The Dhammapada
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5/11/20251 मिनट पढ़ें
The Dhammapada
बुद्धवाणी का सार – जीवन, धर्म और मोक्ष की ओर एक मार्गदर्शिका
🧭 1. धम्मपद क्या है?
धम्मपद (Pali: Dhammapada; Sanskrit: Dharmapada) बौद्ध धर्म के पाली कैनन (Tipitaka) के खुद्धक निकाय (छोटी पुस्तकों) में शामिल एक अत्यंत प्रसिद्ध ग्रंथ है। यह 423 पदों (श्लोकों) का संग्रह है, जो भगवान गौतम बुद्ध के वचनों का सार प्रस्तुत करता है।
यह ग्रंथ नीतिशास्त्र, आत्मानुशासन, चिंतन, और मोक्षमार्ग के शिक्षाप्रद विचारों से युक्त है। इसे एक प्रकार की ध्यान-पाठ्य पुस्तिका भी माना जाता है।
📚 2. संरचना (Structure)
धम्मपद के 26 अध्याय बौद्ध दर्शन और आत्म-अनुशासन की गहराई को दर्शाते हैं। प्रत्येक अध्याय एक विशिष्ट विषय को केंद्र में रखकर, जीवन को समझने, दुःख से मुक्त होने, और निर्वाण की ओर बढ़ने का मार्ग प्रस्तुत करता है।
🔸 1. यमकवग्ग (द्वंद्व – Pairs)
विषय: विचारों और कर्मों के द्वंद्व
शिक्षा: जैसा सोचते हैं, वैसा बनते हैं। शुद्ध और अशुद्ध मन जीवन को बनाते-बिगाड़ते हैं।
🔸 2. अप्पमादवग्ग (सजगता – Heedfulness)
विषय: जागरूकता
शिक्षा: सजगता अमरता का मार्ग है; असजगता मृत्यु की ओर ले जाती है।
🔸 3. चित्तवग्ग (मन – The Mind)
विषय: मन की चंचलता और उसका नियंत्रण
शिक्षा: मन को स्थिर करोगे, तभी शांति मिलेगी।
🔸 4. पुष्पवग्ग (फूल – Flowers)
विषय: जीवन की क्षणभंगुरता
शिक्षा: जीवन फूल के समान है – सुंदर पर नश्वर।
🔸 5. बालवग्ग (मूर्ख – Fools)
विषय: अज्ञानी व्यक्ति की प्रकृति
शिक्षा: मूर्ख व्यक्ति दिखावे में उलझा रहता है; विवेकी साधक आत्मा की ओर बढ़ता है।
🔸 6. पण्डितवग्ग (ज्ञानी – The Wise)
विषय: विवेक और बोध
शिक्षा: सच्चा ज्ञान आचरण से झलकता है, शब्दों से नहीं।
🔸 7. अर्हतवग्ग (निर्मल – The Arahant)
विषय: जो मोह से मुक्त हो गए हैं
शिक्षा: अर्हत वो हैं जो राग-द्वेष से परे हैं।
🔸 8. सहस्सवग्ग (हजार – Thousands)
विषय: गुणात्मक जीना
शिक्षा: हजार व्यर्थ शब्दों से अच्छा एक सार्थक वाक्य है।
🔸 9. पापवग्ग (पाप – Evil)
विषय: बुरे कर्मों से बचाव
शिक्षा: जैसे विष धीरे-धीरे फैलता है, वैसे ही पाप भी।
🔸 10. दण्डवग्ग (दण्ड – Violence/Punishment)
विषय: हिंसा और दण्ड का परिणाम
शिक्षा: दूसरों को कष्ट पहुँचाना, आत्मा को कष्ट देना है।
🔸 11. जरावग्ग (बुढ़ापा – Old Age)
विषय: शरीर की नश्वरता
शिक्षा: जो युवा में न जागता, वह बुढ़ापे में पछताता है।
🔸 12. अत्तवग्ग (स्व – Self)
विषय: आत्म-जागृति
शिक्षा: आत्मा ही सबसे निकट है – उसे न जानना सबसे बड़ा अंधकार है।
🔸 13. लोकवग्ग (संसार – The World)
विषय: संसार की असारता
शिक्षा: मोहों का संसार दुःख का जाल है।
🔸 14. बुद्धवग्ग (बुद्ध – The Awakened One)
विषय: बुद्ध के गुण
शिक्षा: बुद्ध वो हैं जो स्वयं प्रकाश हैं।
🔸 15. सुखवग्ग (सुख – Happiness)
विषय: सच्चे सुख की पहचान
शिक्षा: संन्यास और संयम से सुख की प्राप्ति होती है।
🔸 16. पियवग्ग (प्रिय – Affection)
विषय: मोह और प्रियता
शिक्षा: प्रियता मोह का कारण बन सकती है; विरक्ति से शांति मिलती है।
🔸 17. कोधवग्ग (क्रोध – Anger)
विषय: क्रोध की हानि
शिक्षा: क्रोध अग्नि है; क्षमा ही अमृत है।
🔸 18. मलवग्ग (मल – Impurities)
विषय: मानसिक मलिनता
शिक्षा: जैसे लोहा अपने ही मल से नष्ट होता है, वैसे ही आत्मा भी।
🔸 19. धम्मठवग्ग (धर्मचारी – The Righteous)
विषय: धर्म का पालन करने वाला
शिक्षा: जो धर्म के अनुसार चलता है, वही सच्चा साधक है।
🔸 20. मग्गवग्ग (मार्ग – The Path)
विषय: अष्टांगिक मार्ग
शिक्षा: अष्टांगिक मार्ग दुख से मुक्ति का साधन है।
🔸 21. पक्कवग्ग (विविध – Miscellaneous)
विषय: विभिन्न शिक्षाएँ
शिक्षा: बोध के विविध पहलू।
🔸 22. निरयवग्ग (नरक – Hell)
विषय: पापों का परिणाम
शिक्षा: पापों से नरक की ओर गति होती है।
🔸 23. नागवग्ग (हाथी – The Elephant)
विषय: आत्म-संयम
शिक्षा: जैसे हाथी अपने को नियंत्रित करता है, वैसे ही साधक को करना चाहिए।
🔸 24. तन्हावग्ग (तृष्णा – Craving)
विषय: तृष्णा से मुक्ति
शिक्षा: तृष्णा ही दुख का मूल है; इसका अंत ही निर्वाण है।
🔸 25. भिक्षुवग्ग (भिक्षु – The Monk)
विषय: संन्यासी का जीवन
शिक्षा: संयम, ध्यान और सत्य साधु के आभूषण हैं।
🔸 26. ब्राह्मणवग्ग (ब्रह्मज्ञानी – The Holy Man)
विषय: जो मोह से मुक्त है
शिक्षा: सच्चा ब्राह्मण जन्म से नहीं, आत्मज्ञान से बनता है।
🧘♂️ 3. प्रमुख शिक्षाएं (Key Teachings)
🔹 1. मन का बल (Power of Mind)
"मन सभी वस्तुओं का अग्रदूत है... यदि कोई शुद्ध चित्त से बोलता है या करता है, तो प्रसन्नता उसकी छाया की तरह उसका अनुसरण करती है।" (धम्मपद 1-2)
बुद्ध की शिक्षा का मूल यह है कि चिंतन और भावनाएं हमारे कर्म और जीवन की दिशा तय करते हैं।
🔹 2. सजगता (Mindfulness - Appamāda)
"सजगता अमरतत्व का मार्ग है, असजग मृत्यु का मार्ग है। सजग नहीं रहने वाला जैसे मरे हुए के समान है।"
धम्मपद बार-बार हमें अवचेतनता और मानसिक निद्रा से बाहर निकलने की प्रेरणा देता है।
🔹 3. नफरत से मुक्ति (Hatred Never Ends by Hatred)
"घृणा घृणा से नहीं मिटती, घृणा प्रेम से मिटती है – यही शाश्वत नियम है।"
करुणा, प्रेम, और क्षमा ही व्यक्ति और समाज की वास्तविक मुक्ति का रास्ता है।
🔹 4. आत्म-शुद्धि और अनुशासन
"कोई बाहरी व्यक्ति आपको शुद्ध नहीं कर सकता; स्वयं को ही शुद्ध करना होगा।"
बुद्ध के अनुसार, आत्मानुशासन, संयम और आत्मचिंतन से ही मोक्ष संभव है।
🔹 5. पथ (मार्ग) – अष्टांगिक मार्ग की ओर
धम्मपद हमें सीधे तौर पर अष्टांगिक मार्ग (Right View, Right Thought... Right Concentration) की ओर प्रेरित करता है — जो निर्वाण की ओर ले जाने वाला मार्ग है।
🧠 4. चिंतनात्मक प्रश्न (Reflection Questions)
क्या मैं अपने विचारों पर सजग हूं?
क्या मेरी प्रतिक्रियाएं घृणा से संचालित हैं या करुणा से?
क्या मैं हर दिन आत्म-अवलोकन करता हूं?
क्या मैं बुरी संगति और पाप से बचता हूं?
क्या मेरा ध्यान "मार्ग" पर केंद्रित है?
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