The Practice of the Presence of God- Brother Lawrence
"Brother Lawrence"
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1/19/20251 मिनट पढ़ें
The Practice of the Presence of God- Brother Lawrence
"The Practice of the Presence of God" ब्रदर लॉरेंस (Brother Lawrence) द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक पुस्तक है, जो साधारण जीवन में ईश्वर की उपस्थिति को अनुभव करने और उसके साथ संबंध स्थापित करने के व्यावहारिक तरीकों पर आधारित है। यह पुस्तक 17वीं शताब्दी में लिखी गई थी और इसमें ब्रदर लॉरेंस के पत्र, वार्तालाप, और विचार संकलित हैं। उन्होंने अपने साधारण कार्यों में भी ईश्वर की उपस्थिति को महसूस करने और ईश्वर के साथ निरंतर संबंध बनाए रखने की कला पर जोर दिया है।
मुख्य बिंदु
1. ईश्वर की उपस्थिति का अभ्यास
ईश्वर का निरंतर ध्यान: ब्रदर लॉरेंस कहते हैं कि हमें हर पल ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव करने का अभ्यास करना चाहिए, चाहे हम कोई भी कार्य कर रहे हों।
सांसारिक कार्यों में ईश्वर का ध्यान: साधारण कार्यों जैसे खाना पकाना, सफाई करना आदि में भी ईश्वर को याद रखना और उनकी उपस्थिति को महसूस करना संभव है।
उदाहरण:
ब्रदर लॉरेंस एक किचन में काम करते थे और उन्होंने कहा कि "रसोई के शोरगुल में भी मैं ईश्वर के साथ वैसा ही महसूस करता हूँ जैसा कि प्रार्थना के समय।"
2. प्रार्थना की निरंतरता
प्रार्थना का विस्तृत अर्थ: उनके अनुसार, प्रार्थना केवल एक निश्चित समय या जगह तक सीमित नहीं है। यह ईश्वर के साथ निरंतर वार्तालाप है।
अलौकिक संबंध: प्रार्थना का उद्देश्य ईश्वर से जुड़ना और उनकी उपस्थिति को हर समय महसूस करना है।
अभ्यास:
दिनभर में छोटे-छोटे पलों में ईश्वर को याद करना।
मन में ईश्वर के लिए कृतज्ञता और प्रेम के भाव बनाए रखना।
3. प्रेम पर आधारित संबंध
ईश्वर के प्रति प्रेम: ब्रदर लॉरेंस के अनुसार, ईश्वर के साथ संबंध का आधार डर नहीं, बल्कि प्रेम होना चाहिए।
निस्वार्थ प्रेम: हमें बिना किसी अपेक्षा के, केवल ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण के लिए उनकी सेवा करनी चाहिए।
संदेश:
"ईश्वर का प्रेम हर चीज़ से ऊपर है। इसे अनुभव करने के लिए हमें अपने हृदय को खोलना होगा।"
4. आत्मा की शांति
शांति और सादगी: ईश्वर की उपस्थिति को महसूस करने से आंतरिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
सांसारिक चीजों से स्वतंत्रता: जब व्यक्ति ईश्वर की उपस्थिति को महसूस करता है, तो वह सांसारिक चिंताओं और भय से मुक्त हो जाता है।
उदाहरण:
ब्रदर लॉरेंस ने कहा कि "ईश्वर में स्थिरता पाने से हमारी आत्मा किसी भी परिस्थिति में शांत और स्थिर रह सकती है।"
5. सांसारिक और आध्यात्मिक का संतुलन
साधारण कार्यों में आध्यात्मिकता: उनका मानना है कि सांसारिक कार्य और आध्यात्मिक गतिविधियाँ अलग नहीं हैं।
ईश्वर के लिए हर कार्य: यदि हम अपने हर कार्य को ईश्वर के लिए समर्पित करते हैं, तो वह कार्य भी प्रार्थना बन जाता है।
उदाहरण:
उन्होंने कहा, "जब मैं खाना पकाने का काम करता हूँ, तो मैं ईश्वर के प्रति अपना प्रेम व्यक्त करने के लिए इसे करता हूँ।"
6. कृतज्ञता का अभ्यास
ईश्वर के लिए आभार: ब्रदर लॉरेंस सिखाते हैं कि हमें हर परिस्थिति में ईश्वर के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए।
छोटी चीज़ों में खुशी: उन्होंने बताया कि छोटे-छोटे पलों में भी ईश्वर की कृपा को पहचानना चाहिए।
अभ्यास:
दिन में उन चीज़ों की सूची बनाना जिनके लिए आप ईश्वर के प्रति आभारी हैं।
कृतज्ञता के माध्यम से अपने हृदय को ईश्वर के प्रति खोलना।
7. आत्म-स्वीकृति और विनम्रता
अपनी कमजोरियों को स्वीकार करना: उन्होंने सिखाया कि हमें अपनी कमजोरियों और सीमाओं को स्वीकार करना चाहिए और ईश्वर से मदद मांगनी चाहिए।
विनम्रता का महत्व: ईश्वर के साथ सच्चे संबंध के लिए विनम्रता आवश्यक है।
संदेश:
"हम अपनी क्षमताओं पर निर्भर नहीं रह सकते। हमें ईश्वर की शक्ति और मार्गदर्शन पर भरोसा करना चाहिए।"
8. निरंतर अभ्यास का महत्व
ध्यान और अनुशासन: ईश्वर की उपस्थिति को महसूस करना एक अभ्यास है, जिसे अनुशासन और धैर्य के साथ विकसित किया जा सकता है।
शुरुआती कठिनाइयाँ: शुरुआत में यह अभ्यास कठिन हो सकता है, लेकिन निरंतरता और समर्पण से यह स्वाभाविक बन जाता है।
संदेश:
"ईश्वर की उपस्थिति का अभ्यास धीरे-धीरे विकसित होता है। इसे केवल लगन और विश्वास की आवश्यकता होती है।"
9. ईश्वर पर निर्भरता
स्वयं पर भरोसा छोड़ें: ब्रदर लॉरेंस सिखाते हैं कि हमें अपनी समझ और शक्ति पर कम, और ईश्वर की कृपा और शक्ति पर अधिक भरोसा करना चाहिए।
विश्वास का महत्व: यह विश्वास कि ईश्वर हर स्थिति में हमारे साथ हैं, हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है।
पुस्तक का मुख्य संदेश
ईश्वर हर समय, हर जगह हमारे साथ हैं।
हमें अपने हर कार्य में उनकी उपस्थिति को महसूस करने का प्रयास करना चाहिए।
साधारण और सांसारिक कार्यों में भी आध्यात्मिकता पाई जा सकती है।
प्रेम, विनम्रता, और कृतज्ञता के साथ ईश्वर से जुड़ना सच्ची आत्मा की शांति का स्रोत है।
अभ्यास के लिए सुझाव
हर दिन छोटे-छोटे कार्य करते समय ईश्वर को याद करें।
दिन की शुरुआत और अंत ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने से करें।
अपनी कमजोरियों को स्वीकार करें और ईश्वर से मदद माँगें।
सांसारिक कार्यों को ईश्वर के प्रति प्रेम और सेवा के रूप में करें।
"The Practice of the Presence of God" हमें सिखाती है कि ईश्वर की उपस्थिति को महसूस करना केवल पूजा और प्रार्थना तक सीमित नहीं है। यह एक जीवनशैली है, जिसमें हम हर पल ईश्वर के साथ जुड़ सकते हैं और उनकी कृपा का अनुभव कर सकते हैं। यह पुस्तक हमें सादगी, विनम्रता, और प्रेम के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देती है।
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