किसी ध्वनि, जैसे "ओम" या संगीत पर ध्यान केंद्रित करना।

    • भावनाओं को देखना (Emotional Observation): अपनी भावनाओं को बिना किसी हस्तक्षेप के देखना।

    • शून्यता में ध्यान (Meditation on Emptiness): अपनी आंतरिक शून्यता को अनुभव करना।

  3. ऊर्जा केंद्रों को जागृत करना:
    तंत्र योग में शरीर के विभिन्न ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को जागृत करने पर जोर दिया गया है। इन चक्रों को सक्रिय करके व्यक्ति उच्चतम चेतना की ओर बढ़ सकता है।

  4. यौन ऊर्जा का आध्यात्मिक उपयोग:
    ओशो ने तंत्र की यह व्याख्या की कि यौन ऊर्जा को दबाने के बजाय, उसे जागरूकता के साथ स्वीकार करना चाहिए और इसे आध्यात्मिक उन्नति के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करना चाहिए।

  5. संपूर्णता का सिद्धांत:
    तंत्र हमें जीवन को खंडित रूप में नहीं, बल्कि उसकी पूरी गहराई और व्यापकता में स्वीकार करने की प्रेरणा देता है। अच्छा-बुरा, सुख-दुख, सब कुछ जीवन का हिस्सा है और इसे पूरी तरह जीना ही तंत्र है।

ओशो की शैली

ओशो ने अपने प्रवचनों में व्यावहारिक उदाहरणों, कहानियों और हास्य का उपयोग किया है ताकि गूढ़ तांत्रिक तकनीकों को आम आदमी के लिए सरल और सुलभ बनाया जा सके। उन्होंने इसे किसी धर्म या परंपरा तक सीमित न रखते हुए, इसे मानव चेतना की सार्वभौमिक खोज बताया।

पुस्तक के लाभ

  1. आध्यात्मिक जागृति: ध्यान की विधियां व्यक्ति को आत्मज्ञान की ओर ले जाती हैं।

  2. मानसिक शांति: ये तकनीकें तनाव और चिंता को दूर कर मानसिक शांति प्रदान करती हैं।

  3. जीवन का संतुलन: तंत्र की शिक्षाएं जीवन के सभी पहलुओं को संतुलित करने में मदद करती हैं।

  4. स्वयं की खोज: यह पुस्तक व्यक्ति को अपनी आंतरिक शक्ति और ऊर्जा को पहचानने का मार्ग दिखाती है।

  5. व्यावहारिक ध्यान: इसमें दी गई तकनीकें आधुनिक जीवन में भी आसानी से लागू की जा सकती हैं।

कुछ प्रमुख उद्धरण

  1. "Meditation is nothing but a technique to take you beyond the mind."
    (ध्यान एक तकनीक है, जो आपको मन से परे ले जाती है।)

  2. "Accept life in its totality; nothing is to be denied, nothing is to be rejected."
    (जीवन को उसकी संपूर्णता में स्वीकार करें; कुछ भी नकारने योग्य नहीं है।)

  3. "Tantra is not a religion, it is a science of inner transformation."
    (तंत्र कोई धर्म नहीं है; यह आंतरिक रूपांतरण का विज्ञान है।)

"The Book of Secrets" न केवल एक ध्यान विधि है, बल्कि यह जीवन जीने की कला है। यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो जीवन के गहरे रहस्यों को समझना चाहते हैं और अपनी चेतना का विस्तार करना चाहते हैं। ओशो की यह रचना पाठकों को अपने भीतर की यात्रा पर ले जाती है और उन्हें उनके वास्तविक स्वरूप से जोड़ती है।

इस पुस्तक का अध्ययन और अभ्यास आपके जीवन को पूरी तरह से बदल सकता है।

"The Book of Secrets" में ओशो ने अपने प्रवचनों में कई कहानियों और दृष्टांतों का उपयोग किया है ताकि गूढ़ तांत्रिक और ध्यान विधियों को सरल और रोचक तरीके से समझाया जा सके। यहां कुछ प्रमुख कहानियां दी गई हैं, जो पुस्तक की गहराई को व्यक्त करती हैं:

1. बोधि वृक्ष के नीचे बुद्ध और ध्यान का महत्व

ओशो ने भगवान बुद्ध के जीवन का एक किस्सा साझा किया, जब वे बोधि वृक्ष के नीचे बैठे और आत्मज्ञान प्राप्त किया।

  • बुद्ध ने कोई विशेष तकनीक या मंत्र का उपयोग नहीं किया। उन्होंने बस साक्षी भाव (witnessing) में रहकर शांति से ध्यान किया।

  • कहानी का उद्देश्य यह दिखाना है कि ध्यान का मुख्य सिद्धांत "साक्षी भाव" है – केवल देखना, बिना हस्तक्षेप किए।

  • ओशो इसे जोड़ते हैं: "आप जो कुछ भी कर रहे हैं, उसे साक्षी भाव से देखें। यही पहला कदम है आत्मज्ञान की ओर।"

2. एक राजकुमार और जहर का प्याला

एक बार एक राजकुमार को तांत्रिक गुरुओं से शिक्षा लेने भेजा गया। गुरु ने उसे जहर का प्याला दिया और पीने को कहा।

  • राजकुमार घबरा गया लेकिन गुरु ने कहा, "डरो मत, इस जहर को पियो और सिर्फ इसे 'देखो'। इसे पीते समय अनुभव को जागरूकता के साथ महसूस करो।"

  • राजकुमार ने ऐसा किया और जहर उसके भीतर शक्ति में बदल गया।

  • ओशो समझाते हैं कि यह कहानी तंत्र के सिद्धांत को दर्शाती है – जीवन में जो भी कठिनाइयां या भावनाएं (जहर) हैं, उन्हें टालने की बजाय, जागरूकता से स्वीकार करें। जागरूकता उन्हें परिवर्तित कर देती है।

3. महावीर और चोर की कहानी

महावीर ध्यान कर रहे थे। एक चोर आया और उनकी आवाज़ सुनकर पूछा, "क्या तुमने मुझे देखा है?"

  • महावीर ने कहा, "हाँ, मैं तुम्हें देख रहा हूँ।"

  • चोर को लगा कि महावीर उसका भेद खोल देंगे, लेकिन महावीर का "देखना" केवल एक साक्षी भाव था।

  • ओशो बताते हैं कि महावीर का यह उत्तर ध्यान की एक महत्वपूर्ण विधि को दर्शाता है – किसी भी चीज़ को "देखने" का अर्थ है, उसे बिना जज किए स्वीकार करना। यह जागरूकता की शक्ति है।

4. एक वृद्ध तांत्रिक और उसके शिष्य की कहानी

एक वृद्ध तांत्रिक गुरु के पास एक शिष्य आया और पूछा, "मैं ध्यान में कैसे सफल हो सकता हूँ?"

  • गुरु ने शिष्य से कहा, "पहले इस जंगल में जाओ और नदी के पास बैठकर हर चीज को देखो।"

  • शिष्य ने कई दिन तक पक्षियों, पेड़ों, और नदी के बहाव को देखा। धीरे-धीरे उसने महसूस किया कि सब कुछ अपनी जगह पर है और शांत है।

  • गुरु ने कहा, "यही ध्यान है – सब कुछ अपनी जगह है, तुम केवल साक्षी हो।"

  • ओशो समझाते हैं कि यह तंत्र का आधार है – अपने चारों ओर की हर चीज को स्वीकार करना और इसे साक्षी भाव से देखना।

5. शिव और पार्वती की संवाद कथा

"विज्ञान भैरव तंत्र" में वर्णित एक प्रसिद्ध कथा है जिसमें देवी पार्वती भगवान शिव से पूछती हैं:

  • "हे प्रभु, ध्यान, भक्ति और ज्ञान के मार्ग क्या हैं? आत्मज्ञान कैसे प्राप्त किया जा सकता है?"

  • शिव 112 ध्यान विधियों का वर्णन करते हैं, जैसे:

    • "जब सांस भीतर आए और रुक जाए, और फिर बाहर जाए, इस बीच के खाली क्षण को देखो।"

    • "जब तुम क्रोधित हो, तो उसे पूरी तरह से महसूस करो, और फिर देखो कि यह तुम्हें कैसे बदलता है।"

  • ओशो इस कहानी के माध्यम से बताते हैं कि हर विधि अद्वितीय है और व्यक्ति को अपनी प्रकृति के अनुसार इसे अपनाना चाहिए।

6. एक साधु और किसान की कथा

एक साधु ने एक किसान से पूछा, "तुम अपने खेतों की सिंचाई कैसे करते हो?"

  • किसान ने कहा, "मैं नहरें बनाकर पानी को खेत तक लाता हूँ।"

  • साधु ने कहा, "ध्यान भी ऐसा ही है। तुम्हें अपनी ऊर्जा को सही दिशा में प्रवाहित करना होगा।"

  • ओशो समझाते हैं कि यह कहानी तंत्र के उस सिद्धांत को दर्शाती है, जहां व्यक्ति अपनी ऊर्जा (चक्रों के माध्यम से) को संतुलित करता है।

7. पानी पर ध्यान

ओशो ने एक साधारण तांत्रिक तकनीक का वर्णन किया:

  • "नदी को बहते हुए देखो। कोई विचार न करो, बस देखो। धीरे-धीरे, तुम्हारी चेतना में एक अद्भुत शांति आएगी।"

  • उन्होंने इसे जोड़ते हुए कहा कि यह तकनीक एक साधारण क्रिया से गहरे ध्यान की ओर ले जाती है।

इन कहानियों से सीख

  • साक्षी भाव: हर कहानी हमें सिखाती है कि जीवन को केवल "देखना" और "स्वीकारना" ही आत्मज्ञान का पहला कदम है।

  • जागरूकता का महत्व: तंत्र का मूल सिद्धांत है – हर क्रिया और भावना को पूरी जागरूकता के साथ करना।

  • स्वीकृति: जीवन में अच्छा-बुरा, सुख-दुख सब कुछ स्वीकार करना तंत्र की कला है।

  • ऊर्जा प्रवाह: अपनी ऊर्जा को सही दिशा में प्रवाहित करना जीवन को सकारात्मक और संतुलित बनाता है।

ओशो की कहानियां न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि वे गहरे आध्यात्मिक सिद्धांतों को सरलता से समझाने का माध्यम भी हैं। ये कहानियां पाठक को ध्यान और आत्मज्ञान के मार्ग पर प्रेरित करती हैं।