The Essence of Yoga
"Eknath Easwaran"
BLOG
1/7/20251 मिनट पढ़ें
The Essence of Yoga-Eknath Easwaran
The Essence of Yoga पुस्तक, जिसे एकनाथ ईश्वरन (Eknath Easwaran) ने लिखा है, योग के प्राचीन सूत्रों का आधुनिक संदर्भ में सरल और व्यावहारिक व्याख्या प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक विशेष रूप से पतंजलि के योग सूत्रों पर केंद्रित है, जो योग दर्शन का मूल आधार माने जाते हैं। ईश्वरन का उद्देश्य पाठकों को योग के गूढ़ सिद्धांतों को समझने में मदद करना और उन्हें अपने दैनिक जीवन में लागू करना है।
पुस्तक का उद्देश्य और संरचना
उद्देश्य:
इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य योग के गहरे अर्थ को उजागर करना और यह दिखाना है कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि एक पूर्ण जीवन दर्शन है।यह मानसिक शांति, आंतरिक विकास, और आत्म-प्राप्ति का मार्ग दिखाता है।
पुस्तक इस बात पर जोर देती है कि योग का वास्तविक सार 'जीवन जीने की कला' है।
संरचना:
पुस्तक को सरल अध्यायों में विभाजित किया गया है, जो पतंजलि के योग सूत्रों की मूल शिक्षा को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करते हैं।
इसमें ध्यान (meditation), जीवनशैली, मानसिक अनुशासन, और आंतरिक शांति के विषय शामिल हैं।
हर सूत्र का व्यावहारिक व्याख्या दी गई है ताकि इसे दैनिक जीवन में उपयोग किया जा सके।
मुख्य विषय और शिक्षाएं
1. योग का अर्थ और उद्देश्य
ईश्वरन ने स्पष्ट किया कि योग का अर्थ है "संयम" या "जोड़"।
योग का उद्देश्य आत्मा और ब्रह्मांडीय चेतना के बीच की दूरी को मिटाना है।
यह मन को नियंत्रित करने और ध्यान द्वारा उच्च चेतना तक पहुंचने का मार्ग है।
2. पतंजलि के योग सूत्र
पतंजलि ने योग के 8 अंगों (अष्टांग योग) का वर्णन किया है, जिनकी व्याख्या पुस्तक में की गई है:
यम: नैतिक अनुशासन (जैसे सत्य, अहिंसा)।
नियम: व्यक्तिगत अनुशासन।
आसन: शारीरिक स्थिरता।
प्राणायाम: श्वास नियंत्रण।
प्रत्याहार: इंद्रियों का नियंत्रण।
धारणा: ध्यान का प्रारंभिक स्तर।
ध्यान: गहन ध्यान।
समाधि: आत्मा का परम अनुभव।
इन आठों अंगों को जीवन में लागू करने के सरल और व्यावहारिक तरीके समझाए गए हैं।
3. ध्यान और मानसिक अनुशासन
ईश्वरन ने ध्यान को योग का केंद्रीय हिस्सा बताया है।
वे "मंत्र" के उपयोग पर बल देते हैं, जो ध्यान के माध्यम से मन को स्थिर और गहराई में ले जाने का साधन है।
ध्यान के अभ्यास के लिए सही तरीके और बाधाओं को पार करने के सुझाव दिए गए हैं।
4. आधुनिक जीवन और योग
आधुनिक जीवन की चुनौतियों (जैसे तनाव, समय की कमी, मानसिक अशांति) को योग के माध्यम से कैसे संबोधित किया जाए, इस पर गहराई से चर्चा की गई है।
योग को केवल व्यायाम तक सीमित न रखकर इसे हर क्षण में आत्मसात करने की प्रेरणा दी गई है।
5. आध्यात्मिकता और विज्ञान का संगम
ईश्वरन विज्ञान और योग के बीच संबंध स्थापित करते हैं।
वे बताते हैं कि योग न केवल आध्यात्मिक विकास का मार्ग है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार लाता है।
पुस्तक की विशेषताएं
सरल भाषा और व्याख्या:
ईश्वरन ने कठिन योग सूत्रों को सरल, समझने योग्य भाषा में प्रस्तुत किया है।व्यावहारिक दृष्टिकोण:
यह पुस्तक योग को केवल एक दार्शनिक सिद्धांत नहीं मानती, बल्कि इसे जीवन में लागू करने के व्यावहारिक उपाय सुझाती है।
छोटे-छोटे अभ्यास और उदाहरण दिए गए हैं।
आध्यात्मिक गहराई:
यह पुस्तक आत्म-जागरूकता, मन की शांति, और जीवन के गहरे अर्थ को समझने का मार्ग दिखाती है।
इसमें योग को ईश्वर और आत्मा के मिलन का साधन बताया गया है।
पुस्तक का पाठकों के लिए महत्व
योग साधकों के लिए:
यह पुस्तक योग के प्राचीन ज्ञान को गहराई से समझने और अपनी साधना को समृद्ध करने में मदद करती है।दैनिक जीवन में योग:
यह उन लोगों के लिए आदर्श है जो योग को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहते हैं।
इसमें जीवन की व्यस्तता में भी ध्यान और शांति प्राप्त करने के उपाय बताए गए हैं।
आध्यात्मिक खोज करने वालों के लिए:
जो लोग आत्म-ज्ञान और जीवन के गहरे अर्थ की तलाश में हैं, उनके लिए यह मार्गदर्शक का काम करती है।
The Essence of Yoga एकनाथ ईश्वरन की ऐसी पुस्तक है जो योग को केवल शारीरिक अभ्यास के रूप में नहीं, बल्कि एक समग्र जीवन पद्धति के रूप में प्रस्तुत करती है। यह आधुनिक जीवन में प्राचीन योग के सार को गहराई से आत्मसात करने का मार्ग दिखाती है।
पुस्तक आपको यह समझने में मदद करती है कि योग केवल "करने" की चीज नहीं है, बल्कि "होने" का एक अनुभव है।
यह पुस्तक मुख्य रूप से पतंजलि के योग सूत्रों पर आधारित है और योग को जीवन में आत्मसात करने के उपायों पर केंद्रित है। पुस्तक के मुख्य बिंदुओं को विस्तार से समझाने के लिए इसे कुछ प्रमुख विषयों में विभाजित किया जा सकता है:
1. योग का सार और उद्देश्य
योग का अर्थ:
योग का शाब्दिक अर्थ है "जुड़ना" या "संपर्क स्थापित करना"।
इसका उद्देश्य आत्मा (individual self) और ब्रह्मांडीय चेतना (universal consciousness) के बीच संबंध स्थापित करना है।
योग केवल शारीरिक व्यायाम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मन, शरीर और आत्मा को संतुलित करने की कला है।
योग का उद्देश्य:
मानसिक शांति प्राप्त करना।
जीवन की अशांति और विकर्षणों को नियंत्रित करना।
आत्मा के साथ गहरे संबंध और ईश्वर का अनुभव करना।
2. पतंजलि के योग सूत्र और अष्टांग योग
पुस्तक में पतंजलि द्वारा बताए गए योग के आठ अंगों को विस्तार से समझाया गया है। इन्हें अष्टांग योग के नाम से जाना जाता है। ये हैं:
(i) यम (सामाजिक अनुशासन)
योग के पहले अंग में नैतिक और सामाजिक आचरण के पांच नियम शामिल हैं:
अहिंसा: दूसरों के प्रति हिंसा से बचना।
सत्य: सत्य बोलना और ईमानदारी रखना।
अस्तेय: चोरी से बचना।
ब्रह्मचर्य: इंद्रियों पर संयम।
अपरिग्रह: लोभ और भौतिक वस्तुओं का त्याग।
(ii) नियम (व्यक्तिगत अनुशासन)
नियम व्यक्तिगत जीवन में अनुशासन और शुद्धता को दर्शाते हैं:
शौच: शारीरिक और मानसिक शुद्धता।
संतोष: संतुष्ट और सकारात्मक रहना।
तप: आत्म-अनुशासन।
स्वाध्याय: आत्म-चिंतन और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन।
ईश्वर प्राणिधान: ईश्वर के प्रति समर्पण।
(iii) आसन (शारीरिक स्थिरता)
शरीर को स्थिर और आरामदायक स्थिति में रखना।
शारीरिक अभ्यास के माध्यम से मानसिक शांति की प्राप्ति।
(iv) प्राणायाम (श्वास नियंत्रण)
श्वास और जीवन ऊर्जा (प्राण) पर नियंत्रण।
यह मन और शरीर के बीच संतुलन बनाता है।
(v) प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण)
बाहरी विकर्षणों से ध्यान हटाकर अपने भीतर की ओर केंद्रित करना।
मन को शांत और स्थिर करने की प्रक्रिया।
(vi) धारणा (ध्यान का प्रारंभ)
मन को एक विषय या विचार पर केंद्रित करना।
ध्यान का पहला चरण।
(vii) ध्यान (ध्यान की गहराई)
पूर्ण ध्यान में स्थिर रहना।
आंतरिक शांति और आत्मा से जुड़ने का अनुभव।
(viii) समाधि (आध्यात्मिक एकता)
आत्मा और ब्रह्मांडीय चेतना के बीच पूर्ण एकता।
इसे योग का उच्चतम स्तर माना जाता है।
3. ध्यान (Meditation) और मानसिक अनुशासन
ध्यान का महत्व:
ध्यान योग का केंद्रीय अभ्यास है।
यह मन की चंचलता को शांत करता है और व्यक्ति को अपनी आंतरिक चेतना से जोड़ता है।
मंत्र का उपयोग:
ईश्वरन "मंत्र" को ध्यान का एक शक्तिशाली साधन मानते हैं।
मंत्र के दोहराव से मन स्थिर होता है और ध्यान की गहराई बढ़ती है।
ध्यान के चरण:
शुरुआत में ध्यान कठिन हो सकता है, लेकिन नियमित अभ्यास से यह स्वाभाविक हो जाता है।
ध्यान में बैठने की विधि, समय, और अनुशासन के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है।
4. आधुनिक जीवन में योग
योग और आधुनिक जीवन की समस्याएं:
तनाव, चिंता, और अशांति जैसी समस्याओं का समाधान योग के माध्यम से किया जा सकता है।
योग आपको वर्तमान में जीना सिखाता है और भविष्य की चिंता से मुक्त करता है।
व्यावहारिक सुझाव:
योग को अपनी दिनचर्या में कैसे शामिल करें।
ध्यान और श्वास अभ्यास के लिए समय निकालने के उपाय।
सकारात्मक सोच और आत्म-अनुशासन का विकास।
5. योग और विज्ञान का संगम
योग के वैज्ञानिक पहलू:
योग का मन और शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
आधुनिक अनुसंधान से यह प्रमाणित हुआ है कि योग तनाव, उच्च रक्तचाप, और मानसिक विकारों को नियंत्रित करने में सहायक है।
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य:
योग केवल आत्मा के विकास के लिए नहीं, बल्कि शरीर और मन को स्वस्थ रखने का भी साधन है।
यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और मन को सकारात्मक ऊर्जा से भरता है।
6. आत्म-जागरूकता और शांति
पुस्तक इस बात पर जोर देती है कि योग का अंतिम लक्ष्य आत्म-जागरूकता और आंतरिक शांति प्राप्त करना है।
यह हमें हमारे वास्तविक स्वरूप और जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करता है।
हमारा उद्देश्य केवल सजगता बढ़ाना है ,हम जन साधारण को संतो, ध्यान विधियों ,ध्यान साधना से संबन्धित पुस्तकों के बारे मे जानकारी , इंटरनेट पर मौजूद सामग्री से जुटाते है । हम किसी धर्म ,संप्रदाय ,जाति , कुल ,या व्यक्ति विशेष की मान मर्यादा को ठेस नही पहुंचाते है । फिर भी जाने अनजाने , यदि किसी को कुछ सामग्री सही प्रतीत नही होती है , कृपया हमें सूचित करें । हम उस जानकारी को हटा देंगे ।
website पर संतो ,ध्यान विधियों , पुस्तकों के बारे मे केवल जानकारी दी गई है , यदि साधकों /पाठकों को ज्यादा जानना है ,तब संबन्धित संस्था ,संस्थान या किताब के लेखक से सम्पर्क करे ।
© 2024. All rights reserved.